प्रयागराज (ब्यूरो)आर्थराइटिस एक साइलेंट डिजीज है जो तेजी से पैर पसार रही है। लगभग प्रत्येक घर में इस बीमारी एक मरीज मौजूद हैं। यह हम नही कह रहे हैं। खुद डब्ल्यूएचओ (वल्र्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन) ने आर्थराइटिस यानी गठिया के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जिस रफ्तार से बीमारी बढ़ रही है, आने वाले समय में दूसरी एपिडेमिक घोषित हो सकती है। संगठन ने मोटापे को इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण बताया है।
वजन कंट्रोल करना जरूरी
यह भी कहा गया है कि अगर वजन नियंत्रण में नही है तो आर्थराइटिस होने के चांसेज बढ़ जाते हैं।
घुटनों के जोड़ पर अधिक वजन पडऩे की वजह से कार्टिलेज डैमेज होने लगती है और धीरे धीरे यह आर्थराइटिस का रूप ले लेती है।
मोटापे का सबसे बड़ा कारण खानपान में लापरवाही और तनाव है।
एक्सरसाइज नही करना और अन हेल्दी फूडिंग मोटापे को बढ़ाने का काम करती है।
आर्थराइटिस के 60 फीसदी केसेज में मोटापा बड़ा रिस्क फैक्टर साबित होता है।

एसआरएन में है सस्ता नी ट्रांसप्लांट
फस्र्ट स्टेज मेें अगर आर्थराइटिस का इलाज नही कराया जाता है तो फिर नी ट्रांसप्लांट ही इसका एकमात्र इलाज रह जाता है।
खासकर थर्ड और फोर्थ स्टेज में यह जरूरी हो जाता है। एसआरएन हॉस्पिटल में इस समय 70 से 80 हजार रुपए में सक्सेज नी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है।
जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इसकी कीमत 2 से 2.5 लाख हो चुकी है।
डॉक्टर्स की माने तो ट्रांसप्लांट का सक्सेज रेट भी बढ़ गया है।
एडवांस टेक्नोलाजी के चलते लोगों का ट्रांसप्लांट पर विश्वास बढ़ गया है।

आर्थराइटिस के लक्षण
- जोड़ों का दर्द
- जकडऩ
- सूजन
- एक जगह लंबे समय तक बैठने पर पैर सीधे करने में परेशानी
- चलते समय घुटनों में दर्द
- जाइंट्स के आसपास की मसल्स का कमजोर होना
- घुटनों में झनझनाहट
आर्थराइटिस के अहम कारण
- जाइंट्स पर अधिक जोर पडऩा
- उम्र का पचास साल से अधिक होना
- घुटने पर किसी प्रकार की चोट लगना
- बॉडी वेट का अधिक हो जाना
- आटो इम्यून डिसआर्डर के कारण
- जीन या फैमिली हिस्ट्री होने पर
- मसल्स के कमजोर हो जाने पर

वर्क फ्रॉम होम ने बढ़ाई दिक्कत
44 साल के देवेश सिंह एक मल्टीनेशनल कंपनी में एकाउंट की जॉब कर रहे हैं। कोरोना के बाद से कंपनी ने उन्हें वर्क फ्राम होम का आप्शन दे रखा है। इसके चलते पिछले तीन साल में उनका वजन बढ़ गया है। पिछले छह माह से उनके दाएं घुटने में पेन हो रहा है। उन्होंने डॉक्टर से सलाह ली तो पता चला कि उन्हे आर्थराइटिस की प्राब्लम हो रही है। फिलहाल उनका इलाज चल रहा है।

आटोमोबाइल कंपनी में फील्ड सुपरवाइजर नितिन गुप्ता चार माह पहले बाइक से गिर गए थे। इसके बाद उनके बाएं घुटने में दर्द होने लगा। जब दिक्कत बढऩे लगी तो उन्होंने डॉक्टर को दिखाया। उन्हे बताया गया कि उनका कार्टिलेज डैमेज हो गया है और इसका इलाज होगा। वह आर्थराइटिस की पहली स्टेज में हैं।

बेनीगंज की रहने वाली स्मिता श्रीवास्तव सरकारी स्कूल में टीचर हैं। वजन अधिक होने की वजह से उन्हें चार साल से आर्थराइटिस की समस्या है। काफी इलाज के बाद भी उनका वजन कम नही हुआ तो आर्थराइटिस से भी आराम नही मिला। हाल ही में उन्होंने घुटने का ट्रांसप्लांट कराया है। इसमें उनके दो लाख रुपए खर्च हो गए।

बचाव के तरीके
हेल्दी वेट मेंटेन रखें।
खुद को एक्टिव बनाएं।
जाइट्स की चोट से बचाव करें।
हेल्दी डाइट को फालो करें।
अपने स्ट्रेज को मैनेज करें।
स्मोकिंग से दूरी बनाकर रखें।
पानी का भरपूर सेवन करें।
रोजाना प्रापर एक्सरसाइज करें।

डब्ल्यूएचओ ने सही चेतावनी जारी की है। लोगों को जागरुक हो जाना चाहिए। हर घर में एक आर्थराइटिस का मरीज है। मोटापा भी इसका एक बड़ा कारण है। एसआरएन अस्पताल में काफी कम कीमत में नी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है।
डॉ। एके वर्मा
डिपार्टमेंट आफ आर्थोपेडिक्स, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

आर्थराइटिस एक कॉमन बीमारी की तरह है और मोटापा इसका सबसेे बड़ा कारण है। लोग प्रापर एक्सरसाइज नही करते और अनियमित खानपान करते हैं। इसकी वजह से उनका वजन बढऩे लगता है। इस ओर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
डॉ। एआर पाल
आर्थोपेडिक सर्जन, बेली अस्पताल प्रयागराज