प्रयागराज ब्यूरो । शहर में लोगों के घर भेजे गए वाटर टैक्स के बिल में जलकल विभाग के द्वारा बड़ा खेल कर दिया गया है। नियम व कानून को ताक पर रखकर किए गए इस खेल ने दो लाख से अधिक लोगों की जेब का बजट बिगड़ गया है। विभाग की तिजोरी भरने के उद्देश्य से खेले गए इस खेल के कारण लोगों के वाटर टैक्स का बिल कई गुना बढ़ गया है। बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, जो वित्तीय वर्ष समाप्त हो चुका है और लोग वाटर टैक्स का पेमेंट कर चुके हैं, विभाग उस साल का भी बढ़ाया गया वाटर टैक्स बताते हुए चालू वित्तीय वर्ष 2024-2025 के बिल में मर्ज कर दिया है। यही वह कारण है कि अचानक लोगों का वाटर टैक्स कई गुना बढ़ गया है। अब कुछ लोग इसे विभागीय अफसरों की चालाकी तो कुछ वाटर टैक्स पेयी इसे विभागीय अफसरों का तुगलकी फरमान करार दे रहे हैं। हालात और स्थिति एवं नियमों की विभाग द्वारा उधेड़ी गई धज्जियों के खिलाफ अब कुछ पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है। पार्षदों के द्वारा उठाए गए सवालों के बौछार का सामना कर रहे विभागीय अफसर इस खेल में सुधार को लेकर गेंद महापौर के पाले में डाल दिए हैं।

समझिए कैसे हुआ बिल में खेल
वाटर टैक्स के बिल में किए गए खेल को अच्छी तरह समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर गौर करना होगा। नगर निगम प्रयागराज में लोगों के घर वाटर सप्लाई की व्यवस्था का दारोमदार जलकल विभाग के कंधों पर है। इस नगरीय एरिया में विभाग के द्वारा कुल 2,36384 भवनों की संख्या बताई जाती है। जबकि पापुलेशन 18,45772 है। पूरे शहर में वाटर सप्लाई के लिए जलकल के द्वारा करीब 1700 किलो मीटर वाटर सप्लाई की पाइप बिछाई गई है। इसी पाइप लाइन के द्वारा लोगों के घरों में ट्यूबवेल और ओवर हेड टैंकों के जरिए पानी की सप्लाई की जाती है। जलकल विभाग के दस्तावेजों पर गौर करें तो घर में पानी के लिए करीब 2,14732 कनेक्शन हैं। करीब 402 एमएलडी पानी की हर रोज विभाग के द्वारा सप्लाई की जाती है। बताते हैं कि जलकल के द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2024-2025 का वाटर टैक्स बिल कनेक्शन धारकों के घर भेजा गया है। इस भेजे गए बिल में पिछले दो वर्षों की अपेक्षा टैक्स का पैसा कई गुना बढ़ा दिया गया है। इसी बिल के पैसों को बढ़ाने में ही जलकल के द्वारा किए गए खेल की बात सामने आई है।
कर दिया गया है रिवाइज
जानकार बताते हैं कि विभाग के द्वारा इस बार भेजे गए बिल में पिछले वित्तीय वर्ष 2022-2023 व 2023-2024 में बिल का पैसा रिवाइज यानी बढ़ाकर दिया गया है। इन पिछले वर्षों के इस बढ़ाए गए पैसे का कनेक्शन धारकों को विभागीय अफसर बकाएदार बताकर इस चालू वित्तीय वर्ष 2024-2025 के नए वाटर टैक्स के बिल में जोड़कर भेज दिया गया है। जबकि गौर करने वाली बात यह है वित्तीय वर्ष 2022-2023 व 2023-2024 में विभाग के जरिए जितना वाटर टैक्स मांगा उस पूरे पैसे को कनेक्शन धारक जमा कर चुके हैं। मतलब यह कि विभाग ने उन दो वित्तीय वर्षों में लोगों से जितने रुपये का वाटर टैक्स के रूप में डिमांड किया, सभी उसे जमा कर दिए। अब सवाल यह उठता है कि जब उन दोनों वर्षों का पूरा पैसा लोग जमा कर चुके हैं, तो कोई विभाग कनेक्शन धारकों को जबरन बकाएदार कैसे बना सकता है। वह भी तब जब वित्तीय वर्ष क्लोज हो चुके हैं। जब लोगों को पिछले वर्षों में एक भी रुपया बकाया था ही नहीं, तो विभाग इस साल बिल में उन वर्षों का बढ़ा हुआ पैसा कहां से और कैसे बता सकता है? हम आप को यह खेल भी बताएंगे। इसके पहले इस बढ़े हुए वाटर टैक्स पर उठ रहे सवालों को जान लीजिए। प्रश्न यह है कि जब लोग उन दोनों वर्षों में बकाएदार थे या फिर उनका बिल बढ़ाया गया था तो उसी साल बढ़ा पैसों की डिमांड उसी साल क्यों नहीं किया? यदि उन वर्षों में वाटर टैक्स का रिवाइज कर बिल नहीं बढ़ाया गया तो इस साल अचानक लोगों का बिल कैसे बढ़ा दिया गया? यही वह तमाम सवाल हैं जिसे लेकर कुछ लोग दबी जुबान इसे अफसरों की मनमानी और तुगलकी फरमान करार बता रहे हैं।


