प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज- हमारी घरेलू पक्षी गौरैया (हाउस पैरो) को लेकर कहा जाता है कि इसकी प्रजाति धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है। लेकिन, ऐसा नहीं है। यह शहरों से दूर हो गई है और ग्रामीण एरिया में रहने लगी है। इनकी संख्या में कोई कमी नहीं आई है। यह कहना है डॉ। अर्पित बंसल का। वह एक बर्ड एक्सपर्ट के साथ नेचर फोटोग्राफी के भी शौकीन हैं। उनका कहना है कि बर्ड काउंट इंडिया संस्था के मुताबिक गौरैया चिडिय़ा की संख्या अभी भी पहले जैसी ही है।

शहर में नहीं बना पाती घोंसला

डॉ। बंसल गुरुवार को संगम एरिया में आयोजित वन विभाग द्वारा नेचर एंड बर्ड फेस्टिवल कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शहर में पक्के मकान बन गए हैं और गौरैया को घोंसला

बनाकर अंडे देने की जगह नहीं

बची है। इसलिए वह शहर के आसपास के ग्रामीण एरिया में बसने लगी है। लेकिन वह विलुप्त नहीं हो रही है। उसकी संख्या अभी भी सामान्य है। बताते हैं कि बर्ड काउंट इंडिया एक संस्था है जो पक्षियों की मौजूदा संख्या को डेटा के आधार पर बताती है। देशभर से आए डेटा के आधार पर

यह संस्था सर्वे जारी करती है। डॉ। बंसल इस संस्था में यूपी के रीजनल कोआर्डिनेटर हैं। इसके अलावा वह ई बर्ड डाट ओआरजी वेबसाइट में भी यूपी के रीजनल कोआर्डिनेटर हैं। वह इस वेबसाइट में इंडिया के बर्ड एक्सपट्र्स की संख्या में सातवें नंबर पर हैं।

प्रयागराज में बची हैं 250 स्कीमर

इसी कड़ी में ऑनलाइन सेशन से जुड़ी वैज्ञानिक परवीन शेख ने भारत में इंडियन स्किमर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह पक्षी निचली भूमि की नदियों, झीलों और दलदलों के साथ-साथ तटों और मुहाने पर भी पाए जाते हैं और इनकी जनसंख्या भारत में 1200 है और लगभग 250 प्रयागराज में हैं। डॉ। बंसल ने बताया कि यह पक्षी नदियों के टापुओं पर अंडे देते हैं लेकिन अब आई लैंड खत्म होने से इनकी संख्या भी कम हो रही है। कई संस्थाएं इनको विलुप्त होने से बचाने का पर कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में छात्रों को नेचर और बर्ड फोटोग्राफी से जोडऩे के लिए हम शहर में बर्ड वॉक आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।

इन्होंने भी दिया व्याख्यान

डीएफओमहावीर कौजलागी ने बताया की वन विभाग की ओर से इन पक्षियों की प्रजाति को बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाने सहित इनके अंडों को संरक्षित किया गए। भारतीय वन्य जीव संस्थान की टीम ने डाल्फिन व उसे संरक्षित करने पर विचार विमर्श किया। मोबीवॉक मोबाइल फोटोग्राफी भी आयोजित किया गया जिसमे प्रथम स्थान मोहम्मद अली हाशमी द्वितीय स्थान एकता मिश्रा तृतीय स्थान ओजस्वा सिंह को प्राप्त हुआ।

इनको मिला सम्मान

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जीएसटी कमिश्नर विजय कुमार, हॉर्टिकल्चर अधिकारी कृष्ण कुमार चौबे, गंगा टास्क फोर्स के लेफ्टिनेंट कर्नल नहुष मालवीय, एसडीओ संगीता मौजूद रही। इस दौरान वन्य जीव संरक्षण पर कार्य करने वालों में डा बंसल समेत कई लोगों को सम्मानित भी किया गया। संगम पर बच्चों को बर्ड वाचिंग कराई गई। इस दौरान गंगा टास्क फोर्स द्वारा औषधीय पौधों की प्रदर्शनी भी लगाई गई और बच्चो को जागरुक किया गया। संचालन आलोक पांडेय द्वारा किया गया। रेंज अधिकारी विभूति नारायण, डीपीओ एशा सिंह, वन दरोगा अभय मिश्रा आदि उपस्थित रहे।