- रेल संपत्ति का इस्तेमाल करने के साथ खर्च बचाने का निकाला तरीका

- बाउंड्रीवाल से अतिक्रमण व जानवरों के आने की समस्या हो रही कम

रेलवे ट्रैक के किनारे जगह-जगह अनयूज्ड स्लीपर यहां-वहां पड़े रहते हैं। कई स्लीपर तो चोरी हो जाते हैं। जिससे रेलवे को नुकसान होता है। अन्यूज्ड स्लीपर का इस्तेमाल करने और रेलवे का खर्च बचाने के लिए एनसीआर ने अनयूज्ड स्लीपर से बाउंड्रीवाल बनाने का नया तरीका अपनाया है। जो सक्सेस होने के साथ ही काफी पसंद किया जा रहा है।

प्रयागराज मंडल ने भी किया यूज

एनसीअर ने प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट के स्लीपरों के प्रयोग से रेलवे ट्रैक के किनारे बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए ड्राइंग जारी की है। इस ड्राइंग के अनुसार कार्य करते हुए आगरा मंडल ने आगरा- मथुरा खंड में 500 मीटर की बाउंड्रीवाल का निर्माण किया है और 1.5 किलोमीटर के एक और पैच पर काम कर रहा है। प्रयागराज मण्डल ने भी सूबेदारगंज स्टेशन पर लगभग 100 मीटर तक बाउंड्रीवाल का निर्माण किया है।

तो रेलवे का बचेगा खर्च

52 किलोग्राम ट्रैक संरचना से 60 किलोग्राम ट्रैक संरचना में उन्नयन कार्य और ट्रैक के नवीनीकरण के दौरान भारी मात्रा में अनुपयोगी पीएससी स्लीपर निकलते हैं। ये स्लीपर न केवल पटरियों के रखरखाव के संबंध में अनुपयोगी हैं, बल्कि इनको रखने के लिए ट्रैक के किनारे के बहुमूल्य जगह की भी जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त इसके धातुई हिस्से को रिसाइकल करना काफी खर्चीला एवं पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है। उमरे द्वारा तैयार की गई योजना के तहत इन रिलीज किए गए स्लीपरों का उपयोग मजबूत बाउंड्रीवाल बनाने के लिए किया जा सकता है। नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली- मुंबई के बीच एनसीआर द्वारा 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेनें चलाने के लिए बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया जाना है। अगर अनुपयोगी स्लीपर से बाउंड्रीवाल का निर्माण सक्सेस हुआ तो रेलवे का काफी खर्च बच सकता है।

अनयूज्ड कंक्रीट स्लीपर का बाउंड्रीवाल बनाने में इस्तेमाल कई मायनों में बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इससे जगह की बचत होगी वहीं सुरक्षा मानकों में भी मजबूती मिलेगी।

अजीत कुमार सिंह

पीआरओ एनसीआर