प्रयागराज ब्यूरो ।पब्लिक के द्वारा टैक्स के रूप में दिए गए पैसों से सरकार शहर को स्मार्ट बनाने में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इन पैसों से शहर में की जाने वाली कई व्यवस्थाएं तो हुईं हुईं पर उसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। शहर में जगह-जगह बनाए गए बस शेल्टर यानी
स्टॉपेज की भी दशा कुछ ऐसी ही है। चूंकि यहां पर सिटी या अन्य सरकारी बसों का ठहराव होता नहीं, लिहाजा यहां बस का इंतजार करने के बजाय लोग हाथ देकर जहां मन चाहते हैं वहीं रोक लेते हैं। चालक भी रोड पर ब्रेक मारकर खड़े हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में चौराहों के आसपास जाम जैसी स्थिति बन जाती है। बावजूद इसके इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में यह शहर स्मार्ट कैसे बनेगा? यह लोगों का एक बड़ा सवाल जिम्मेदार अफसरों से है।

ऐसे में कैसे स्मार्ट बनेगा यह शहर
स्मार्ट सिटी के तहत शहर के अंदर बस शेल्टर यानी स्टॉपेज बनाने का प्लान तैयार किया गया। प्लान के तहत बस स्टॉपेज बनाने के लिए रोड किनारे ऐसे स्थानों का चयन किया गया जहां यात्रियों को इसकी जरूरत महसूस की गई। पूरे शहर के अंदर 113 बस स्टॉपेज बनाने का काम प्रयागराज विकास प्राधिकरण को सौंपा गया। प्राधिकरण के द्वारा यह काम शुरू किया गया। काम करीब पूरा भी हो चुका है। मंशा थी कि इनके बन जाने के बाद सिटी व सरकारी बसें यहीं से सवारियों को उतारेंगी और बैठाएंगी। मगर ऐसा यह मंशा यहां पर धूल फांकती हुई नजर आ रही है। आज तक किसी भी स्टॉपेज सेंटर पर इन बसों का ठहराव नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में पूर्व की भांति परंपरागत तरीके से लोग जहां मन चाहते हैं हाथ देकर बसों को रोक लेते हैं। यही हाल सवारियों के उतरते वक्त भी होता है। बताते चलें कि सवारी के हाथ देते ही चालक रोड पर ही बसों को रोक कर उन्हें बैठाते हैं। ऐसे में जाम की समस्या बढ़ जाती है। लोगों का वक्त बेवजह बर्बाद होता है।


सरकार पब्लिक के द्वारा दिए गए टैक्स का पैसा लगाकर विकास के कार्य कराती है। मगर अधिकारी हैं पब्लिक का यह पैसा खर्च करके काम तो करा देते हैं। फिर उसकी कंडीशन क्या यह देखने का मुनासिब नहीं समझते। बस स्टॉपेज का भी हाल कुछ ऐसा ही है।
बबलू गौड़, कटरा

शहर में कई बस स्टॉपेज के लिए बनाए गए टीन शेड कंडम हो चुके हैं। यहां बसें तो मानों कभी रुकती ही नहीं। लोग रोड पर खड़े होकर बसों में चढ़ते व उतरते हैं। इससे जहां देखिए वहीं पर जाम की स्थिति बनी रहती है। चालकों को स्टॉपेज पर ही बस रोकने का आदेश होना चाहिए।
राजू, लाला की सराय

इस बस स्टॉपेज को यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया था। मगर उपेक्षा के चलते यह केवल शोपीस बन गर रह गए हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर इसे हम पैसे की बर्बादी कह सकते हैं। बसें रुकती नहीं तो कई इस बस स्टॉपेज पर वेट क्यों करेगा।
उमाकांत सरोज, सलोरी

यह तो चालकों की मनमानी और विभागीय उपेक्षा ही कही जाएगी। क्योंकि अधिकारी चाहेंगे और चालक बस स्टॉपेज के बजाय कहीं और बसों को खड़ी करें यह संभव नहीं है। इसके लिए इच्छा शक्ति के साथ बसों को रोकने के लिए एक नियम बनाया जाना चाहिए।
उज्ज्वल टण्डन, चौक



बस शेल्टर का काम विभाग के द्वारा कराया गया है। मगर जहां यह सेल्टर बनाए गए हैं उन स्थानों पर यात्रियों के ठहराव जैसा सर्वे जैसी कोई बात नहीं है। यह काम जरूरत व आवश्यकता के बेस पर कराया गया है। जहां पूरी तरह कम्प्लीट हो वहां बसें नहीं रुकतीं यह विषय पीडीए से सम्बंधित नहीं है।
कौशलेस चौहान, एक्सईएन पीडब्लूडी