प्रयागराज (ब्‍यूरो)। माघी पूर्णिमा का स्नान आज है। इस दिन गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद कल्पवासियों के कठिन व्रत का समापन हो जाता है। बता दें कि कल्पवास पौष पूर्णिमा के स्नान से शुरू होता है और ाघी पूर्णिमा पर जाकर समाप्त हो जाता है। इसके बाद श्रद्धालु गंगा मैया से अगले वर्ष फिर बुलाने की प्रार्थना कर अपने घर को लौट जाते हैं।

शुक्रवार दोपहर से लगी पूर्णिमा तिथि
इस बार माघी पूर्णिमा का स्नान पर्व दो दिनों तक मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि शुक्रवार दोपहर 3 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर शनिवार की शाम 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। यही कारण है कि शुक्रवार की दोपहर से संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या में इजाफा होता रहा। लाखों की संख्या में लोगों के स्नान करने की संभावना व्यक्त की जा रही है। उदया तिथि के मुताबिक माघी पूर्णिमा शनिवार के दिन मान्य होगी।

गंगा जल में निवास करते हैं भगवान विष्णु
पुराणों के मुताबिक माघी पूर्णिमा पर भगवान श्रीविष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। यह भी मान्यता है कि चंद्रमा भी अपनी सोलह कलाओ में शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसका असर नदियों, पेड़ों, पक्षियों सहित हर जगह होता है और इनके संपर्क में आने से सभी रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से उत्पन्न होने वाले दोषों से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि श्रद्धालु इस दिन गंगा जल में जरूर स्नान करते हैं। अगर घर में ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान किया जाए तो पुण्य प्राप्त हो जाता है। साथ ही गंगा जल का आचमन भी करना चाहिए। माघी पूर्णिमा पर भगवान श्रीविष्णु का पूजन और व्रत करने से तमाम पापों से मुक्ति मिल जाती है।

किन चीजों का करना चाहिए दान
माघी पूर्णिमा पर तिल और कंबल का दान करने से मृत्युलोक से मुक्ति मिल जाती है। काले तिल से हवन करने के साथ इसी तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए। इससे पितरों की अतृप्त आत्मा को शांति मिलती है। माघी पूर्णिमा पर व्रत करने से संतान और स्वास्थ्य सुख की प्रापित होती है। इस दिन भगवान श्रीविष्णु के साथ हनुमानजी की भी पूजा की जाती है।

वापसी की तैयारी शुरू
शनिवार को माघी पूर्णिमा का स्नान करने के बाद कल्पवासी रविवार को ब्राम्हणों को भोजन आदि कराएंगे। दान पुण्य करने के बाद वह सभी रविवार की शाम या फिर सोमवार को विदा लेंगे। हालांकि उनकी विदाई की तैयारियां शुरू हो गई है। कल्पवासियों के टेंट में सगे संबंधी पहुंचने लगे हैं। सभी साजो सामान लेकर साथ ही घर की ओर लौटेंगे। यही कारण रहा कि शुक्रवार से मेला एरिया में भीड़ बढऩे लगी थी।