प्रयागराज ब्यूरो । विश्व में हमारे देश का सबसे बड़ा योगदान सांस्कृतिक चेतना को आगे बढ़ाने का है। हमारा उद्देश्य सांस्कृतिक गतिविधियों से एकाग्रता और धैर्य बढ़ाना है। वास्तव में संगीत हमारी क्षमताओं को बढ़ाता है और हमें जीने की राह सुझाता है। यह बात स्पिक मैके के संस्थापक और आईआईटी, दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर पद्मश्री डा किरन सेठ ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज के स्टूडेंट्स से इंटरैक्टशन के दौरान कही।
भीतर से बनें स्मार्ट
डा सेठ ने कहा कि आज स्मार्ट फोन से लेकर स्मार्ट सिटी तक सब कुछ स्मार्ट हो रहा है, लेकिन हमारी भीतरी स्मार्टनेस न के बराबर है। हमें यह समझना होगा कि हमारी संगीत और हमारी कलाओं के प्रति हमारी समझ हमारी भीतरी स्मार्टनेस को बढ़ाती है। हमें यह भी समझना होगा कि शास्त्री संगीत और कलाएं केवल वाह वाह करने या फिर तालिया बजाने के लिए ही नहीं हैं, बल्कि हमें इनकी गहरी समझ भी रखनी होगी। डा सेठ ने विद्यार्थियों को एकाग्रता बढ़ाने के टिप्स दिये और ध्यान का अभ्यास भी करवाया। प्रारम्भ में सेन्टर के कोर्स कोआर्डिनेटर डा धनंजय चोपड़ा ने कहा कि स्पिक मैके संस्था विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में पिछले 46 वर्षों से महत्वपूर्ण योगदान देती आ रही है। युवाओं को चाहिए कि वे अपनी संस्कृति से लगातार रूबरू होते रहें और अपने व्यक्तित्व को पहले से बेहतर बनाते रहें। डा चोपड़ा ने पद्मश्री डा किरन सेठ का परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर स्पिक मैके का इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ऑनलाइन ग्रुप भी बनाया गया। डा मधु शुक्ला, विद्यासागर मिश्र, सचिन मेहरोत्रा, प्रियंका मिश्रा, शाम्भवी शुक्ला, प्रमोद शर्मा, जितेन्द्र सिंह यादव सहित बड़ी संख्या में बीए मीडिया स्टडीज, बीवोक मीडिया प्रोडक्शन और एमवोक मीडिया स्टडीज के विद्यार्थी शामिल थे।