प्रयागराज ब्यूरो । ऐसा दर्द किसी को न मिले। यूं ही किसी का चले जाना अपने पीछे कभी न भूल पाने वाला गम दे जाता है। रविवार की रात दो परिवारों के लिए कभी न भूल पाने वाला गम दे गई। एक हादसा सिपाही के साथ हुआ। सिपाही ड्यूटी पर था। वह चेकिंग कर रहा था। अचानक एक तेज रफ्तार बोलेरो ने सिपाही को अपनी चपेट में ले लिया। सिपाही को गंभीर चोट आई। इतनी गंभीर चोट कि डॉक्टरों के बस की बात नहीं रह गई। सिपाही को एसआरएन अस्पताल ले आया गया, मगर रास्ते में उसकी सांस थम चुकी थी। वहीं, दूसरा हादसा एक कारोबारी के साथ हुआ। कारोबारी अपनी रिश्तेदारी से लौट रहा था। रास्ते में उसकी बाइक को डंपर ने चपेट में ले लिया। कारोबारी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। हादसे ने दो परिवारों की खुशियां छीन लीं। ऐसा गम दे दिया, जो इनके परिवारों के लोग मरते दम तक न भूलेंगे।

सरायअकिल थाने में तैनात था सिपाही
2018 बैच का सिपाही अवनीश दुबे सरायअकिल थाने में तैनात था। अवनीश अपने साथी सिपाही अभिषेक कुमार के साथ रात में गश्त पर था। अवनीश दुबे और अभिषेक पटेल चौराहा के पास वाहनों की चेकिंग करने लगे। अचानक उधर से एक बोलेरो गुजरी। अवनीश ने बोलेरो को रुकने के लिए इशारा किया। मगर चालक ने स्पीड बढ़ा दी। अवनीश बोलेरो की चपेट में आ गया। उसे गंभीर चोटेें आईं। साथी सिपाही अभिषेक ने तत्काल कंट्रोल रूम से मदद मांगी। आननफानन में पुलिस की गश्ती वैन पहुंच गई। अवनीश को पास के अस्पताल ले जाया गया। वहां पर डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया। पुलिस अवनीश को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल ले आ रही थी, मगर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। बलिया के रहने वाले अवनीश के पिता अनिल दुबे की कई साल पूर्व मृत्यु हो चुकी है। अवनीश पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इस दौरान 2018 में उसका सेलेक्शन सिपाही के पद पर हो गया। अवनीश ने ड््यूटी ज्वाइन कर ली। मगर वह अभी भी तैयारी कर रहा था। वह पुलिस अफसर बनना चाहता था। मगर उसकी यह ख्वाहिश अधूरी ही रह गई।


दारोगा हैं बड़े भाई
अवनीश तीन भाइयों में दूसरे नंबर का था। बड़े भाई जगमोहन दुबे दारोगा हैं और अभी वह लखनऊ में पोस्ट हैं। तीसरे नंबर का भाई पवन दुबे अभी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। जगमोहन दारोगा हुए तो उन्होंने अपने दोनों छोटे भाइयों को पढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं रखी। अवनीश की मौत के बाद उसके साथियों ने जगमोहन को घटना की सूचना दी। जगमोहन लखनऊ से प्रयागराज के लिए रवाना हो गए।

भाई को अफसर बनाना चाहते जगमोहन
दारोगा जगमोहन अपने भाई अवनीश को पुलिस अफसर बनाना चाहते थे। अवनीश का सेलेक्शन सिपाही में हुआ तो उसने मना किया। मगर जगमोहन ने ही उसे ज्वाइन करने के लिए कहा। साथ ही तैयारी जारी रखने की हिदायत भी दी। मगर जगमोहन को क्या मालूम था कि नियति को कुछ और ही मंजूर है।

शादी की चल रही थी चर्चा
अवनीश को नौकरी करते पांच साल हो गया था। घरवाले उसकी शादी करना चाहते थे, मगर अवनीश अफसर बनने के लिए घरवालों से मौका मांग लेता था। मगर इस बीच भाई जगमोहन का दबाव था। परिवार में अवनीश की शादी की चर्चा चल रही थी। मगर रिश्ता तय होने के पहले ही अवनीश की जिंदगी खत्म हो गई।


बिखर गया कारोबारी का कुनबा
सरायइनायत थाना क्षेत्र के बनी चौराहा के पास कारोबारी रंजीत गुप्ता की हादसे में मौत हो गई। हनुमानगंज के अप्सरा चौराहा के पास के रहने वाले रंजीत की घर में ही किराना की बड़ी दुकान है। रंजीत शाम को बनी चौराहा के पास रहने वाले अपने एक रिश्तेदार से मिलने निकले थे। वह रिश्तेदार से मिलकर लौट रहे थे, तभी चौराहे के पास एक तेज रफ्तार डंपर ने रंजीत की बाइक को अपनी चपेट में ले लिया। रंजीत गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना होते ही आसपास के लोग जुटे। जब तक रंजीत को अस्पताल ले जाने का इंतजाम लोग करते, उनकी सांस थम चुकी थी।

नहीं कर पाए बेटी की शादी
रंजीत के एक बेटा संदीप और एक बेटी अंजली है। बेटे संदीप की शादी रंजीत कर चुके थे, और बेटी अंजली की शादी की तलाश में थे। अंजली अभी पढ़ रही है, मगर रंजीत चाहते थे कि उसकी शादी जल्द हो जाए। लेकिन रंजीत बेटी की शादी के पहले ही इस दुनिया से चले गए।

सिसक सिसक कर रोए परिजन
रंजीत के पास मिले मोबाइल से पुलिस ने घरवालों को घटना की सूचना दी। जैसे ही घरवालों को रंजीत की मौत का पता चला वह बदहवास हो गए। पत्नी सुनीता गुप्ता, बेटी अंजली और बेटे संदीप का रो रोकर बुरा हाल हो गया।

परिवार के लिए हादसों से बचें
- रोड पर रिस्क न लें। जान कीमती है।
- तेज रफ्तार वाहन को ओवरटेक न करें।
- हमेशा हेलमेट लगाकर चलें।
- वाहनों को देखकर रोड क्रास करें।
- बड़े वाहनों से दूरी बनाकर चलें।