प्रयागराज ब्यूरो । नौ हजार बयान मायने रखते हैं आरोप सिद्ध करने के लिए। मगर लोक सेवा आयोग की भर्तियों में धांधली का जो दौर चल चुका है उसका कोई निस्तारण अभी तक नहीं हुआ है। बात हो रही है उन 633 भर्ती परीक्षाओं की, जिनमें धांधली का आरोप है और इन सभी परीक्षाओं की जांच सीबीआई कर रही है। हैरत तो ये है कि छह साल गुजरने के बाद भी नतीजा सिफर है। सबसे बड़ी बात तो ये कि सीबीआई से सवाल कौन पूछे कि भर्तियों की जांच में आखिर हुआ क्या। जबकि ये सारी जांच लोक सेवा आयोग पर एक ऐसा दाग है, जिसे खत्म कर पाने में आयोग के पसीने छूट जा रहे हैं।
भर्तियों में धांधली की जांच कर रही सीबीआई
लोक सेवा आयोग की 633 भर्ती परीक्षाओं की जांच सीबीआई के पास है। ये सारी भर्तियां अप्रैल 2012 से मार्च 2017 के बीच हुई हैं। इन भर्तियों में धांधली का आरोप है। हेराफेरी का आरोप है। मगर हद इस बात की है कि जांच 2018 से शुरू है। मगर कोई नतीजा नहीं निकल सका है। जांच में सीबीआई की रफ्तार उस समय कम हुई जब मामला अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा 2010 का उठा। इस मामले में तात्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ पर एफआईआर दर्ज हुई, मगर इसके बाद जांच ठंडे बस्ते में पहुंच गई। हालांकि इस भर्ती के तहत चयनित 223 अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश सचिवालय में कार्यरत हैं।

दर्ज हो चुका है पांच केस
सीबीआई ने जब 2018 में जांच शुरू की तो पांच परीक्षाओं को लेकर केस दर्ज किया गया। इन परीक्षाओं में पीसीएस 2015, अपर निजी सचिव 2010, समीक्षा, सहायक समीक्षा अधिकारी 2013, मेडिकल अफसर 2013 और लोअर सबार्डिनेट 2013 की भर्ती परीक्षा शामिल है।

चालीस हजार पदों में धांधली
सीबीआई चालीस हजार पदों में धांधली की जांच कर ही है। ये सभी भर्तियां लोक सेवा आयोग ने की है। भर्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायत को लेकर करीब नौ हजार से ज्यादा बयान हो चुके हैं। ये बयान छात्रों ने दिए हैं। इन नौ हजार बयानों की पुष्टि के लिए तीन हजार अतिरिक्त बयान दर्ज किए गए हैं। मगर बयान दर्ज होने के बाद से अब तक सीबीआई का कोई मूवमेंट इस जांच को लेकर क्लिीयर नहीं हो पा रहा है।
2018 से चल रही जांच
मौजूदा योगी सरकार ने 2018 में सीबीआई जांच शुरू कराई थी। इसके बाद 2020 तक जांच में सीबीआई ने तेजी दिखाई। मगर कोरोना काल शुरू होने के दौरान जांच रुक गई, कोराना खत्म हो गया तो छात्रों को उम्मीद जगी कि अब जांच किसी अंजाम तक पहुंचेगी, मगर छात्रों की उम्मीद को सीबीआई लगातार झटका दे रही है।

कार्रवाई के लिए नहीं मिली अनुमति
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सीबीआई ने प्राथमिक जांच में कई अफसरों को धांधली का दोषी पाया। सीबीआई ने इन अफसरों पर अभियोजन के लिए शासन और लोक सेवा आयोग से अनुमति मांगी, मगर इस पर भी कोई निर्णय नहीं हो सका है। भर्तियों से जुड़ी सीबीआई जांच किसके प्रभाव में आकर प्रभावित हुई है, इस पर छात्रों में चर्चाओं का दौर चल रहा है।


5 केस दर्ज कर चुकी है सीबीआई
633 भर्ती परीक्षाओं की चल रही जांच
40 हजार पदों में है धांधली का आरोप
5 साल में हुई भर्तियों में है भ्रष्टाचार का आरोप