प्रयागराज ब्यूरो । पौष्टिक मोटे अनाज के बारे में जागरूकता और जन भागीदारी की भावना पैदा करने के लिए आयुर्वेद विभाग उत्तर प्रदेश, विश्व आयुर्वेद मिशन, आरोग्य भारती एवं पारि-पुनर्स्थापना वन अनुसंधान केंद्र प्रयागराज की ओर से मंगलवार को माघ मेला काली मार्ग स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। अपने स्वागत भाषण में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ शारदा प्रसाद ने कहा कि स्वस्थ
राष्ट्र के लिए मोटे अनाज के प्रति जनजागरूकता समय की मांग है। मुख्य अतिथि आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव एवं आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सलाहकार समिति सदस्य डॉ अशोक कुमार वाष्र्णेय ने कहा कि पूरे विश्व में पोषण के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मोटे अनाज की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.
विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो। (डॉ) जी एस तोमर ने कहा कि मोटा अनाज हमारी प्राचीन सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह ग्रामीण स्वास्थ्य का रहस्य है। बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी, सांवा, कोदो, कुट्टू हमारे ग्राम्यांचल की रसोई का महत्वपूर्ण अंग हुआ करते थे। किसान एवं खेतिहर श्रमिकों का मुख्य भोजन मोटा अनाज ही रहा है यही कारण है कि इस वर्ग में कैल्शियम आयरन की कमी कम देखने को मिलती है। विशिष्ट अतिथि अपर मेला अधिकारी डॉ विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि हमारा पुराना खान पान चिकित्सकीय गुणों से युक्त था, लेकिन लाइफस्टाइल बदलने से हमारा खान पान भी बदल गया। एफ आर सी ई आर की वैज्ञानिक डॉ अनीता तोमर ने कृषि वानिकी में मिलेट लगाने और किसानों की आय बढ़ाने में मिलेट एवं वानिकी की भूमिका का जिक्र किया। डाबर इंडिया के जनरल मैनेजर डा दुर्गा प्रसाद ने बताया कि मोटे अनाज का उत्पादन पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी सहज है। इस अवसर पर आरोग्य भारती पूर्वी क्षेत्र संयोजक गोविंद जी, संग्राम सिंह, डा अजय मिश्र, डा एस के राय, डॉ भरत नायक, डॉ अशोक कुशवाहा, डॉ राजेन्द्र कुमार, डा रविंदर सिंह, डॉ दीपक सोनी, डॉ अवनीश पाण्डेय, डॉ हेमंत कुमार सिंह, डा वंदना यादव, डा खुशनुमा परवीन, डा अरुण दत्त राजौरिया, मुक्तेश मोहन शुक्ल, सतीश चन्द्र दुबे, राजकुमार मिश्र, किसान एवं छात्र छात्राए उपस्थित रहे।