छात्रसंघ भवन पर लगाए बैनर पर छात्र-छात्राओं से कराए गए हस्ताक्षर

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में नैक से मिली खराब ग्रेडिंग, एनआईआरएफ की रैकिंग में टॉप 200 यूनिवर्सिटी से बाहर होने और अब कुलपति के खिलाफ बातचीत का ऑडियो टेप वायरल होने के बाद से छात्रों में गुस्सा उबल रहा है। छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में छात्रसंघ ने नो फीस कैम्पेन की शुरुआत कर दी है। सिग्नेचर कैंपेन को एनएसयूआई जिलाध्यक्ष पृथ्वी प्रकाश तिवारी, पंकज यादव, अरविंद कुमार, अक्षय भारती, अजय पांडे बागी, आनंद आदि ने भी सपोर्ट किया है।

वायरल ऑडियो ने पकड़ा तूल

पांच प्रमुख बिन्दुओं पर शुरू की गई कैम्पेन के तहत शुक्रवार को छात्र-छात्राओं से नो फीस कैम्पेन बैनर पर हस्ताक्षर करवाकर कुलपति प्रो। रतन लाल हांगलू को हटाने की मांग की। पूरे दिन चले हस्ताक्षर अभियान में पहुंचे छात्रों ने कहा कि केवल कुलपति को हटाना ही समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि मंत्रालय को सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

जब विवि की कोई रैकिंग नहीं है, पर्याप्त संख्या में प्रोफेसर नहीं है, संख्या के अनुसार छात्रावास नहीं है, हॉस्पिटल भी नहीं है तो ऐसे में विवि छात्रों से किस बात की फीस ले रहा है?

अखिलेश यादव, उपाध्यक्ष छात्रसंघ

पठन-पाठन एवं संसाधनों को खत्म किया जा रहा है। छात्रसंघ पदाधिकारियों को सच की आवाज बुलंद करने पर निष्कासन एवं निलंबन झेलना पड़ रहा है। वह दिन दूर नहीं जब ये लोग विवि को बेच देंगे।

शिवम सिंह, महामंत्री छात्रसंघ

हस्ताक्षर अभियान से हम छात्र-छात्राओं को जागरूक कर रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं कि हमने यह कैम्पेन क्यों शुरु की? इसके साथ ही हम आरोपी कुलपति का चेहरा बेनकाब कर रहे हैं।

दुर्गेश प्रताप सिंह, छात्र

90 दिनों के भीतर होनी चाहिए थी जांच: ऋचा

शुक्रवार को छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने एमएचआरडी एवं यूजीसी को इविवि की घटती रैंकिंग और बिगड़ते माहौल के लिए कुलपति को सीधे जिम्मेदार बताते हुए पत्र लिखा। इसमें कहा गया है कि कुलपति पद का दुरुपयोग करते हुए महिलाओं, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को फायदा देने का काम कर रहे हैं। उन्हें अपने गलत कायरें एवं फैसलों में साथ देने पर मजबूर करते हैं। जिसका ताजा उदहारण हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सूर्यनारायण पर की गई कार्रवाई है। उन्होंने पत्र में कहा है कि अतिथि प्रवक्ता द्वारा निलंबित शिक्षक के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत कुलपति कार्यालय में 28/4/2017 को गई। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न संबंधी नियमों के अनुसार इस तरह की शिकायतों का निराकरण कमेटी बनाकर 90 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए था।