बिजली कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल से दूसरे दिन शनिवार को भी बिजली-पानी का संकट बरकरार रहा। सबसे खराब स्थिति तो पुराने शहर की रही। दो दिन से लाखों घरों में गुल बिजली से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। उपकेंद्रों पर मौजूद दूसरे विभाग के अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। इतना ही नहीं, कई अधिकारी तो फोन ही नहीं रिसीव कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि वह शिकायत करने जाएं तो कहां जाएं, जिससे इस संकट से छुटकारा मिल सके। हड़ताल से बिजली-पानी का संकट को लेकर दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने शहर के कई अलग-अलग हिस्सों में जाकर पड़ताल की। पेश है खास रिपोर्ट

पड़ताल 01
सुबह दस बजे रिपोर्टर पानदरीबा, जानसेनगंज पर पहुंचे। यहां प्रतीक पांडेय, प्रियंक समेत कई लोग यहां एकत्र थे। बातचीत में यहां एकत्रित भीड़ ने बताया कि सुबह से लाइट नहीं आ रही है। सीयूजी नंबर तक कर्मचारी नहीं उठा रहे है। उपकेंद्र पर तो कोई मौजूद भी नहीं है। इनवर्टर खत्म हो चुका है। पानी कि किल्लत है। छोटे बच्चों को अत्याधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रतीक ने रिपोर्टर से पूछा कि क्या इन हड़ताल करने वालों के परिवार नहीं है?

पड़ताल 02
उसके बाद रिपोर्टर ऊंचवागढ़ी राजापुर स्थित एक बजे पहुंचा। वहां अधिवक्ता शांति धर द्विवेदी अपने मोहल्ले के लोगों के साथ खड़े थे। रिपोर्टर से बातचीत में शांति धर ने बताया कि इनवर्टर बैठ गया है। मोमबत्ती से काम चल रहा है। मोबाइल जनरेटर से चार्ज कराया हूं, वह भी दस रुपये देकर। ऑफिस जाने में काफी दिक्कत हो रही है। दिनचर्या प्रभावित हो गई है। आपस में सभी बात करते थे कि बिजली कर्मियों के यहां लाइट नहीं कटी होगी। इनकेधरने से आम-आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

पड़ताल 03
उसके बाद रिपोर्टर तीन बजे एलआईसी कॉलोनी जार्जटाउन स्थित पहुंचा। वहां अधिवक्ता पंकज सिंह, हिमांशु अग्रवाल व अपने क्षेत्रवासियों के साथ उपकेंद्र पर मौजूद थे। मगर उपकेंद्र पर कोई कर्मचारी नहीं था। वह आपस में बात कर रहे थे कि पता नहीं कब हड़ताल खत्म होगी। वहीं करैलाबाग उपकेंद्र के सामने काफी लोगों की भीड़ लगी थी। एक पानी के टैंकर के पास लोग खड़े थे। सबके हाथ में बाल्टी थी और वह पानी भर रहे थे।