प्रयागराज ब्यूरो । धनतेरस की रात दो परिवार के लिए मातम बनकर आई। सड़क हादसे ने दो परिवारों की खुशियां छीन लीं। एक युवक दो साथियों को अपने घर ले जा रहा था। तीनों एक ही बाइक से थे। युवक को बारा जाना था। मगर उसको क्या पता कि रास्ते में मौत उनका इंतजार कर रही है। रास्ते में चिल्ला मोड़ के पास खड़ी ट्रक में बाइक भिड़ गई। दो की मौके पर मौत हो गई। जबकि तीसरे युवक को एसआरएन उपचार के लिए भेजा गया। उसे ज्यादा चोट नहीं आई। उधर, घटना से दोनों परिवार में मातम पसर गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
तीनों शहर से निकले थे गांव जाने के लिए
बारा खास का रहने वाला सनी उर्फ प्रदीप (२४) पुत्र सुरेश कुमार मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता था। वह शहर में लक्ष्मण मार्केट में एक दुकान में काम करता था। उसी के साथ मेजा के गड़ेवरा गांव का रहने वाला कौस्तुभ शुक्ला (२०) भी मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता था। दोनों पक्के दोस्त थे। तीसरा साथी दिनेश कुमार शाहजी का पूरा नैनी का रहने वाला था। दिनेश नगर निगम में प्राइवेट कर्मी के तौर पर काम करता था। धनतेरस की वजह से लक्ष्मण मार्केट गुरुवार रात देर तक खुली रही। तीनों साथी एक बाइक से बारा जाने के लिए निकले। रास्ते में चिल्ला मोड़ के पास खड़े ट्रक में तेज रफ्तार बाइक टकरा गई। मौके पर ही सनी और कौस्तुभ की मौत हो गई। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने घायल दिनेश को उपचार के लिए एसआरएन अस्पताल भेजा। जानकारी पर दिनेश के परिजन अस्पताल पहुंच गए।


पत्नी करती रही इंतजार, पहुंची मौत की खबर
सनी अपने पिता का एकलौता बेटा था। उसके तीन बहने हैं। गुरुवार रात सनी घर जाने लगा तो उसने पत्नी काजल से बात की। सनी ने बताया कि वह अपने दो साथियों के साथ आ रहा है। सनी की शादी बीती जनवरी में 12 तारीख को हुई थी। काजल पति सनी का इंतजार कर रही थी। मगर उसकी मौत की खबर जब घर पहुंंची तो पत्नी काजल बदहवाश हो गई। पिता सुरेश कुमार बिलख पड़े। घर से रोने बिलखने की आवाज आने लगी तो पड़ोसियों की नींद टूटी। परिवार और पड़ोसियों को लेकर सुरेश मौके पर पहुंचे।

पोते की ख्वाहिश रह गई अधूरी
सुरेश कुमार के एक ही बेटा सनी था। छोटी सी खेती किसानी वाले सुरेश कुमार की ख्वाहिश थी कि एक पोता हो जाए तो बेटा कमाएगा और पोता बुढ़ापे की लाठी हो जाएगा, मगर ऐसा न हो सका। सुरेश कुमार कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थे। बेटे की मौत ने सुरेश को इस कदर तोड़ दिया कि वह चुपचाप खड़े रहे।


अब कोई नहीं बचा नाम लेने वाला
मेजा के गड़ेवरा के रहने वाले वीरेंद्र नाथ शुक्ला खेती किसानी करते हैं। सड़क हादसे में वीरेंद्र के बेटे कौस्तुभ की मौत हुई। रात में कौस्तुभ की मौत की खबर घर पहुंची तो वीरेंद्र की आंख से एक भी आंसू न निकले। एक के बाद एक मौत से वीरेंद्र बुरी तरह टूट गए। करीब दो साल वीरेंद्र के छोटे बेटे अरु शुक्ला की अचानक मौत हो गई। स्वस्थ्य तंदरुस्त अरु को क्या हुआ डॉक्टर समझ ही नहीं पाए। वीरेंद्र बेटे की मौत का सदमा भुला भी नहीं पाए थे कि बेटी तनु की अचानक मौत हो गई। तनु की मौत का भी कारण पता नहीं चल सका। एक बेटे और एक बेटी की मौत का सदमा झेल रहे वीरेंद्र को एक और झटका लगा धनतेरस की रात। जब उन्हें पुलिस ने सूचना दी कि कौस्तुभ की सड़क हादसे में मौत हो गई है।