फूड लाइसेंस बनवाने में सक्रिय हैं दलाल

मार्केट में हो रखा है कब्जा, लेते हैं मनमाना पैसा

गवर्नमेंट ने सिस्टम को आनलाइन कर दिया है। फीस का पेमेंट आनलाइन करना है। अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी है। तय कर दिया गया है कि कितने दिन के भीतर लाइसेंस जारी कर दिया जायेगा। लाइसेंस जारी न करने का कोई कारण है या फिर आवेदन पर कोई आपत्ति है तो ऑफिसर को आनलाइन ही बताना होगा। इसके बाद भी मार्केट में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के नाम पर खुलेआम दुकान चल रही है। दलाल फूड लाइसेंस बनवाने के नाम पर फूड वेंडर्स को कैप्चर कर उनसे मनमानी वसूली कर रहे हैं। दलाल इसलिए भी फल-फूल रहे हैं क्योंकि ज्यादातर दुकानदार कम्प्यूटर फ्रेंडली नहीं हैं। लाइसेंस बनवाने और रिन्यू करवाने का बड़ा मार्केट होने को देखते हुए दलालों ने एरिया ने बांट लिया है। यह जानने के बाद दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर लग गया इस नेक्स्स का पर्दाफाश करने में।

सबने बना रखे हैं अड्डे

रिपोर्टर ने इंवेस्टिगेट करना शुरू किया तो पता चला कि दलालों का पूरा नेटवर्क काम पर है। दलालों ने अपना एरिया बांट लिया है और अड्डे बना रखे हैं। यहां से इनका बिजनेस चलता है। रिपोर्टर ने एजी आफिस के नजदीक स्थित एक नामचीन भोजनालय में पड़ताल की तो पता चला कि एक व्यक्ति रोजाना यहां आकर बैठता है। वह 3 से 4 हजार रुपए लेकर फूड लाइसेंस बनवाता है। रिपोर्टर ने खुद को होटल का मालिक बताया तो दुकानदार ने दलाल का नंबर तक उपलब्ध करा दिया। यह भी बताया कि लाइसेंस से अधिक पैसे लेने वाला दलाल यह पैसा साहब तक पहुंचाने के नाम पर लेता है। रिपोर्टर ने दलाल से कांटेक्ट किया तो उसने फोन पर बात करने से मना कर दिया।

तीन दलालों से हुई बात, हुआ खुलासा

इसके बाद भी हमने हार नहीं मानी। इस नेटवर्क के बारे में पता लगाने में लगे रहे। इसके बाद हमें फूलपुर, सिविल लाइंस और तेलियरगंज एरिया में सक्रिय दलालों का नंबर मिला। इनसे फोन पर बातचीत में पता चला कि किस तरह से फूड लाइसेंस के नाम पर अवैध वसूली हो रही है।

स्टिंग नंबर एक

(हमने सिविल लाइंस के फूड लाइसेंस बनाने वाले दलाल से बात की। हमने उसके मोबाइल नंबर 995673 पर कॉल किया.)

रिपोर्टर- हैलो, फूड विभाग से बोल रहे हैं क्या?

दलाल- हां बोल रहा हूं। बताइए।

रिपोर्टर- भईया एक फूड लाइसेंस बनवाना है।

दलाल- किस चीज की दुकान है?

रिपोर्टर- किराना की दुकान है।

दलाल- लोकेशन क्या है दुकान की?

रिपोर्टर-पत्थर गिरिजाघर के नजदीक एक गली में हमारी दुकान है।

दलाल- साहब से कह देंगे, वह आ जाएंगे या हम आपसे मिल लेंगे?

रिपोर्टर- कैसे होगा थोड़ा सा बता दीजिए?

दलाल- जहां पर दुकान है वहां का बिजली का बिल, आधार की फोटो कॉपी और फोटोग्राफ दे दीजिएगा।

रिपोर्टर- भइया पैसा कितना लगेगा लाइसेंस बनवाने में?

दलाल- जब वहां पर आएंगे तभी पैसा बता देंगे, लेकिन आपको मेरा नंबर कहां से मिला।

रिपोर्टर- अरे म्योहाल के पास हमारे दोस्त की दुकान है। वहीं से आपका नंबर दिया गया है।

दलाल- (दलाल को शक होने लगता है) वहां किससे नंबर मिला है बताइए? ऐसा है चलिए हम थोड़ा बिजी हैं। कल हम फोन करके आ जाएंगे आपके पास। आमने-सामने बात करेंगे।

(रिपोर्टर दोबारा फोन करता है लेकिन इस बार भी दलाल फोन काट देता है)

स्टिंग नंबर दो

(इस बार हमने तेलियरगंज में सक्रिय फूड दलाल से 798592 नंबर पर बात की। उसने हमें फूड लाइसेंस की ऑफलाइन ठगी के बारे में खुलकर बताया)

रिपोर्टर- हैलो, राजेश बोल रहा हूं? आप फूड लाइसेंस विभाग से बोल रहे हैं क्या?

दलाल- हां वही से बोल रहा हूं। क्या काम है आपको?

रिपोर्टर- मेरी किराना की दुकान है अपट्रान चौराहे के नजदीक।

दलाल- आज संडे है, कल फोन करिएगा।

रिपोर्टर- अरे सुनिए तो, बहुत जरूरी है। क्या कागज लगेगा और कितना पैसा लगेगा बता दीजिए।

दलाल- बिना आपसे मिले या आपकी दुकान देखे मैं कुछ नहीं बता सकता हूं। कल आऊंगा तो आपको फोन करुंगा। दुकान देखने के बाद ही पैसा बता पाऊंगा। वैसे कितना टर्नओवर है आपका?

