प्रयागराज ब्यूरो । हर हाथ में माला और फूल व प्रसाद था। आंखों में करुणा मई मां के दर्शन की चाहत झलक रही थी। लबों पर था तो बस माता रानी का जयकारा। दिल में मां भगवती के प्रति अगाध श्रद्धा के भाव हिलोरे मार रहे थे। माता रानी की एक झलक पाने के लिए सभी घंटों कतार में खड़े रहे। दर्शन पाते ही चेहरे पर सुकून भरे भाव के साथ लोग मंदिरों से बाहर आए। कुछ ऐसा ही नजारा मंगलवार को नवरात्र की अष्टमी तिथि पर देवी मंदिरों में दिखाई दिया। अष्टमी पर मां के महागौरी स्वरूप की विधि विधान से पूजा अर्चन किया गया। तमाम भक्त घर से लेकर मंदिरों में भी मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करके देवी रूप में कन्याओं का पूजन व भोजन किया।

नवमी पर हवन बाद होगा व्रत पारण
शहर स्थित मां अलोपशंकरी मंदिर में सुबह से ही जबरदस्त भीड़ रही। प्रबंधक श्रीमहंत यमुना पुरी ने पालने की आरती उतारकर जनकल्याण की कामना की। मां कल्याणीदेवी मंदिर में सुशील पाठक व श्याम जी पाठक ने विधि-विधान से मइया का श्रृंगार करके आरती उतार कर पूजा पाठ किया। इसी तरह मां ललिता देवी मंदिर में मइया का रत्नजडि़त आभूषणों से श्रृंगार हुआ। मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा ने पूजन करके जनकल्याण की कामना की। मां खेमा मायी का भी विधि- विधान से श्रृंगार करके भक्तों ने पूजा पाठ किया। श्रीश्री सर्व सिद्ध पुरातन कालीबाड़ी ट्रस्ट की ओर से मां काली का श्रृंगार किया गया। ट्रस्ट के सचिव रितेंद्र कुमार कीर्ति ने बताया कि चैत्र नवरात्रि महाष्टमी महानवमी संधि-क्षण में संधी पूजा में मां काली के दरबार में जनकल्याण का विशेष अनुष्ठान किया गया। 108 दीपदान, बलिदान, महाभोग, महाआरती, विश्व शांति के लिए अनुष्ठान हुआ। नवरात्र का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करके हवन किया। मइया से भूलचूक की क्षमायाचना की। वहीं, ज्यादातर भक्त नवमी तिथि पर यानी गुरुवार को हवन करके व्रत का पारण करेंगे।