कहने को तो यह रीजन का सबसे बड़ा रेफरल हॉस्पिटल है। लेकिन व्यवस्था ऐसी कि इस भीषण गर्मी में मरीज तिलमिला रहे हैं। वार्डो में न एसी है और न ही कूलर का इंतजाम, जो हैं भी वो भी महज शोपीस बने हैं। आर्थोपेडिक, बर्न, आइ्रसीयू जैसे तमाम वार्डो के यही हाल हैं। मरीज बार-बार बेहोश हो रहे हैं, गर्मी से दम तोड़ रहे हैं।

- भीषण गर्मी में तड़प रहे हैं एसआरएन हॉस्पिटल के मरीज

- वार्डो में नहीं हैं कूलर, लंबे समय से बंद पड़े हैं एसी

ALLAHABAD: ब्8 डिग्री टेंपरेचर में आम आदमी ही नहीं एसआरएन हॉस्पिटल के मरीजों को भी चैन नहीं है। बीमारी से ज्यादा आजकल वह गर्मी से परेशान हैं। आग की तरह तप रहे वार्डो में उनको राहत देने के लिए न तो कूलर मौजूद है और न ही एसी। ये लगाए भी गए हैं तो महज शोपीस बनकर रह गए हैं। रीजन के सबसे बड़े रेफरल हॉस्पिटल की दयनीय दशा पर न तो प्रशासन का ध्यान जा रहा है और न ही शासन का। हालत ये है कि मजबूरी में मरीज अपने घर से पंखा-कूलर लेकर आ रहे हैं।

तीस बेड के बीच महज एक कूलर

मरीजों से ठसाठस भरे हॉस्पिटल के वार्डो में गर्मी से निपटने के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। दिखावे के लिए केवल एक कूलर लगाया गया है जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। आर्थोपेडिक वार्ड नंबर एक का कूलर जहां बंद पड़ा है वहीं वार्ड नंबर में दो में लगा कूलर केवल एक मरीज के लिए ही है। बेड नंबर दो पर भर्ती मरीज पोडू के परिजनों ने बताया कि मजबूरी में घर से कूलर और पंखा लेकर आए हैं। वार्ड नंबर दो में ख्9 नंबर बेड का सीलिंग फैन खराब होने से भर्ती मरीज झूंसी के विजय शंकर को दूसरे बेड पर शिफ्ट कराया गया है। यही हालात वार्ड नंबर आठ के हैं जहां लगा कूलर सभी मरीजों के लिए नाकाफी है।

यहां बेहोशी की हालत में हैं मरीज

सबसे खराब हालात वार्ड नंबर नौ और दस के हैं। तीस-तीस बेड के इन वार्डो में एक भी कूलर मौजूद नहीं है। भीषण गर्मी में मरीज तिलमिला रहे हैं। लो वोल्टेज के चलते पंखे की हवा भी मरीजों को सुकून नहीं दे पा रही है। वार्ड नौ के बेड नंबर क्8 पर एडमिट शकुंतला के परिजनों ने बताया कि गर्मी के चलते मरीज को बार-बार बेहोशी की शिकायत हो रही है। स्टाफ से कहा लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। उमस और गर्मी के चलते एक-एक पल काटना मुश्किल है। दीवारों पर लगे एग्जास्ट भी गायब मिले। इसके उलट स्टाफ नर्सेज रूम में लगा कूलर पूरी स्पीड से चल रहा था लेकिन वहां एक भी स्टाफ मौजूद नहीं था।

गर्मी से दम तोड़ रहे मरीज!

हॉस्पिटल के सबसे व्यस्त और हमेशा मरीजों से खचाखच भरे रहने वाले मेडिसिन आईसीयू वार्ड के हालात भी कम नाजुक नहीं है। गर्मी के मौसम में यहां आए दिन मरीजों की मौत हो रही है। परिजनों की मानें तो बीमारी से अधिक दिक्कत गर्मी से हो रही है। बता दें कि फ्0 बेड वाले इस वार्ड में काफी सीरियस मरीजों को एडमिट किया जाता है। आप खुद जानकर चौंक जाएंगे कि एक ओर पारा ब्8 डिग्री को पार कर रहा है तो दूसरी ओर इस वार्ड में लगे आठ में से केवल एक एसी चालू हालत में है। परिजनों का कहना है कि जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, गर्मी से मरीजों का बुरा हाल हो जाता है। छत पर लगे पंखों में इतनी ताकत नहीं है कि वह मौसम की तल्खी से राहत दिला सके। उधर, जबरदस्त गर्मी के बीच गंदगी और बदबू के चलते मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

तीन एसी के सहारे चल रहा बर्न वार्ड

इसी तरह हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में लगे सभी एसी ठीक तरह से काम नहीं कर रहे हैं। बुरी तरह से आग झुलसे लोगों को जलन और इंफेक्शन से बचाने के लिए इस वार्ड में कुल छह एसी लगाए गए हैं। जिनमें से केवल तीन काम कर रहे हैं। हमेशा फुल रहने वाले क्क् बेड के बर्न वार्ड के सभी एसी नहीं चलने से मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परिजनों ने बताया कि बीच-बीच में कुछ देर के लिए एसी को बंद भी कर दिया जाता है। ऐसा करने से मरीज दर्द से कराह उठते हैं।

अजीबो-गरीब तर्क

बर्न वार्ड में तीन एसी बंद होने के बारे में जब मौके पर मौजूद स्टाफ नर्स से पूछा गया तो उनका जवाब अजीबो-गरीब था। उन्होंने कहा कि तीन एसी से ही वार्ड का टेम्परेचर मेंटेन हो जाता है। ऐसे में उनको बंद रखा जाता है। बारी-बारी से अल्टरनेट व्यवस्था के तहत पूरे छह एसी का यूज किया जाता है। अधिक कूलिंग होने पर मरीजों पर विपरीत असर पड़ सकता है। जबकि, नियमानुसार बर्न वार्ड में मौजूद सभी एसी चलाए जाने चाहिए।

मरीजों को हो रहा है नुकसान

दोनों वार्डो में प्रॉपर कूलिंग नहीं होने से अक्सर मरीजों की हालत बिगड़ने लगती है। नाम नहीं छापने की शर्त पर मौके पर मौजूद आईसीयू मेडिसिन वार्ड में डॉक्टरों ने बताया कि अधिक गर्मी पड़ने से मरीजों का ब्लड प्रेशर, एनजाइटी बढ़ने के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइट एब्नॉर्मलटी होना एक आम बात है। ऐसे में उनको मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। वहीं बर्न वार्ड में टेम्परेचर अधिक हो जाने से घाव भरने के बजाय बिगड़ने लगते हैं। डॉक्टरों का यह भी कहना था कि अक्सर एसी नहीं चलने से परिजन उनसे कहासुनी करने लगते हैं, जिससे झगड़े की नौबत आ जाती है। अगर जल्द एसी की मरम्मत नहीं कराई गई तो इस माहौल में डॉक्टर विरोध भी दर्ज करा सकते हैं।

तो इसलिए शिफ्ट हो जाते हैं मरीज

प्रॉपर कूलिंग नहीं होने से अक्सर बर्न वार्ड में एडमिट होने वाले मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल्स में शिफ्ट हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही सरायइनायत में तेजाब हमले का शिकार हुई रेशमा के साथ भी हुआ। उसके परिजन उसे यहां से ले गए। वहीं बाकी मरीज भी दो से तीन से ज्यादा यहां टिक नहीं पाते। परिजनों का कहना है कि भीषण गर्मी में एसी खराब होने से अक्सर मरीज दर्द से तड़पने लगते हैं।