सदन में बगैर चर्चा बढ़ गया खर्चा?
पिछले दो वित्तीय वर्षों का वाटर टैक्स बिल बढ़ा कर चालू वित्तीय वर्ष के बिल में जोड़कर भेजा जाना नियम ही नहीं सदन के रूल्स का भी उल्लंघन है।
बढ़े हुए वाटर टैक्स को लेकर मोर्चा खोलने वाले पार्षद कहते हैं कि दरअसल वर्ष 2022 में नगर निगम ने जीआईएस सर्वे में हाउस टैक्स बढ़ाया था।
इसकी बाकायदे सदन की बैठक में चर्चा हुई थी, जिसका विरोध के बाद सदन के जरिए स्वकर निर्धारण प्रणाली व्यवस्था को लागू किया था।
अब जलकल विभाग के अफसरों का कहना है कि जब 2022 में हाउस टैक्स रिवाइज हुआ तो वह भी उसी के आधार पर वाटर टैक्स रिवाइज करके बढ़ाएंगे।
बस अफसरों की इसी बात को वह नियमों के विरुद्ध बता रहे हैं। कहना है कि कोई भी बिल या बजट लागू होने के पहले उस पर कार्यकारिणी व सदन की बैठक में चर्चा होती है।
सदन में पास होने के बाद ही उसे नगर निगम के द्वारा लागू किया जाता है। सदन में जीआईएस सर्वे में बढ़े हाउस टैक्स पर चर्चा हुई थी। मगर इस चर्चा में वाटर टैक्स शामिल नहीं था।
जिस बात पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई उसे अपने से नगर निगम का कोई विभाग शहर के लाखों लोगों के ऊपर कैसे थोप सकता है? कोई अधिकारी सदन से बड़ा नहीं हो सकता।


जलकल विभाग के द्वारा बढ़ाया गया वाटर टैक्स का बिल सरासर गलत है। ऐसा करना विभागीय ही नहीं सदन की प्रक्रिया के नियम के भी विरुद्ध है। जलकल महाप्रबंंधक को ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने महापौर से वार्ता बाद सुधार की बात कही है।
शिवसेवक सिंह, वरिष्ठ पार्षद/सदस्य कार्यकारिणी समिति नगर निगम

वाटर टैक्स में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं है। वाटर टैक्स रिवाइज किया गया है। रिवाइज में जो टैक्स बढ़ा है वही जोड़कर बिल भेजा गया है। कुछ पार्षदों के द्वारा ज्ञापन दिया गया है। महापौर से उस पर वार्ता की जाएगी।
कुमार गौरव, महाप्रबंध जलकल