-बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए शासन ने दिया आदेश

-हॉस्पिटल स्टाफ माताओं को बच्चों को स्तनपान कराने के लिए करेगा प्रेरित

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इन फैक्ट्स से अनजान हैं महिलाएं

33 फीसदी अधिक रहती है उन शिशुओं की मृत्यु दर जिन्हें पैदा होने के एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता।

06 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त एवं निमोनिया के खतरे में 11 से 15 फीसदी की कमी लायी जा सकती है।

2016 लैन्सेट की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्घि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है, जिन्हें मां का दूध थोड़े वक्त के लिए मिलता है।

PRAYAGRAJ: मां का दूध बच्चे के लिए कितना फायदेमंद है यह किसी से छुपा नहीं है। यही कारण है कि अगस्त के प्रथम सप्ताह को स्तनपान सप्ताह घोषित करते हुए तमाम हॉस्पिटल्स को बेबी फ्रेंडली बनाने के आदेश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि माताओं को शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जाए। मां का दूध बच्चे को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से भी बचाता है।

रिपोर्ट से टेंशन में आया विभाग

एक रिपोर्ट के अनुसार, शहरी एरिया में 40 फीसदी महिलाएं ही बच्चों को प्रॉपरली स्तनपान कराती हैं। कामकाजी औरतें इस मामले में काफी लापरवाह हैं। इसके अलावा 20 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो अपनी फिटनेस को लेकर काफी संवेदनशील हैं। वह बच्चों को मार्केट प्रोडक्ट के सहारे दूध पिलाती हैं। डॉक्टर्स के समझाने पर भी वह ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराती हैं। इस वजह से बच्चों में कमजोरी और कुपोषण के सिम्पटम्स आ रहे हैं। स्तनपान के जरिए शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है।

वर्जन

महिलाओं को स्तनपान को बढ़ावा देना चाहिए। शिशु को छह माह तक मां का दूध मिले तो वह स्वस्थ और तेज तर्रार होता है। इस संबंध में माताओं का जागरूक किया जा रहा है। इसको लेकर नित्य नए अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

-डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ प्रयागराज