दिसंबर में होना था convocation  
दरअसल, एयू के पीएचडी स्टूडेंट्स को दिसम्बर में होने वाले कंवोकेशन में बदले फॉर्मेट वाली डिग्री मिलनी थी। लेकिन किन्हीं कारणों से कंवोकेशन ऑर्गनाइज नहीं हो सका। नतीजा अब स्टूडेंट नए फॉर्मेट वाली डिग्री की डिमांड करने लगे हैं। उनका कहना है कि कंवोकेशन के लिए इंतजार करना उनके लिए पॉसिबल नहीं है। और जब नए फॉर्मेट वाली डिग्री को लेकर सारे प्रॉसेज पूरे किए जा चुके हैं। तो फिर उसे स्टूडेंट्स को देने में क्या प्रॉब्लम हो सकती है. 

Last year लिया था decision

स्टूडेंट्स की डिमांड और उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने लास्ट इयर सालों पुराने पीएचडी की डिग्री के फॉर्मेट में परिवर्तन करने का डिसीजन लिया। सारी तैयारी तो हो गई, लेकिन स्टूडेंट्स को अभी तक नई फॉर्मेट वाली डिग्री नहीं प्रोवाइड कराई जा सकी। स्टूडेंट्स की डिमांड और जरूरत को ध्यान में रखते हुए अन्य कई यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूशंस ने अपने डिग्री फॉर्मेट में परिवर्तन किया है। कुछ ऐसे भी हैं जो डिग्री का फॉर्मेट बदलने के प्रॉसेज में हैं। ये सब सिर्फ इसलिए ताकि यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूट में पढऩे वाले देश-विदेश के स्टूडेंट्स को कहीं भी कोई प्रॉब्लम न हो. 

इसलिए होती है problem
वैसे तो बदलते समय और जॉब ट्रेंड के कारण स्टूडेंट्स को तमाम तरह की प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। जिसका धीरे-धीरे सॉल्यूशन निकाला जा रहा है। लेकिन इस समय पीएचडी स्टूडेंट्स को सालों पुराने परंपरागत डिग्री के चलते काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। प्रॉब्लम फेस करने वालों में खासतौर पर वे स्टूडेंट शामिल हैं, जो फॉरेन से आकर यहां पीएचडी करते हैं। या फिर इंडिया के वो स्टूडेंट जो यहां से पीएचडी करने के बाद फॉरेन में जॉब करने के इच्छुक होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के कुछ यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूट अब भी सालों पुराने फॉर्मेट वाली डिग्री पीएचडी स्टूडेंट्स को प्रोवाइड करा रहे हैं, जिसमें रिसर्च टॉपिक के साथ केवल डॉक्टर ऑफ फिलॉसिफी मेंशन होता है। जबकि स्टूडेंट्स के लिए डिग्री में टॉपिक के साथ सब्जेक्ट का मेंशन होना जरूरी हो गया है.

यहां भी उठा था यही मुद्दा 
एमएनएनआईटी की पीएचडी की फॉरेन स्टूडेंट रोजिता ने डिग्री में सब्जेक्ट मेंशन करने की डिमांड कर इंस्टीट्यूट में हड़कंप मचा दिया था। लास्ट इयर दिसम्बर में उठा ये मामला एमएनएनआईटी के लिए भले ही नई हो, लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी सहित अन्य इंस्टीट्यूशन में स्टूडेंट्स की ओर से ये डिमांड काफी पहले ही की जा चुकी है। यही कारण है कि स्टूडेंट्स की इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने पीएचडी की डिग्री का फॉर्मेट चेंज करने का डिसीजन लिया है। जबकि सिटी स्थित आईआईआईटी की ओर से पीएचडी स्टूडेंट्स को दी जाने वाली डिग्री में सब्जेक्ट कुछ साल पहले से ही मेंशन किया जा रहा है. 

पीएचडी स्टूडेंट्स के डिग्री में केवल डॉक्टर ऑफ फिलॉसिफी लिखना अब पर्याप्त नहीं रह गया है। जरूरत के मुताबिक आईआईआईटी की डिग्री में डॉक्टर ऑफ फिलॉसिफी इन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लिखा जाता है.
डॉ। एमडी तिवारी, डायरेक्टर आईआईआईटी.

स्टूडेंट्स की डिमांड के मुताबिक यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन पीएचडी की डिग्री का फॉर्मेट चेंज कर रहा है। जल्द ही स्टूडेंट्स को नए फॉर्मेट की डिग्री मिलेगी, जिसमें सब्जेक्ट भी मेंशन रहेगा। इस बारे में दूसरे इंस्टीट्यूट को भी सोचना होगा. 
प्रो। एचएस उपाध्याय, एग्जामिनेशन कंट्रोलर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी.
दिसंबर में होना था convocation  

दरअसल, एयू के पीएचडी स्टूडेंट्स को दिसम्बर में होने वाले कंवोकेशन में बदले फॉर्मेट वाली डिग्री मिलनी थी। लेकिन किन्हीं कारणों से कंवोकेशन ऑर्गनाइज नहीं हो सका। नतीजा अब स्टूडेंट नए फॉर्मेट वाली डिग्री की डिमांड करने लगे हैं। उनका कहना है कि कंवोकेशन के लिए इंतजार करना उनके लिए पॉसिबल नहीं है। और जब नए फॉर्मेट वाली डिग्री को लेकर सारे प्रॉसेज पूरे किए जा चुके हैं। तो फिर उसे स्टूडेंट्स को देने में क्या प्रॉब्लम हो सकती है. 

Last year लिया था decision

स्टूडेंट्स की डिमांड और उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने लास्ट इयर सालों पुराने पीएचडी की डिग्री के फॉर्मेट में परिवर्तन करने का डिसीजन लिया। सारी तैयारी तो हो गई, लेकिन स्टूडेंट्स को अभी तक नई फॉर्मेट वाली डिग्री नहीं प्रोवाइड कराई जा सकी। स्टूडेंट्स की डिमांड और जरूरत को ध्यान में रखते हुए अन्य कई यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूशंस ने अपने डिग्री फॉर्मेट में परिवर्तन किया है। कुछ ऐसे भी हैं जो डिग्री का फॉर्मेट बदलने के प्रॉसेज में हैं। ये सब सिर्फ इसलिए ताकि यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूट में पढऩे वाले देश-विदेश के स्टूडेंट्स को कहीं भी कोई प्रॉब्लम न हो. 

इसलिए होती है problem

वैसे तो बदलते समय और जॉब ट्रेंड के कारण स्टूडेंट्स को तमाम तरह की प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। जिसका धीरे-धीरे सॉल्यूशन निकाला जा रहा है। लेकिन इस समय पीएचडी स्टूडेंट्स को सालों पुराने परंपरागत डिग्री के चलते काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। प्रॉब्लम फेस करने वालों में खासतौर पर वे स्टूडेंट शामिल हैं, जो फॉरेन से आकर यहां पीएचडी करते हैं। या फिर इंडिया के वो स्टूडेंट जो यहां से पीएचडी करने के बाद फॉरेन में जॉब करने के इच्छुक होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के कुछ यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूट अब भी सालों पुराने फॉर्मेट वाली डिग्री पीएचडी स्टूडेंट्स को प्रोवाइड करा रहे हैं, जिसमें रिसर्च टॉपिक के साथ केवल डॉक्टर ऑफ फिलॉसिफी मेंशन होता है। जबकि स्टूडेंट्स के लिए डिग्री में टॉपिक के साथ सब्जेक्ट का मेंशन होना जरूरी हो गया है।

यहां भी उठा था यही मुद्दा 

एमएनएनआईटी की पीएचडी की फॉरेन स्टूडेंट रोजिता ने डिग्री में सब्जेक्ट मेंशन करने की डिमांड कर इंस्टीट्यूट में हड़कंप मचा दिया था। लास्ट इयर दिसम्बर में उठा ये मामला एमएनएनआईटी के लिए भले ही नई हो, लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी सहित अन्य इंस्टीट्यूशन में स्टूडेंट्स की ओर से ये डिमांड काफी पहले ही की जा चुकी है। यही कारण है कि स्टूडेंट्स की इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने पीएचडी की डिग्री का फॉर्मेट चेंज करने का डिसीजन लिया है। जबकि सिटी स्थित आईआईआईटी की ओर से पीएचडी स्टूडेंट्स को दी जाने वाली डिग्री में सब्जेक्ट कुछ साल पहले से ही मेंशन किया जा रहा है. 

पीएचडी स्टूडेंट्स के डिग्री में केवल डॉक्टर ऑफ फिलॉसिफी लिखना अब पर्याप्त नहीं रह गया है। जरूरत के मुताबिक आईआईआईटी की डिग्री में डॉक्टर ऑफ फिलॉसिफी इन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लिखा जाता है।

डॉ। एमडी तिवारी, डायरेक्टर आईआईआईटी।

स्टूडेंट्स की डिमांड के मुताबिक यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन पीएचडी की डिग्री का फॉर्मेट चेंज कर रहा है। जल्द ही स्टूडेंट्स को नए फॉर्मेट की डिग्री मिलेगी, जिसमें सब्जेक्ट भी मेंशन रहेगा। इस बारे में दूसरे इंस्टीट्यूट को भी सोचना होगा. 

प्रो। एचएस उपाध्याय, एग्जामिनेशन कंट्रोलर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी।