-नॉर्वे से प्रो। सोक्रेटिस कत्सि्यकास ट्रिपल आईटी पहुंचे

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PRAYAGRAJ: भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान तथा नॉर्वे यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत साइबर सुरक्षा पर संयुक्त रूप से शोध कार्य करेंगे। इस संदर्भ में नार्वे से प्रो। सोक्रेटिस कत्सि्यकास बुधवार को ट्रिपल आईटी पहुंचे। उन्होंने गुरुवार को संस्थान के विशेषज्ञों के साथ बैठके की और परियोजना पर अमल शुरू कर दिया। भारत और नार्वे आईसीटी के तहत भारत नार्वे सहयोग परियोजना के हिस्से के रुप में देश के स्मार्ट शहरों के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में साइबर.भौतिक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करेंगे।

प्रतिष्ठित शोध परियोजना के लिए चयनित

नार्वे सरकार द्वारा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद को नावर्ें की प्रतिष्ठित शोध परियोजना के लिए चयनित किया गया है। ट्रिपलआईटी की तरफ से परियोजना समन्यवक प्रो। ओपी व्यास होंगे। जबकि नार्वे टीम की अध्यक्षता नार्वे यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रो। सोक्रेटिस कत्सि्यकास करेंगे। प्रो। ओपी व्यास ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार ने प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय निमंत्रण के तहत 04 अक्टूबर को परियोजना की मंजूरी दी थी। जिसमें कुल 50 प्रस्तावों में से केवल 05 प्रस्तावों की मंजूरी आरसीएन नार्वे, नार्वे की रिसर्च काउंसिल और डीएसटी भारत विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मूल्यांकन के बाद दी है।

ये संस्थान भी हैं शामिल

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के साथ देश के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली, आईआईएससी बंगलुरू, आईआईटी कानपुर और सी-रेस हैं। भारत के पक्ष से ट्रिपलआईटी इलाहाबाद, आईआईटी कानपुर और नार्वे के बीच सहयोग में भारत के पक्ष से 04 प्रमुख जांचकर्ता और सहकर्ता शामिल हैं। जबकि नार्वे से 03 प्रिन्सिपल इंवेस्टिगेटर और सह पीआई शामिल हैं। ये छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे।

परियोजना के तहत स्मार्ट वातावरण, संचार प्रौद्योगिकी, पर्यावरणीय निगरानी, सुरक्षा, ऊर्जा तथा बुनियादी ढांचे में मजबूती से सुधार करके सामाजिक चुनौतियों के भीतर नार्वे और भारत के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूती मिलेगी।

प्रो। सोक्रेटिस, नार्वे

परियोजना उच्च गुणवत्ता वाली है। यह सहयोग और दीर्घकालिक साझेदारी को बढ़ावा देगी जो दोनों देशों में अनुसंधान समूहों को मजबूती प्रदान करेंगी। छात्रों एवं शोधार्थियों के लिए दीर्घ अवधि तक नए अवसर पैदा करेंगी।

प्रो। ओपी व्यास, परियोजना समन्वयक