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एसआरएन हॉस्पिटल में अब होगी सेंट्रलाइज्ड आक्सीजन सप्लाई

एक करोड़ की लागत से लग रहा प्लांट, सिलेंडर की सप्लाई होगी बंद

ALLAHABAD: एसआरएन हॉस्पिटल में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई शुरू होने जा रही है। हॉस्पिटल बिल्डिंग में पाइप लाइन बिछाई जा रही है और वार्ड टू वार्ड मरीजों तक इससे मरीजों को कृत्रिम सांस उपलब्ध होगी। हॉस्पिटल में सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई का काम जर्मन कंपनी लिंडे इंडिया को दिया गया है। इसके द्वारा अक्टूबर के अंत तक ऑक्सीजन सप्लाई इमरजेंसी से लेकर तमाम वार्डो तक शुरू करा दी जाएगी। फिलहाल रोजाना 350 से 400 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होती है और इनकी रोजाना सप्लाई होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जाम या दूसरे कारणों से सिलेंडर नहीं पहुंचने से क्राइसिस की संभावना बन जाती है।

ऐसे काम करेगा सिस्टम

-हॉस्पिटल कैंपस में बीस हजार लीटर क्षमता का एक टैंकर बनाया जाएगा।

-इसमें माइनस 183 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर लिक्विड ऑक्सीजन स्टोर की जाएगी।

-इसे गैस में कनवर्ट कर पाइप लाइन के जरिए वार्डों में सप्लाई किया जाएगा। मरीज को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन दी जाएगी।

-इससे सिलेंडर के रख-रखाव का झंझट खत्म हो जाएगा।

-हाल ही में पीजीआई लखनऊ में यह सिस्टम इंस्टाल किया गया है।

कॉस्ट में आएगा बड़ा अंतर

वर्तमान में रोजाना मंगाए जाने वाले 350 ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कास्ट 70 हजार रुपए के आसपास पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई इससे 40 फीसदी सस्ती यानी 28 हजार रुपए कम कीमत की होगी। इससे हॉस्पिटल प्रशासन सहित सरकार का पैसा भी बचेगा। इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी की संभावना भी खत्म हो जाएगी।

कुंभ के मद्देनजर चल रही तैयारी

यह तैयारी कुंभ के मद्देनजर चल रही है। गवर्नमेंट की मंशा है कि मेले से पहले मंडल के सबसे बड़े एसआरएन हॉस्पिटल को समस्त सुविधाओं से लैस कर दिया जाए, ताकि जिससे दूर दराज से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को जरूरत पड़ने पर उचित इलाज मुहैया कराया जा सके।

फैक्ट फाइल

3000 मरीज रोजाना आते हैं एसआरएन हॉस्पिटल में

50 से 60 मरीज रोजाना भर्ती होते हैं यहां

10 हैं यहां कुल वार्ड

1000 है कुल बेडों की संख्या

350 रोजाना आने वाले सिलेंडर

70 हजार रुपए है कीमत

01 करोड़ सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सप्लाई की लागत

यह एक बड़ा कदम है। अक्टूबर के अंत तक मरीजों को यह सुविधा मिलने लगेगी। अब सिलेंडर सप्लाई का इंतजार या क्राइसिस से नहीं जूझना होगा। कंपनी की ओर से टाइम टू टाइम टैंकर को फिल कराया जाएगा और बेड टू बेड मरीज को ऑक्सीजन उपलब्ध होगी।

-प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज