प्रयागराज ब्यूरो । मेजा का रहने वाला संदीप पाल उर्फ पवन पाल उर्फ आकाश शुक्ला ने सेना में नौकरी दिलवाने के नाम पर सवा करोड़ रुपये ठग लिए। मामले की शिकायत पर मिलिट्री इंटेलीजेंस लखनऊ टीम एक्टिव हुई। इसके बाद चार लोग पकड़े गए। दो प्रयागराज के रहने वाले हैं। इनमें से एक संदीप पाल गैंग का सरगना है। चारों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। मेजा पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। बताया जा रहा है कि अभी इस गैंग के तीन लोग फरार हैं।

संदीप ने रचा ठगने का षणयंत्र
मेजा गोसौरा गांव का रहने वाला संदीप पाल ने अपने साथी देवेश शुक्ला के साथ बड़ी ठगी करने का षडयंत्र रचा। दोनों ने मिलकर सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर युवकों को ठगने का षणयंत्र बनाया। इसके बाद दोनों एक्टिव हो गए।
ठगी में मददगार बना आदिल
आदिल गाजियाबाद के किदवई नगर का रहने वाला है। आदिल गाजियाबाद में खेलकूद एकेडमी चलाता है। उसकी 2019 में मोदी नगर में खेल कूद प्रतियोगिता के दौरान देवेश शुक्ला से जान पहचान हुई। इसके बाद दोनों में बातचीत होती रहती थी। इधर जब देवेश और संदीप ने सेना में भर्ती के नाम पर ठगने का षडयंत्र रचा तो दोनों सेना भर्ती वाले जवान खोजने लगे। देवेश को आदिल की याद आई। देवेश ने आदिल से सम्पर्क किया। इसके बाद आदिल ने अपनी एकेडमी में आने वाले लड़कों को सेना में नौकरी दिलाने का लालच दिया। आदिल ने 28 युवकों को एक_ा किया। युवाओं से छह से आठ लाख रुपये की वसूली हुई। कुल रकम एक करोड़ सत्रह लाख रुपये इक_ा हुई। जिसे आदिल ने संदीप पाल, अभिषेक पाल, उत्कर्ष पाल, संदीप कुमार पाल, देवेश शुक्ला, रामचंद्र शुक्ला और साक्षी शुक्ला के खाते में भेजा।

चाचा बंद गया सरगना संदीप
देवेश ने आदिल की मुलाकात संदीप से कराई। मगर संदीप का परिचय अपने चाचा आकाश शुक्ला के रूप में कराई। देवेश ने आदिल को बताया कि उसके चाचा आकाश शुक्ला भर्ती कराने का ठेका लेते हैं। देवेश ने आदिल को संदीप के गांव बुलाया। वहीं मुलाकात हुई। इसके कुछ दिनों बाद आदिल को पता चल गया कि आकाश शुक्ला नाम फर्जी है। असली नाम संदीप पाल है। चूंकि वसूली हो चुकी थी, ऐसे में राज खुलने के बाद आदिल विरोध नहीं कर पाया।

फर्जी साबित हो गया नियुक्ति पत्र
सभी 28 युवकों को संदीप पाल ऊर्फ आकाश शुक्ला ने फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र जारी कर दिया। युवक अपना नियुक्ति पत्र लेकर ट्रेनिंग सेंटर रांची और नासिक गए तो वहां पता चला कि युवकों के नाम का कोई नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया है। ट्रेनिंग सेंटर के अफसरों ने मामले को गंभीरता से लिया। वहां कुछ युवकों को रोक लिया गया। उन युवकों ने आदिल के बारे में जानकारी दी। मिलिट्री इंटेलीजेंस ने आदिल को गाजियाबाद से पकड़ा तो उसने प्रयागराज के संदीप पाल का नाम बताया। इसके बाद मिलिट्री इंटेलीजेंस लखनऊ की टीम मेजा पहुंची। यहां पर पुलिस की मदद से संदीप पाल को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद देवेश को पकड़ा गया। दोनों से जानकारी होने पर पुलिस ने धूमनगंज के संदीप पाल को पकड़ा। मेजा पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया है।