प्रयागराज ब्यूरो । यह बात सही है कि प्रयागराज सिटी अतिदोहित श्रेणी आ चुकी है। यहां पानी का लेवल तेजी से नीचे जा रहा है। कई एरिया रेड जोन में आ रहे हैं। चिंता का विषय भी है। लेकिन, कुछ एरिया ऐसे भी हैं जहां ग्राउंड वाटर लेवल अभी भी बेहतर स्थिति में है। आखिर ऐसा क्यों है? इस पर भी मंथन करने की जरूरत है। खासकर उन एरिया के लोगों को जहां पाताल का पानी एकदम नीचे जाने की स्थिति में आ गया है।

इन एरिया में अभी भी गनीमत

शहर में तमाम एरिया ऐसे भी हैं जहां पर ग्राउंड वाटर लेवल का स्तर अभी भी 15 मीटर या इसके आसपास बना हुआ है। भूगर्भ जल विभाग इसे बेहतर मानता है। इनकी संख्या फिलहाल एक दर्जन से अधिक बनी हुई है। हालांकि पिछले एक साल में इनके जलस्तर में गिरावट जरूर हुई है लेकिन स्थिति चिंताजनक नही कही जा सकती है। आइए जानते हैं कि कहां कम नीचे गया है ग्राउंड वाटर लेवल-

एरिया ग्राउंड वाटर लेवल (मीटर में)

ऋषिकुल जूनियर हाई स्कूल अशोक नगर 13.68

श्याम लाल इंटर कॉलेज कसारी मसारी 13.09

खुल्दाबाद 15.75

जलकल विभाग खुशरूबाग 9.40

जूनियर हाई स्कूल उपरहार बमरौली 15.75

इरीगेशन कालोनी गोविंदपुर 14.80

पुलिस स्टेशन इंडस्ट्रियल एरिया नैनी 11.79

जीजीआईसी फाफामऊ 13

प्राइमरी स्कूल साउथ मलाका 4.65

महर्षि वाल्मीकि इंटर कॉलेज बलईपुर 6.05

गंगा बाल विद्या मंदिर रसूलबाद 13.35

प्राइमरी स्कूल नीवा 3.20

यहां स्थिति बनी चिंताजनक

दूसरी तरफ एक दर्जन के आसपास ऐसे इलाके हैं जहां ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। यहां का लेवल बीस मीटर से अधिक हो चुका है। इन एरिया में कई नलकूप सूख चुके हैं और उनको रिबोर कराने की नौबत आ चुकी है। आइए जानते हैं किन एरिया में बनी है ऐसी स्थिति-

एरिया ग्राउंंड वाटर लेवल

बेली अस्पताल 20.50

पीपलगांव 24.50

गल्र्स पालिटेक्निक 21.80

न्यू कटरा 25.16

उच्चतर प्रावि न्यू कटरा 25.16

तेलियरगंज 20.60

आईईआरटी 25.30

एडीए कालोनी नैनी 22.95

सदर तहसील 25.30

तुलापुर 22.40

यह फैक्टर्स हैं जिम्मेदार

ऐसे कई फैक्टर्स हैं जो ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने का काम करते हैं। जिन एरिया में पानी का लेवल अधिक नीचे नही गया है, वहां पर यही फैक्टर काम करते हैं। भूगर्भ जल वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी एरिया की पापुलेशन जितनी अधिक घनी होगी, वहां पानी का कंजम्प्शन भी अधिक होगा। जो एरिया नदी के आसपास होंगे वहां पर अक्सर वाटर लेवल बेहतर होता है। बाजार और इंडस्ट्रियल एरिया में पानी की खपत अधिक होती है। जहां वाटर लेवल अधिक नीचे है वहां सबमर्सिबल पंप की संख्या अधिक मिली है। इसके अलावा अन्य फैक्टर्स की तलाश की जा रही है।

28 पर पेनाल्टी की तैयारी

दूसरी ओर भूगर्भ जल विभाग की ओर से 28 संस्थाओं जिनमें होटल, आरओ वाटर प्लांट, हॉस्पिटल आदि शामिल हैं, पर पेनाल्टी लगाने की तैयारी की जा रही है। इनको दो नोटिस दिया जा चुका है और तीसरा नोटिस डीएम की ओर से भेजा जाना है। इसके बाद 5 से 10 लाख की पेनाल्टी लगाई जाएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन संस्थाओं को पानी का मीटर लगाने और विभाग से एनओसी लेने को कहा गया है। इसके बाद हर माह इन संस्थाओं को उपयोग किए गए ग्राउंड वाटर लेवल के एवज में पैसे जमा करने होंगे और हर माह मीटर के जरिए दोहन किए गए पानी का हिसाब देना होगा।

ऐसे कई फैक्टर हैं जो बताते हैं किस वजह से संबंधित एरिया का ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चला गया है। लोगों को जागरुक होने की जरूरत है। वरना भविष्य में पानी की किल्लत बढ़ सकती है। पानी का मीटर लगवाने और एनओसी लेने के लिए कुछ संस्थाओं को नोटिस देकर पेनाल्टी लगाने की तैयारी भी की जा रही है।

रवि पटेल, भूगर्भ जल वैज्ञानिक प्रयागराज