प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज- आधुनिक जीवन में अन हेल्दी लाइफ स्टाइल इनफर्टिलिटी यानी बांझपन का बड़ा कारण बनती जा रही है। इसकी वजह से महिलाओं में पालिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानी पीओएस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि महिलाओं के जीवन को सबसे ज्यादा जंक फूड प्रभावित कर रहा है। इसके अधिक सेवन से महिलाएं मोटापे का शिकार हो रही है और उनमें बांझपन के लक्षण जन्म ले रहे हैं।

शादी के बाद ही होती है निराशा

आजकल महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कत पालिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से हो रही है। शादी के बाद दो से तीन साल तक गर्भधारण नही होने पर वह डॉक्टर्स से संपर्क करने लगती हैं। जांच में पता चलता है कि वह इस बीमारी का शिकार हो गई है। यही कारण है कि वह बच्चे को जन्म नही दे पा रही हैं। ऐसे में डॉक्टर्स को उनकी मेडिसिन चलोन के साथ उनकी लाइफ स्टाइल को हेल्दी बनाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। तब जाकर महिलाएं दोबारा गर्भधारण कर पाती हैं।

वजन बढऩा है घातक निशानी

आजकल किशोरावस्था में ही लड़कियां जंकफूड का सेवन करने लगती हैं। यह आदत आजीवन उनके साथ रह जाती है। इसका असर होता है कि अनावश्यक मोटापा उनको घेरने लगता है। इसकी वजह से उनके अंडाशय के आसपास छोटे छोटे सिस्ट बनने लगते हैं। इसकी वजह से वह गर्भधारण नही कर पाती हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण जंक फूड का सेवन और एक्सरसाइज नही करना है। खासकर जो लड़कियां या महिलाएं देर तक सोती हैं उनको भी पीओएस का खतरा होने लगता है।

बन रही है कॉमन प्राब्लम

डॉक्टर्स का कहना है कि आजकल के सिनेरियो में अगर सौ महिलाएं इनफर्टिलिटी का शिकार होकर आती हैं तो इनमें से 40 फीसदी महिलाओं में पीओएस कॉमन प्राब्लम बनकर सामने आता है। हालांकि इसका पूरी तरह से निदान हो जाता है। महिलाओं को मेडिसिन का सेवन करने के साथ हेल्दी लाइफ स्टाइल का पालन करने की हिदायत दी जाती है। इसके बाद वह कुछ ही माह बाद गर्भधारण करने के लायक हो जाती हैं।

बचना है तो इनका करें पालन

- मार्निंग में जल्दी उठने की आदत डालें।

- जंक फूड खाने से परहेज करें।

- रोजाना कम से कम आधा घंटे एक्सरसाइज करिए।

- खानपान में फाइबर का अधिक इस्तेमाल करना जरूरी।

- फल और हरी सब्जी का सेवन करिए।

- वजन बढऩे पर सतर्क होना जरूरी

बांझपन की शिकार महिलाओं में यह कॉमन प्राब्लम बनती जा रही है। हालांकि इस बीमारी का इलाज सौ फीसदी संभव है। इसमें पचास फीसदी मेडिसिन का रोल होता है और पचास फीसदी लाइफ स्टाइल में चेंज लाना होता है। ऐसी महिलाओं की काउंसिलिंग भी की जाती है।

डॉ। सोनिया सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ व निदेशिका नारायण स्वरूप अस्पताल मुंडेरा प्रयागराज