-माफिया अतीक से अलग होने के बाद शुरू कर दिया था प्लॉटिंग का काम
-हत्या के एक मामले में जेल में है जाबिर, जबकि भाई कम्मो है अंडरग्राउंड
PRAYAGRAJ: राशिद पहले आलू का व्यापार किया करता था। जबकि कम्मो और उसका भाई जाबिर बेकार थे। तीनों ने पूर्व सांसद व माफिया अतीक का हाथ पकड़ लिए। विश्वास जमा तो अतीक के खास बन गए। सरगना अतीक ने हाथ रखा तो आईएस 227 गैंग में इनकी धाक जम गई। कुछ दिन बाद कम्मो और जाबिर का नाम अतीक के शूटर के रूप में सामने आया। दोनों के बेदाग दामन पर अपराध का दाग लग गया।
राशिद करता था आलू का व्यापार
हत्या के एक मामले में जाबिर इस वक्त जेल में है। जबकि कम्मो फरार चल रहा है। इन दिनों शुरू हुई कार्रवाई को देखते हुए राशिद भी अंडर ग्राउंड बताया जा रहा। पुलिस के मुताबिक अतीक के साथ अपराध की दुनिया में नाम कमाने के बाद तीनों उनसे अलग हो गए, खुद ग्रुप बनाकर प्रॉपर्टी डीलिंग करने लगे। कैंट पुलिस की मानें तो बेली गांव निवासी जाबिर पर 18 और कम्मो के खिलाफ 16 मुकदमे हैं। इनके विरुद्ध ज्यादातर मुकदमे धूमनगंज और कैंट और कुछ करेली थाने में हैं।
यहां से रिश्तों में आई थी दरार
बताते हैं कि सपा सरकार में कम्मो और जाबिर ने करेली थाना क्षेत्र स्थित कब्रिस्तान की कुछ जमीन को प्ला¨टग करके बेच दिया था।
तमाम लोगों ने उस जमीन पर मकान भी बनवा लिया था। इससे नाराज अतीक ने जेसीबी लगवाकर मकान ढहा दिया था।
यहीं, से उनके रिश्तों में खटास आ गई। इसके बाद वर्ष 2015 में ईद के दिन धूमनगंज थाना क्षेत्र के मरियाडीह में प्रधान आबिद की चचेरी बहन अल्कमा और ड्राइवर को गोलियों से भून दिया गया था।
दोहरे हत्याकांड में आबिद ने कम्मों और जाबिर समेत सात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। गलत नामजदगी का आरोप लगाते हुए हंगामा भी हुआ था।
इससे मामला और बिगड़ गया। सरकार बदलने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर दोहरे हत्याकांड की विवेचना शुरू हुई तो कहानी पलट गई।
पुलिस ने दावा किया कि अतीक और अशरफ के इशारे पर आबिद प्रधान ने साजिशन हत्या करवाई और फिर दोनों भाइयों को फंसा दिया।
इस घटनाक्रम के बाद कम्मो और जाबिर ने खुद को अतीक गैंग से अलग करके नया गुट बनाया। फिर अपराध के बल पर प्रापर्टी डी¨लग का काम शुरू कर दिया।
तीनों के खिलाफ दर्जन भर से अधिक मुकदमें हैं। कई मुकदमें दूसरे थानों में दर्ज थे। खोजने के बाद यह मालूम चला। पड़ताल में पता चला कि राशिद पहले आलू का व्यापार करता था।
नीरज वालिया, इंस्पेक्टर कैंट