रिपोर्टर- हमारा एक दिन का टर्नओवर 5 से 6 हजार रुपए का है।

दलाल- अच्छा। (दलाल को लगता है कि बड़ा व्यापारी है इसलिए वह बात करने को तैयार हो जाता है) लेकिन यह टर्नओवर एफएसओ को मत बताइएगा। जितना अधिक टर्नओवर होगा उतना ही अधिक पैसा लगेगा। कल हम दुकान देखने के बाद ही पैसे के बारे में बता पाएंगे।

रिपोर्टर- कागज बता दीजिए कि कौन सा तैयार रखना है?

दलाल- आईडी का फोटो स्टेट और अपना फोटो दे दीजिएगा।

रिपोर्टर- कुछ आइडिया बता दीजिए। मोटा-मोटा कितना पैसा लगेगा। हमारे बगल वाले दुकानदार से आपका नंबर मिला है। वही बताए हैं कि 1100 से 1200 रुपए लगेगा।

दलाल- ऐसा नही है जितना टर्न ओवर है उतना ही पैसा लगेगा। छोटा लाइसेंस में 2200 रुपए और बड़े लाइसेंस की फीस 3500 रुपए है। हम बता रहे हैं। कोई और आपको बताएगा नहीं।

रिपोर्टर- साहब इतना पैसा कहां लगता है। सौ रुपए तो छोटे लाइसेंस की फीस है। फिर इतना पैसा कौन लेता है?

दलाल -यह तो ट्रेजरी चालान का पैसा है। फीस भी तो लगेगी। भईया बड़ी मगजमारी है। दिनभर माथापच्ची होती है। आप तो जानते हैं कि यह सरकारी काम है। आप ऑनलाइन अप्लाई कर देंगे लेकिन लाइसेंस तो साहब ही जारी करेंगे। तभी आपको मिलेगा। फीस तो देना ही पड़ेगा।

रिपोर्टर- अरे गरीब आदमी हैं हम। देख लीजिए कुछ कम हो जाए।

स्टिंग नंबर तीन

(इस बार हमने फूलपुर में फूड लाइसेंस बनवाने वाले दलाल के नंबर पर बात की। उसका नंबर भी हमें दुकानदार से मिला था। )

रिपोर्टर- हैलो, भईया हम वीरेंद्र बोल रहे हैं। फूलपुर लोचनगंज के पास से।

दलाल- बताएं क्या काम है आपको?

रिपोर्टर- हमारी किराना की दुकान है। हमें फूड लाइसेंस बनवाना है। कुछ लोगों ने आपका नंबर दिया है। फूड लाइसेंस बनवाने के लिए क्या करना होगा?

दलाल- पहले ये बताओ कि मेरा नंबर आपको किसने दिया है?

रिपोर्टर- एक लोग हैं हमारे परिचित। वह कनौजाकला के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इस नंबर पर बात कर लो समस्या का समाधान हो जाएगा।

दलाल- यहां के फूड अधिकारी का नंबर हम दे रहे हैं। इनसे बात कर लीजिए नहीं तो हम बात कर लेंगे। आपका लाइसेंस बन जाएगा।

रिपोर्टर- अरे आप बनवा दीजिए। हम साहब से नहीं मिलेंगे। आप बस हमको कागज और पैसा बता दीजिए।

दलाल- दो फोटो और आइडी दे दीजिए हम आपका लाइसेंस बनवा देंगे।

रिपोर्टर- और पैसा भी बता दीजिए?

दलाल- दुकान छोटी है या बड़ी?

रिपोर्टर- छोटी है।

दलाल- चलिए ऑनलाइन करके बता दीजिएगा लाइसेंस बन जाएगा।

रिपोर्टर- ऑनलाइन का सौ रुपया लगेगा क्या?

दलाल- यह तो सरकार के खाते में चला जाएगा।

रिपोर्टर- तो आप बता दीजिए कितना लगेगा। एक दुकानदार बता रहे थे कि 2200 से 2300 रुपए लग जाएगा। लेकिन ये तो बहुत ज्यादा पैसा है।

दलाल- अरे यार लाइसेंस बनवा देंगे आपको परेशान मत हो। चलो मिलना तो बताएंगे कि कितना पैसा लगेगा। आप आनलाइन करा दीजिए पहले।

नियम जानें, कम हो जाएगी परेशानी

सालाना 12 लाख से कम टर्नओवर वाले फूड वेंडर का लाइसेंस 100 रुपए की फीस के साथ ऑनलाइन बनता है।

सालाना 12 लाख से अधिक टर्न ओवर वाले फूड वेंडर का लाइसेंस 2000 रुपए फीस के साथ ऑनलाइन बनता है।

तय समय के भीतर अधिकारी को यह लाइसेंस जारी करना होता है। यह नियम के अंतर्गत है।

अधिकारी लाइसेंस इशू नहीं करता है तो कारण भी ऑनलाइन बताना होता है।

तय समय पर लाइसेंस ऑनलाइन जारी नहीं करने पर अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

इस तरह की बात है, तो उसकी जांच की जायेगी, वहीं इस पूरे मामले में यदि कोई भी अधिकारी चाहे वह किसी भी लेवल का होगा शामिल है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

केके त्रिपाठी, प्रभारी अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग, प्रयागराज

इस पूरे मामले में यदि कोई व्यक्ति शामिल होता है तो उसके खिलाफ एक्शन होगा। साथ ही खबर के आधार पर भी मामले की पूरी जांच की जायेगी।

जगदंबा जी मौर्या, एडिशनल कमिश्नर, खाद्य सुरक्षा विभाग प्रयागराज मंडल