प्रयागराज (ब्‍यूरो)। दिल को स्वस्थ रखना है तो ब्लड प्रेशर को नार्मल रखना होगा। यह तभी होगा जब बीपी की समय समय पर जांच कराई जाए। यह बात वरिष्ठ हहृदय रोग विशेष डॉ। रंजन मोदी ने कही। वह रविवार को इलाहबाद मेडिकल एसोसिएशन के कन्वेंशन सेंटर में कार्डियोलॉजी अपडेट 2024 कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बार-बार सिरदर्द होना बीपी हाई होने का कारण है। अगर बीपी कंट्रोल है तो किडनी, हार्ट, ब्रेन खराब होने व लकवा की परेशानी से बच सकते हैं।

नमक कम खाएं तो होगा बचाव
डॉ। मोदी ने कहा कि वजन कम रखें, हल्का नमक लें, नार्मल नमक खाएं इसके बाद भी अगर ब्लड प्रेशर नियंत्रित नहीं है, तब दवा का सहारा लें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सेंधा नमक का सेवन करते हैं। लेकिन इसमें सोडियम की मात्रा कम होने से लोगों को कमजोरी महसूस होती है। चक्कर आते हैं। अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक होती है। इसलिए उन्हें सामान्य नमक का सेवन करना चाहिए। लखनऊ से आए डॉ। पीके गोयल ने डॉ। केएस नियोगी की स्मृति में व्याख्यान देते हुए इंटरवेन्शनल कार्डियोलॉजी के विषय में बताया। इस दौरान वाराणसी के डॉ। आलोक सिंह, मुख्य अतिथि एमडी मेडिसिन डायरेक्टर जनरल ऑफ़ हेल्थ सर्विस मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया डॉ। अतुल गोयल व वशिष्ठ अतिथि पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा, एएमए अध्यक्ष डॉ। कमल सिंह, सचिव डॉ। आशुतोष गुप्ता, मीडिया प्रभारी डॉ। अनूप चौहान, डॉ। सुजीत सिंह आदि उपस्थित रहे।

जरूरी जांच से चलता है रोग का पता
बच्चों में जन्मजात हहृदय रोग का पता लगाने के लिए उनकी ईको कार्डियोग्राफी जांच की जानी चाहिए। यह बात दिल्ली से आए डा। नीरज अवस्थी ने कही। उन्होंने एक हजार बच्चों में तीन में जन्मजात यह बीमारी पाई जाती है। लेकिन आसानी से इसका पता नही लग पाता है। अगर बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा, अधिक पसीना आ रहा है, शरीर में नीलापन आ रहा है, भाग-दौड़ नहीं पाता, थकान जल्द हो जाती है, तो यह ह्दय रोग का लक्षण हो सकता है। इसी क्रम में डौ। आनंद पांडेय ने कहा कि ईसीजी की रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि इलाज सही दिशा पर किया जा सके। बहुत से लोग ईसीजी की जांच को गंभीरता से नही लेते हैं। इसका परिणाम काफी भयानक हो सकता है। इसलिए ईसीजी की रिपोर्ट सही नही आने पर इको और फिर इलाज शुरू करा देना चाहिए।

डॉ। पवन कुमार ने कहा कि हार्ट फेलियर मरीज के इलाज में सर्जिकल मैनेजमेंट की जानकारी होना जरुरी है। कई मरीजों की हालत काफी खराब हो जाती है, जिसमें मरीज पर दवाईयों का असर नहीं होता, वजन गिरने लगता है, हालत बद से बत्तर होती जाती है। इससे बचाव के लिए फेफड़े और हार्ट की जांच कराई जानी चाहिए। इसमें आध्ुानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यह तकनीक जल्द ही प्रयागराज मे भ उपलब्ध होगी।