प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अतीक के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने वाले भी रडार पर

हो रही जांच, अतीक ने खुद तो नहीं अपनायी है बिजनेस बचाने के लिए मुकदमा दर्ज कराने की रणनीति

<प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अतीक के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने वाले भी रडार पर

हो रही जांच, अतीक ने खुद तो नहीं अपनायी है बिजनेस बचाने के लिए मुकदमा दर्ज कराने की रणनीति

PRAYAGRAJPRAYAGRAJ:

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद के यार अतीत क्यों बन गये। कहां से उनमें इतनी हिम्मत आ गयी कि उन्होंने मुकदमे दर्ज कराना शुरू कर दिया? क्या वास्तव में यह अस्तित्व की जंग है? या इसके पीछे भी कोई छिपा हुआ सच है? पुलिस ने इसकी भी पड़ताल शुरू कर दी है। एक्चुअली पुलिस को शक है कि अतीक ने ही रणनीति के तहत अपनो से मुकदमे लिखवाये ताकि उन पर पूर्व सांसद का विरोधी होने का ठप्पा लग जाय। इसके जरिए वह अपने बिजनेस को मैनेज कर सके।

रिश्तो में आ गई थी खटास

बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद जेल में बंद पूर्व बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने वालों में ज्यादातर नाम ऐसे हैं जिनकी गिनती कुछ दिन पहले तक अतीक के करीबियों में की जाती थी। इसमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जो कुछ मुकदमों में अतीक के साथ सह अभियुक्त भी हैं। फिर ऐसा कैसे हो गया कि वह खुद अतीक के खिलाफ चले गये हैं। पुलिस खिलाफ जाने का कारण तलाशने के लिए तह तक जाने के मूड में है। ताकि इसके पीछे भी कोई राज है तो वह खुलकर सामने आए। इसके बाद इन लोगों पर भी सीधी कार्रवाई की रणनीति पर काम किया जा सकेगा।

खुल सकते हैं कईयों के राज

माफिया अतीक अहमद के खिलाफ करीबियों द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमो की गहराई से जांच पड़ताल में कई राज सामने आ सकते है। सूत्रों का दावा है कि कुछ ऐसे भी करीबी रहे जो पुलिस प्रशासन से बचने के लिए उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए ताकि पुलिस की नजरों से बच सकें। यह काम भी भाई के इशारों पर किये जाने की बात सामने आ रही है। पुलिस की जांच में यह राज खुलते ही उनके खिलाफ भी कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उसके बाद उन पर भी शिकंजा कसा जाएगा।

कारोबार बचाने की कवायद तो नहीं

सूत्रों का कहना है कि यह मसला पुलिस की नजर में इसलिए भी खटका है क्योंकि अतीक लम्बे समय से जेल में हैं। भाई अशरफ पिछले महीने ही जेल भेजा गया है जबकि अतीक का बड़ा बेटा फरार चल रहा है। इसके बाद भी अतीक की सोर्स आफ इनकम पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। यह बात अफसरों को खटक गयी है कि जब अतीक के लगभग सभी गुर्गे जेल भेजे जा चुके हैं तो मददगार कौन है। इसकी भी संभावना है कि कारोबार को चौपट होने से बचाने के लिए पुलिस को गुमराह करने का खेल खेला गया है। मुकदमा दर्ज कराने वाले भी इस खेल का हिस्सा हो सकते हैं। अतीक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने से वह पुलिस की नजर में अतीक विरोधी मान लिए जाएंगे और उनके खिलाफ पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी। इससे उनके साथ अतीक का बिजनेस भी चलता रहेगा। अब पुलिस की जांच से यह स्पष्ट होकर सामने आएगा कि अतीक के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराना किसी बिजनेस डील का हिस्सा तो नहीं है।

पुलिस आतंक कायम करने वालों के खिलाफ एक्शन ले रही है। अतीक से पहले जुड़े रहे लोगों के बारे में पता लगाया जा रहा है कि वे वास्तव में दूर हो गये हैं या दिखावे की दूरी है। जांच में कोई गठजोड़ सामने आया तो उसके खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की जाएगी।

प्रेम प्रकाश

एडीजी, जोन प्रयागराज