इनके साथ हुआ समझौता

वेडनसडे केा जिस मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर हुआ उसके चलते वर्ष 2014 में होने वाले साइंस कॉन्क्लेव में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया इंडियाना यूनिवर्सिटी और बुफैलो की न्यूयार्क यूनिवर्सिटी, डेनमार्क के अलबोर्ग यूनिवर्सिटी, इटली के रोम यूनिवर्सिटी, कनाडा के मैक्गिल यूनिवर्सिटी और स्विट्जरलैंड लांसेन के स्विस फेडरल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट पार्टिसिपेट करेंगे। इस दौरान आईआईआईटी डायरेक्टर सहित सभी यूनिवर्सिटीज के प्रतिनिधि मौजूद रहे थे। मेमोरेंडम में कहा गया है कि ये यूनिवर्सिटीज अपने खर्च पर कम से कम पांच से दस स्टूडेंट्स को अगले साल 8 से 14 दिसंबर के बीच होने वाले कॉन्क्लेव में भेजेंगी। आईआईआईटी उनके रहने, खाने, चिकित्सा आदि की सुविधाएं अवेलेबल कराएगा। यह द्विपक्षीय समझौता एक जनवरी 2014 से लागू होगा।

Sensor control  करेगा बिजली और पानी का wastage

वेडनसडे को कॉन्क्लेव का फस्र्ट सेशन और दिनों से अलग था। इस दौरान नोबल साइंटिस्ट ने सामाजिक विकास की सुरक्षा में विज्ञान विषय पर पैनल डिस्कसन किया। इस दौरान साइंटिस्ट्स ने कहा कि इंडिया जैसी डेवलपिंग कंट्री में पानी और बिजली का वेस्टेज रोका जाना जरूरी है। इसके लिए घरों में सेंसर लगाए जाने चाहिए, जो अपने आप इनकी सप्लाई को टर्न ऑन या टर्न ऑफ कर दें। इंडिया के बड़े होटल्स या प्रतिष्ठानों में नहीं बल्कि यूरोपियन कंट्रीज में इस टेक्नोलॉजी का जबरदस्त यूज किया जा रहा है। महंगे होने की वजह से इस तरीके का अभी कॉमनली यूज नहीं हो पा रहा है। ऐसे में साइंटिस्ट्स के इस सुझाव को आईआईआईटी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को भेजेगा, ताकि इस पर फ्यूचर में पॉजिटिव वर्क हो सके।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए खोजें विकल्प

नोबल साइंटिस्ट प्रो। डगलस डी ओशरफ ने कहा कि जनसंख्या बढ़ोतरी मानवता के लिए चुनौती है। इस पर रोक लगाने के अधिक से अधिक विकल्प खोजे जाएं। प्रो। क्लाउट कोहेन तनोजी ने कहा कि पानी को पीने लायक बनाने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। प्रो। आइवर गीवर ने धन के मिसयूज पर अपनी बात रखी। सौर ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल के लिए उन्होंने साउथ कोरिया का एग्जाम्पल भी दिया। प्रो। जोसेफ सिफाकिस ने ऊर्जा के उत्पादन के साथ उसकी बचत पर भी जोर दिया। वहीं प्रो। सर रिचर्ड जे राबर्ट ने जहां ऐसी फसलों के उत्पादन पर बल दिया जिसमें पानी की कम आवश्यकता हो वहीं प्रो। सर्जे हरोश ने पॉलिटिशियन के उचित शिक्षण को देशहित के लिए जरूरी बताया। डिस्कसन में प्रो। आरपी अ्रग्रवाल, प्रो। रोसिस्टा बैटसन, प्रो। सत्य प्रकाश, प्रो। सतीश त्रिपाठी, प्रो। एम राधाकृष्ण आदि ने भी अपनी राय दी। प्रो। एमडी तिवारी ने कहा कि बढ़ती आबादी को देखते हुए लेटेस्ट टेक्निक का अधिकाधिक यूज होना चाहिए।

Creativity without border

अमेरिकी नोबल साइंटिस्ट प्रो। सर हेराल्ड क्रोटो ने अपने फस्र्ट लेक्चर को काफी दिलचस्प अंदाज में पेश किया। उन्होंने पार्टिसिपेंट्स को साइंस की फील्ड में क्रिएटिविटी का महत्व बताया। इस दौरान उन्होंने पीपीटी प्रजेंटेशन में हॉलीवुड मूवीज, सांग और म्यूजिक का एग्जाम्पल देते हुए आर्टिस्ट्स के लिए क्रिएटिव माइंड्स पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स अपने क्रिएशन के चरम पर हैं और इसका बेनिफिट उन्हें निश्चित मिलेगा अगर वह अपनी सोच को बदलें। उन्होंने कहा कि साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन के लंबे बालों वाली फोटो के साथ पसंद किया जाता है लेकिन यह किसी ने ध्यान नहीं दिया कि महज 17 साल की उम्र में उन्होंने प्रकाश की गति से चलने का सपना देखा था। उनकी क्रिएटिव सोच ने ही उन्हें बेहतरीन साइंटिस्ट बनने में हेल्प की।