हर माह आते हैं नए मरीज, सुविधाएं नहीं मिलने से होते हैं परेशान

जिले में साढ़े पांच हजार से अधिक एचआईवी के मरीज

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ALLAHABAD: कटरा के रहने वाले कवि (परिवर्तित नाम)) एचआईवी पॉजिटिव हैं। मुंबई में प्राइवेट नौकरी करते थे। अचानक तबियत खराब रहने लगी तो वह घर लौट आए। यहां खून की जांच में एचआईवी पाजिटिव होना पता चला। पत्नी जांच में सही पाई गई। बात उनके एचआईवी होने की बात फैली तो परिवार और आसपास के लोगों ने दूरी बना ली। फिलहाल, शहर के दूसरे इलाके में रहने लगे हैं। अपनों से मिलना मुश्किल हो चला है। कवि बताते हैं कि सामाजिक दुराभाव और इलाज की सुविधाएं न मिलने से उनका जीवन कठिन होता जा रहा है।

नहीं बदली सामाजिक सोच

लगातार जागरुकता कार्यक्रम चलाने के बावजूद समाज की एचआईवी के मरीजों के प्रति सोच बदलने का नाम नही ले रही है। एक बार सच सामने आने के बाद समाज, दोस्त और परिवार के लोग मरीजों से दूरी बनाने लगते हैं। आंकड़ों पर जाएं तो हर महीने 70 से 80 नए मरीज सामने आते हैं और कई मरीज जांच में पाजिटिव मिलने के बाद एआरटी सेंटर नही पहुंचते। स्वास्थ्य विभाग को मजबूरी में इन्हें ट्रेस करना पड़ता है। मरीजों की एक बड़ी संख्या ऐसे भी है जो बीच में ही बिना किसी सूचना इलाज बंद करा देते हैं। चाका की निर्मला (परिवर्तित नाम)) बताती हैं कि एचआईवी मरीजों की माली हालत बहुत अच्छी नही है। उनको हर महीने दवा लेने के आने का किराया भी नही रहता है। उनका जीवन कठिन होता जा रहा है।

कैसे फैलता है एचआईवी

असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करना एक बड़ा कारण बना है। मरीजों ने काउंसिलिंग में इस तथ्य को स्वीकारा है।

संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने से। इसको लेकर नैको ब्लड बैंकों को सख्त गाइड लाइन जारी कर रखी है।

संक्रमित इंजेक्शन के पुन: इस्तेमाल से। ड्रग्स और नशीली दवाओं का सेवन करने वालों में एचआईवी फैलने के अधिक चांसेज होते हैं।

एचआईवी संक्रमित मां से अजन्मे बच्चे में संक्रमण फैलने की संभावना लगभग 30 प्रतिशत होती है

प्रसव व स्तनपान के दौरान भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है।

लक्षण

एक महीने या ज्यादा समय से लगातार खांसी

तीन महीने से भी ज्यादा जांघ अथवा किसी अन्य जगह पर गाठें होना।

कम समय में ही शरीर का वजन 10 प्रतिशत से अधिक घट जाना।

एक महीने से ज्यादा समय से बुखार या दस्त होना

उप्र सरकार ने दी सौगात

हाल ही में उप्र सरकार ने एचआईवी के मरीजों के लिए प्रतिमाह सौ रुपए किराया भत्ता देने का निर्णय लिया है। पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जाएगा। आमतौर पर एचआईवी मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। रूरल एरिया से आने वाले अधिकतर मरीजों के पास किराए के पैसे नही होते। इसलिए सरकार उन्हें प्रतिमाह सौ रुपए देने का फैसला किया है। डाप्कू प्रभारी डॉ। रोहित पांडेय कहते हैं कि अभी तक एक हजार मरीजों का रजिस्ट्रेशन इस योजना में हो चुका है।

एचआईवी मरीजों के सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उनको एआरटी सेंटर से दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

डॉ। आलोक वर्मा,

सीएमओ, इलाहाबाद

फैक्ट फाइल

5268 एचआईवी पेशेंट इलाहाबाद मंडल में अब तक चिन्हित

2102 मरीज एसआरएन हॉस्पिटल स्थित एआरटी सेंटर से दवा ले रहे हैं

887 मरीज 2015-16 में सामने आए। इसमें 27 गर्भवती महिलाएं थीं

509 मरीज चालू फाइनेंशियल इयर में चिन्हित किए जा चुके इसमें 16 गर्भवती महिलाएं हैं