प्रयागराज (ब्‍यूरो)। कोरोना की दूसरी लहर में जितने लोग प्रभावित हुए थे और जिनका कोई अपना इस आपदा में मृत हो गया, ऐसे बीस फीसदी लोग अभी भी पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर से परेशान हैं। यह लोग पुरानी यादों को भुला नही सके हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि अवसाद ग्रस्त होना और भरपूर नींद नही ले पाना ऐसे लोगों के खास लक्षण हैं। उनकी काउंसिलिंग की जा रही है और परिजनों को ध्यान रखने की हिदायत दी गई है। खासकर ऐसे लोगों के सामने तीसरी लहर संबंधी बातें करने से भी मना किया गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि जो लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं वह भी इस बारे में बात नही करना चाहते हैं।

खतरनाक हैं ये लक्षण

मनोवैज्ञानिक सदमे अक्सर आसानी से समझ नही आते। इनके खास लक्षण होते हैं। इनकी पहचान होने के बाद डॉक्टर्स इलाज की सलाह देते हैं-

- नींद ना आना

- अचानक चौक जाना

- थकान महसूस करना

- शरीर पूरी तरीके से थका हुआ होना

- घबराहट होना

- पसीना छूटना बहुत ज्यादा सोचते रहना

- भूख खत्म हो जाना

ऐसे मिलेगी सदमे से निजात

- बराबर करना मित्रों से बातचीत करना

- परिवार के लोगों के बीच अधिक समय बिताना

- कोई भी हंसी मजाक वाली मूवी देखना

- मनपसंद सीरियल एंज्वाय करना

- अपने आप को बिल्कुल अकेला न रखें

- प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें

- योग और जिम में अपने आप को पूरा टाइम दें

- कम से कम 7 से 9 घंटे की अच्छी नींद लें

- शराब सिगरेट गांजा भांग आदि नशे से दूर रहें

- मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की मदद लेना

शारीरिक आघात से लोग सर्जरी या दवा से उबर जाते हैं लेकिन मानसिक आघात लोगों को लंबे समय तक परेशान करता है। ऐसे लोगों के लक्षण पहचानकर उनको तत्काल काउंसिलिंग या इलाज उपलब्ध कराना चाहिए। अधिक देर करने से उनकी मानसिक हालत अधिक गंभीर हो सकती है। ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा अपने परिजन और दोस्तों की आवश्यकता होती है।

डॉ। अजय मिश्रा, मनोचिकित्सक