न्याय नगर गेट के निकट ट्रक ने दो महिलाओं को मारी टक्कर, एक की मौत

मार्निग वॉक पर निकली थी सहेलियां, एक की हालत गंभीर

ALLAHABAD: जिसके साथ के चक्कर में अपने बच्चों के साथ जाने से रहने से मना कर दिया, उस दोस्ती को ट्रक की एक ठोकर ने जुदा कर दिया। एक सहेली के हिस्से में दर्दनाक मौत आई और दूसरे गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच गई। महिलाओं को धक्का मारने के बाद तेज रफ्तार ट्रक चालक वाहन के साथ भाग निकला। इसकी सूचना घर तक पहुंची तो दोनों परिवार सन्नाटे में आ गए। रोना-पीटना शुरू हो गया। हादसा जानने के बाद आसपास के लोग भी दहल गए। दोनों के परिवारवालों को संभालने में उनकी भी आंखें नम हो उठीं।

रोज निकलती थीं साथ

न्याय नगर कालोनी झूंसी की रहने वाली डॉ मीरा सिंह (59 सालल) और पड़ोस की रहने वाली अनीता सिंह (54 सालल) में गहरी दोस्ती थी। दोनों रोजाना साथ मार्निग वॉक पर जाती थीं। शनिवार की सुबह भी दोनों साथ ही भोर में घर से निकली थीं। कालोनी के गेट से निकलकर वे रोड पर पहुंची। सड़क पार करते समय ट्रक ने दोनों को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर लगने पर दोनों छिटक कर दूर जा गिरीं। भोर होने के चलते इलाका सुनसान था। इसका फायदा उठाते हुए ट्रक चालक वाहन लेकर भाग निकला। सन्नाटे के चलते किसी को घटना की भनक भी नहीं लगी। कुछ देर बाद दूसरे लोग टहलने निकले तो उनकी नजर सड़क पर पड़ी दोनों महिलाओं पर पड़ी। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को सूचना दी। जब तक पुलिस स्पॉट पर पहुंचती और दोनों को अस्पताल ले जाने के बारे में सोचती मीरा सिंह दम तोड़ चुकी थीं। अनीता बेहद सीरियस कंडीशन में रोड पर पड़ी तड़प रही थीं।

घर पर रहती थीं अकेली

अनीता को अस्पताल भेजवाने के बाद पुलिस ने दोनों का डिटेल पता किया और मीरा सिंह के बेटों को उनकी मौत की जानकारी दी। मीरा सिंह के दो बेटे शिव प्रताप और महेन्द्र हैं। शिव प्रताप परिवार के साथ वाराणसी में रहकर प्राइवेट जॉब करता है। दूसरा बेटा महेन्द्र लखनऊ कापरेटिव बैंक में सहायक अधिकारी की पोस्ट पर तैनात है। दोनों बेटियों प्रतिमा और कल्पना की शादी हो चुकी है। घटना की जानकारी पाकर शहर पहुंचे बेटे शिव प्रताप ने बताया कि मां घर पर अकेले रहकर बच्चों का स्कूल चलाती थीं। उनसे कई बार साथ चलने के लिए कहा गया मगर वह तैयार नहीं हुई। बेटे का कहना है कि मां और अनीता आंटी काफी क्लोज थीं। मां के मौत के बाद बेटियां भी घर पहुंच गई थीं। सभी के आंखों में मां के जाने का गम झलक रहा था। बेटियों के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे।