प्रयागराज (ब्यूरो)। पुलिस विभाग के अपने अलग प्रॉटोकॉल होते हैं। अगर कोई सीनियर सामने आ जाए तो जूनियर रिस्पेक्ट में खड़ा हो जाता है। लेकिन होलागढ़ थाने में तैनात एक दबंग सिपाही व कारखास की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जिस सिपाही का नाम समीर सिंह बताया गया। जो अपने सीनियर की कुर्सी पर ठाट-बाट के साथ बैठ था। इतना ही नहीं कुर्सी पर बैठे सिपाही के सामने सीनियर दरोगा खड़े-खड़े फरियादियों की शिकायत सुन रहे थे। इसी सिपाही की एक और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें अपराधी को थाने में कुर्सी देकर बगल में बैठा फोटो खिंचवा रहा था। इस वायरल हुई फोटो को लेकर क्षेत्र की जनता के बीच दबंग सिपाही चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा यह भी है कि वायरल फोटो पर पूर्व में सिपाही के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। अब सवाल यह है कि अगर कार्रवाई हो चुकी है तो सिपाही कैसे थाने पर डटा हुआ है। या फिर इस दबंग सिपाही को बचाने की कोशिश की जा रही है।

एफआईआर दर्ज तो कैसे नीलाम हो गयी बाइक

हाई कोर्ट ने गृह व ट्रांसपोर्ट विभाग से मांगा हलफनामा

क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के गृह विभाग व ट्रांसपोर्ट विभाग को ऐसा तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है, जिससे देश में कहीं भी वाहन चोरी की एफआईआर दर्ज होने के बाद बरामद वाहन की नीलामी विवेचक व वाहन मालिक की जानकारी के बिना नीलाम न किया जा सके।

पुलिस की दिखी लापरवाही

कोर्ट ने दोनों विभागों से 6 हफ्ते में हलफनामा मांगा है और पूछा है कि याची के मोटरसाइकिल चोरी की शाहगंज थाना प्रयागराज में दर्ज प्राथमिकी के बाद भी दारागंज थाना पुलिस ने लावारिश वस्तु दिखाकर नीलामी कैसे कर दी। यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और विक्रम डी चौहान की बेंच ने सुनील कुमार उर्फ सुनील चौधरी की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसके बाइक चोरी की रिपोर्ट 2015 में शाहगंज थाने में दर्ज है। दारागंज पुलिस ने लावारिश हालत में बरामद दिखायी। काफी दिनो तक कोई दावेदार सामने न आना बताकर उसे नीलाम करने का फैसला लिया गया। नीलामी में बाइक सुरेश पांडेय ने खरीद ली। वाहन को नीलामी करने से पहले थानो के बीच कोआर्डिनेशन भी नहीं हुआ जिससे पता चल सके कि इस बाइक के चोरी चले जाने की रिपोर्ट थाने में दर्ज है।