इन्हें सितंबर 2018 तक बंद करने का है लक्ष्य
allahabad@inext.co.in ALLAHABAD: रेलवे की लाख कोशिश, जागरुकता अभियान व सतर्कता के बाद भी मानव रहित रेलवे क्रासिंग लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। वहां आए-दिन हादसे होते रहते हैं। 2016 तक एनसीआर में जहां मानव रहित रेलवे क्रासिंग की संख्या 200 के पार थी, अब ये घट कर 79 रह गई है।

पहले से काफी कम हुई है संख्या
सुरेश प्रभु के बाद रेल मंत्री की जिम्मेदारी संभालते ही रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मानव रहित रेलवे क्रासिंग को बंद करने को लेकर गंभीरता दिखाई थी। उन्होंने एक वर्ष के अंदर सभी मानव रहित रेलवे क्रासिंग को बंद करने का आदेश दिया था। एक वर्ष के अंदर सभी क्रासिंग तो बंद नहीं हुए, लेकिन इनकी संख्या में काफी कमी आई है।

लक्ष्य से अधिक किए गए बंद
2017-18 से पहले एनसीआर में मानव रहित रेलवे क्रासिंग की संख्या 154 थी। वित्तीय वर्ष 2017-18 में एनसीआर के 73 मानव रहित रेलवे क्रासिंग को बंद करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था और लक्ष्य से अधिक 75 को बंद किया गया। एनसीआर में अब 79 मानव रहित रेलवे क्रासिंग बचे हैं, जिन्हें सितंबर 2018 तक बंद करने का लक्ष्य जीएम एनसीआर एमसी चौहान ने निर्धारित किया है।

मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर हादसे

25

लोगों की मौत हुई थी 25 मई 1996 में वाराणसी क्रासिंग के पास ट्रैक्टर-ट्राली और इलाहाबाद पैसेंजर की टक्कर में

04

लोगों की मौत हुई थी ज्ञानपुर रोड स्टेशन और सरायजगदीश हाल्ट के बीच 11 मई 2015 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस और कार की टक्कर में

03

लोगों की मौत हुई थी 14 जून 2015 को जंघई रेलवे स्टेशन के पास इंटरसिटी एक्सप्रेस से बोलेरो की टक्कर में

02

लोगों की मौत हुई थी 31 अगस्त 2012 को सरायइनायत क्षेत्र में ट्रेन और कार की टक्कर में

10

लोगों की मौत हुई थी 2010 में प्रतापगढ़ में सरयू एक्सप्रेस और ट्रैक्टर-ट्राली की टक्कर में, 45 से ज्यादा लोग हुए थे घायल

08

बच्चों की मौत हुई थी 25 जुलाई 2016 को भदोही स्थित कैयरमऊ मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर ट्रेन से टकराई थी बच्चों से भरी टाटा मैजिक