प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यह प्राब्लम उन लोगों के साथ हुई है जिन कपल के बच्चे हैं। कोरोना संक्रमण आने के बाद पहली और दूसरी लहर में स्कूल बंद कर दिए गए। ऑनलाइन क्लासेज और एग्जाम कंडक्ट कराए जाने लगे। बच्चों को पढ़ाने में मोबाइल और लैपटाप का यूज हुआ और इसमें स्टूडेंट के साथ माता-पिता को भी बराबर से जूझूना पड़ा है। इसी का असर है कि हर चौथा कपल इस समस्या से परेशान है।

क्या-क्या दिख रहे हैं लक्षण

आंखों में लालिमा आ चुकी है और इनमें पानी आता है।

आंखों में रह रहकर जलन होने लगती है।

डेढ़ साल में चश्मे का नंबर बढ़ गया है।

पहले साफ दिखता था और अब धुंधला नजर आने लगा है।

आंखें फड़कती ज्यादा हैं और जल्द उनकी हरकत काबू में नही आती।

थोड़ी देर कम्प्यूटर या मोबाइल में देखने के बाद आंखों पर भारी पन बना रहता है।

भारी पड़ सकती है लापरवाही

डॉक्टर्स का कहना है कि अभी भी कई पैरेंट्स बच्चों को कोरोना संक्रमण के डर से स्कूल नही भेज रहे हैं। ऐसे बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है। ऐसे में पैरेंट्स को आंखों को लेकर सतर्क रहना होगा। अगर वह बच्चों को लैपटाप या कम्प्यूटर पर पढऩे में मदद कर रहे हैं तो खुद को स्क्रीन से निश्चित दूरी पर रखना जरूरी है। चाहें तो स्क्रीन यूज करते समय आंखों में लुब्रीकेंट डालें या स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी से बचाने वाला गॉगल पहन लें। बच्चों के साथ भी यही एहतियात बरतना जरूरी है।

करते रहिए उपाय

कम्प्यूटर या मोबाइल पर काम करते समय विटामिन ए प्रचुर मात्रा में लेते रहिए।

थोड़ी-थोड़ी देर में रेस्ट करना जरूरी है, इससे आंखों की मांसपेशियों को रिलैक्स मिलता है।

आंखों में गॉगल पहने या लुब्रीकेंट डाल लें।

आंखों में कोई लक्षण नजर आने पर तत्काल डॉक्टर से बात कर लें।

आंखों को साफ और ठंडे पानी से धुलते रहना चाहिए।

इंडिकेटर का काम करती हैं आंखें

यह भी बता दें कि आंखें किसी रोग के लिए इंडिकेटर का काम करती हैं। जैसे व्यक्ति को अगर ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो आंखों की मांसपेशियां फट सकती है। इतना ही नही, शुगर होने पर आंखों में खून के लाल धब्बे पड़ जाते हैं साथ ही रेटिना में सूजन आने लगती है। ऐसे अन्य कई लक्षण भी हैं जो किसी न किसी रोग के होने का इशारा करते हैं। ऐसे में डाक्टर्स आंखें देखकर जांच करवाते हैं और रोग पकड़ में आन पर उसका इलाज किया जाता है।

ऐसे कई मामले आ रहे हैं जिनमें बच्चों के साथ उनके पैरेंट्स भी आंखों की समस्याओं पर इशारा कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों के साथ उनका भी समय कम्प्यूटर और मोबाइल पर अधिक बीत रहा है। जिससे उनकी आंखें कमजोर हो गई हैं। ऐसे में पैरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में विशेष एहतियात बरतें।

डॉ। कमलजीत सिंह आई स्पेशलिस्ट