प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार कौंसिल आफ इंडिया की परीक्षा में सीसीटीवी कैमरे लगाने और सपुस्तक परीक्षा प्रणाली (ओपन बुक एग्जाम) लागू करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। याचिका बिना किसी ठोस तथ्य के केवल कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर दाखिल की गई है।

दाखिल की गयी थी पीआईएल

चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की बेंच ने अधिवक्ता प्रतीक शुक्ल की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। इसमें कहा गया था कि बार कौंसिल की अखिल भारतीय परीक्षा में व्यापक पैमाने पर धांधली और नकल की शिकायतें आ रही हैं। रोकथाम के लिए सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। साथ ही परीक्षा को ओपन बुक एग्जाम घोषित करने की मांग की गई थी। याची का कहना था कि इससे पहले परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत पर कई जिलों में परिणाम रोकना पड़ा है। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे यह पता किया जा सके कि कौन नकल कर रहा है और कौन नहीं? बार कौंसिल ऑफ इंडिया का गठन विधिक सुधार और व्यवसाय की गुणवत्ता के लिए किया गया है। शुचितापूर्ण परीक्षा कराना भी उसकी जिम्मेदारी है। आल इंडिया बार परीक्षा का परिणाम घोषित होने के 30 दिन के भीतर सर्टिफिकेट आफ प्रैक्टिस परीक्षार्थियों के घर के पते पर प्रेषित कर दिया जाए।

आरोप परिकल्पना पर आधारित

कौंसिल के अधिवक्ता ने कहा कि याची का आरोप सिर्फ परिकल्पना पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। वह भी 2019 की मीडिया रिपोर्ट है। परीक्षा प्रत्येक वर्ष कराई जाती है और अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, इसमें नकल की शिकायत की गई हो। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिका बिना किसी तथ्य दाखिल की गई है। याची ने 2021 में भी इसी मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी, जिसे उसने फिर से दाखिल करने की अनुमति के साथ वापस ले लिया। तीन वर्ष बाद याचिका में बिना कोई बदलाव किए पुन: दाखिल किया गया है।