सर्किट के लिए बना मुन्नाभाई

Munnabhai arrested in RRB exam

Allahabad: सुपर हिट मूवी मुन्नाभाई में मुन्ना के लिए सर्किट कुछ भी कर गुजरता था। लेकिन संडे को रेलवे भर्ती बोर्ड के एग्जाम में फ्राड का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया जिसमें सर्किट को एग्जाम पास कराने के लिए एक स्टूडेंट मुन्नाभाई बनकर एग्जाम देने के लिए चला आया। एग्जाम शुरु होने के बाद जब फोटो ग्राफ चेक की तो फिर मुन्नाभाई बनकर आए यह महाशय धर लिए गए। उसने इसके पीछे दोस्ती का हवाला दिया है। इनको करेली पुलिस को सौंप दिया गया है। मामला करेली के सहारा पब्लिक स्कूल सेंटर का है। प्रिसिंपल ने अंशुमन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। फ्राड की कई गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर पुलिस उसको जेल भेजने की तैयारी कर रही है।  

मेरा दोस्त है रूम में साथ रहता था 
करेली एसओ ने बताया कि पकड़े गए मुन्नाभाई का नाम अंशुमन सिंह है। वह आजमगढ़ का रहने वाला है। अंशुमन अपने दोस्त व रूम पार्टनर ओम प्रकाश की जगह पर एग्जाम देने के आया हुआ था। पूछताछ में बताया कि ओमप्रकाश सुल्तानपुर का रहने वाला है। बैरहाना में वह दोनों एक ही रूम में रहकर स्टडी कर रहे है। बकौल अंशुमन, ओमप्रकाश पढऩे में कमजोर था, इसलिए एग्जाम में मुझे बैठने के लिए रिक्वेस्ट की थी। उसकी बात मानकर मैं एग्जाम देने के लिए पहुंच गया। पुलिस को यह बात हजम नहीं हो रही है कि सिर्फ दोस्ती में अंशुमन अपना करियर दांव पर लगाएगा। वह इस समय बीकाम सेकंड ईयर का स्टूडेंट है. 

पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले 
आरआरबी परीक्षा में इससे पहले भी इस तरह से कई मामले सामने आ चुके है। 2008 में तो एसटीएफ ने पेपर लीक का मामला पकड़ा था, जिसके बाद आरआरबी को एग्जाम कैंसिल करना पड़ गया था। हालांकि रेलवे बोर्ड द्वारा एग्जाम प्रोसेस में कई चेंज करने के बाद कुछ सुधार आया था। सीनियर सोर्स बताते है कि रेलवे भर्ती बोर्ड में दलालों का एक पूरा सिडिकैट है, जो अभी भी मौका मिलते ही काम शुरु कर देता है। एसओ का कहना है कि पूछताछ के बाद पूरी स्थिति क्लीयर हो पाएंगी। फिलहाल, पुलिस ओमप्रकाश की तलाश में जुटी हुई है. 

क्या आरआरबी से टूट रहा है कैंडीडेट्स का भरोसा? 
संडे को हुए रेलवे एग्जाम में आरआरबी ने करीब 96 हजार कैंडीडेट्स को एडमिट कार्ड इश्यू किया था। जबकि एग्जाम में दोनों शिफ्ट में सिर्फ 35851 कैंडीडेट्स शामिल हुए। आरआरबी के मुताबिक यह उपस्थिति का प्रतिशत करीब 37 प्रतिशत रहा है। इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे है। एक तो इस भर्ती का फार्म 2010 में फिल करवाया गया था, और दूसरा रीजन यह कि आरआरबी में पिछले सालों में करप्शन के मामले सामने आने के बाद कैंडीडेट्स का दूसरे एग्जाम की तरफ डाइवर्ट हो गए. 

 इलाहाबाद के सभी सेंटर्स पर एग्जाम शांतिपूर्ण रहा है। किसी भी जगह से कोई सूचना फिलहाल नहीं मिली है. 
-संजीव माथुर, चेयरमैन 
मेरा दोस्त है रूम में साथ रहता था 

करेली एसओ ने बताया कि पकड़े गए मुन्नाभाई का नाम अंशुमन सिंह है। वह आजमगढ़ का रहने वाला है। अंशुमन अपने दोस्त व रूम पार्टनर ओम प्रकाश की जगह पर एग्जाम देने के आया हुआ था। पूछताछ में बताया कि ओमप्रकाश सुल्तानपुर का रहने वाला है। बैरहाना में वह दोनों एक ही रूम में रहकर स्टडी कर रहे है। बकौल अंशुमन, ओमप्रकाश पढऩे में कमजोर था, इसलिए एग्जाम में मुझे बैठने के लिए रिक्वेस्ट की थी। उसकी बात मानकर मैं एग्जाम देने के लिए पहुंच गया। पुलिस को यह बात हजम नहीं हो रही है कि सिर्फ दोस्ती में अंशुमन अपना करियर दांव पर लगाएगा। वह इस समय बीकाम सेकंड ईयर का स्टूडेंट है. 

पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले 

आरआरबी परीक्षा में इससे पहले भी इस तरह से कई मामले सामने आ चुके है। 2008 में तो एसटीएफ ने पेपर लीक का मामला पकड़ा था, जिसके बाद आरआरबी को एग्जाम कैंसिल करना पड़ गया था। हालांकि रेलवे बोर्ड द्वारा एग्जाम प्रोसेस में कई चेंज करने के बाद कुछ सुधार आया था। सीनियर सोर्स बताते है कि रेलवे भर्ती बोर्ड में दलालों का एक पूरा सिडिकैट है, जो अभी भी मौका मिलते ही काम शुरु कर देता है। एसओ का कहना है कि पूछताछ के बाद पूरी स्थिति क्लीयर हो पाएंगी। फिलहाल, पुलिस ओमप्रकाश की तलाश में जुटी हुई है. 

क्या आरआरबी से टूट रहा है कैंडीडेट्स का भरोसा? 

संडे को हुए रेलवे एग्जाम में आरआरबी ने करीब 96 हजार कैंडीडेट्स को एडमिट कार्ड इश्यू किया था। जबकि एग्जाम में दोनों शिफ्ट में सिर्फ 35851 कैंडीडेट्स शामिल हुए। आरआरबी के मुताबिक यह उपस्थिति का प्रतिशत करीब 37 प्रतिशत रहा है। इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे है। एक तो इस भर्ती का फार्म 2010 में फिल करवाया गया था, और दूसरा रीजन यह कि आरआरबी में पिछले सालों में करप्शन के मामले सामने आने के बाद कैंडीडेट्स का दूसरे एग्जाम की तरफ डाइवर्ट हो गए. 

 इलाहाबाद के सभी सेंटर्स पर एग्जाम शांतिपूर्ण रहा है। किसी भी जगह से कोई सूचना फिलहाल नहीं मिली है. 

-संजीव माथुर, चेयरमैन