नुरुल्ला रोड पर इंक्रोचमेंट से पब्लिक के साथ बड़े दुकानदारों को होती है समस्या

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PRAYAGRAJ: रोड पटरी पब्लिक के पैदल चलने के लिए बनायी गई है, ताकि लोगों को आने-जाने में सुविधा हो। साथ ही दुकानों में खरीदारी करने के लिए आने वाले कस्टमर्स भी अपनी व्हीकल पार्क कर सकें, पर रोड पटरी तक दुकानदारों का पूरी तरह कब्जा है। यह सीन है नुरुल्लारोड का। जिसके कारण हमेशा ही जाम की स्थिति बनी रहती है। रोड से गुजरते समय लोगों को जाम के झाम से दो चार होना पड़ता है।

ई रिक्शा की मनमानी भी बढ़ाती है जाम की समस्या

पटरी तक फैली दुकानों के साथ ही जाम का सबसे बड़ा कारण ई रिक्शा भी है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि कुछ दुकानदार के इंक्रोचमेंट को देखते हुए दूसरे दुकानदार भी अपने सामान को पटरी तक फैला लेते हैं। जिनकी दुकान रोड से हटकर है। उनको दिक्कत का सामना करना पड़ता है, लेकिन अगर जाम की समस्या को देखे, तो इसके पीछे काफी हद तक ई रिक्शा वाले भी जिम्मेदार है। ई रिक्शा चालक रोड पर ही वाहनों को खड़ा करते हैं। जिससे जाम लगता है। करेली समेत दूसरे कई एरिया को सिविल लाइंस आदि से जोड़ने की मुख्य सड़क नुरुल्लारोड है। लेकिन जाम के कारण कस्टमर्स यहां रुकना पसंद नहीं करते हैं। इससे बिजनेस प्रभावित होता है।

रोड के अलग-अलग मोड़ पर खड़े रहते हैं ठेले

नुरुल्ला रोड पर कई गलियां और सड़के आकर मिलती है। ऐसे में इन गलियां और रोड की टर्निग प्वाइंट पर ठेले पर सब्जी, फल, स्नैक आदि की दुकान लगी होती है। कस्टमर्स रोड पर ही इन सामानों की शापिंग करते है। ऐसे में रोड पर जाम की समस्या बनी रहती है। रोड पर होने वाले इक्रोचमेंट के लिए कई बार आफिसर्स से शिकायत भी की गई है। शिकायत के बाद इक्रोचमेंट ड्राइव भी चली, लेकिन जब भी अतिक्रमण अभियान वाले आते हैं, लोग अपनी दुकान पर होने वाले अतिक्रमण को पीछे कर लेते है। लेकिन जैसे ही अतिक्रमण निरोधक दस्ता आगे बढ़ता है। ये लोग फिर से पटरी पर कब्जा कर लेते है। यही कारण है कि रोड की हालत हमेशा ही जाम से झाम से जूझती दिखती है।

- नुरुल्ला रोड पर जाम की समस्या आम बात है। पटरी तक लोग अपने दुकान का सामना फैलाए रहते हैं। जिससे जाम की समस्या बनी रहती है।

मनोज केसरवानी

- नुरुल्ला रोड रात में देखने में काफी चौड़ी दिखती है। लेकिन इंक्रोचमेंट के कारण दिन में हालत बदल जाती है। जिससे बिजनेस प्रभावित होता है।

असलम खान

- जाम की समस्या यहां कभी नहीं खत्म होती है। अतिक्रमण अभियान रोकने वाले दस्ते को देखते ही अतिक्रमण करने वाले अपना सामान पीछे कर लेते है। जैसे ही दस्ता आगे बढ़ता है। पहले जैसा हाल हो जाता है।

अनिल कुमार रावत

- रोड पर लगने वाले जाम के कारण कस्टमर्स यहां रूककर सामान लेने से बचते है। क्योकि उनके पास व्हीकल पार्क करने की जगह नहीं होती। ऐसे में नुकसान होता है।

अमित जयसवाल