-नोबेल विज्ञानी ने बताई नैनो मेडिसिन की खूबियां

-नैनो टेक्नोलॉजी के विभिन्न आयामों पर हुई चर्चा

ALLAHABAD: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) में चल रहे विज्ञान महाकुंभ के तीसरे दिन नोबेल विज्ञानी तथा राइस यूनिवर्सिटी के एमेरिटस प्रोफेसर राबर्ट कर्ल ने स्टूडेंट्स के बीच नैनोटेक्नोलॉजी विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी सूक्ष्म पदार्थो से संबंधित विज्ञान है जो नैनो मीटर के आकार का होता है। उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग प्राचीन भारत में भी होता था। क्8वीं शताब्दी में दमिश्क में नैनो ट्यूब्स की खोज की गई थी जो पदार्थो को मजबूत बनाने के प्रयोग में आता था।

इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं

प्रो। कर्ल ने अपने व्याख्यान के दौरान नैनो मेडिसिन का जिक्र करते हुए युवाओं को बताया कि करेंट में जो दवा मार्केट में आ रही है। वह संबंधित रोग का इलाज तो करती है लेकिन उसके कई साइडइफेक्ट्स भी हैं जोकि शरीर के दूसरे अंगों को भी इफेक्ट करती है। उन्होंने ड्रग डिलीवरी का जिक्र करते हुए कहा कि नैनो मेडिसिन किसी भी व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर रोग से संबंधित सेल्स को ही प्रभावित करेगा और बाकी अंग इससे सेफ रहेंगे। प्रो। कर्ल ने कहा कि नैनो मेडिसिन की साइज किसी टेबलेट या कैप्सूल की अपेक्षा इतना छोटा होगा जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि इंडियन साइंटिस्ट इसे और ज्यादा उन्नत किस्म का बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

छोटा होता जाएगा गैजेट्स का आकार

उन्होंने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी करेंट में हर तरह के साइंस के लिए उपयोगी है। बताया कि इससे फ्यूचर में इलेक्ट्रानिक गैजेट्स का आकार भी छोटा होता चला जाएगा। जैसे पहले कम्प्यूटर आया और बाद में लैपटॉप और फिर टैबलेट, साइंस में वो सभी कुछ होना संभव है जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं। जरूरत है तो बस नई खोज लगातार करते रहने की। प्रो। कर्ल ने प्रकृति में इस प्रौद्योगिकी के कई उत्साहजनक परिणामों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आधुनिक समय में ट्रीटेनियम डाई आक्साईड से बने हुए नैनो कण कपड़ों को साफ करने के लिए बनाए गए हैं। जिनसे आक्सीजन निकलता है और कपड़ों पर दाग पड़ते ही छूट जाता है।

पानी से बैक्टीरिया निकालने में भी सहायक

प्रो। कर्ल ने कहा कि इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग पानी को साफ बनाने में भी किया जा रहा है। दो मिलीमीटर मोटे नैनो फिल्टर अमोनियम आक्साइड से बनाए जाते हैं जो पानी में बैक्टीरिया और सूक्ष्म विषाणुओं को रोकने में सहायक होते हैं। कार्यक्रम में बायो इन्फारमेटिक्स केन्द्र मैकोबिरियल टेक्नोलाजी डिपार्टमेंट पंजाब यूनिवर्सिटी के हेड प्रो। गजेन्द्र पाल सिंह राघो ने बायो मल्यूक्यूम पर बेस इलाज पर आधारित बायोइन्फार्मेटिक्स पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि क्यों एक दवा किसी के लिए लाभकारी होती है और दूसरे के लिए हानिकारक।

कथक नृत्यांगना ने बांधा समां

साइंस कांक्लेव में देर शाम कल्चरल इवेंट की श्रृंखला में कथक नृत्यांगना शोवना नारायण ने मनोहारी नृत्य की प्रस्तुति देकर यंग साइंटिस्ट्स को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने घुंघरू की ताल और दिल की धड़कन की संगति भी प्रस्तुत की। इससे पूरे दिन चले कांक्लेव की रौनक में भी बदल गई।