प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज। पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में अभी पिक्चर बाकी है। पेपर लीक माफिया राजीव नयन मिश्रा बेहद शातिर अपराधी निकला। राजीव नयन ने अपने पूरे गैंग को इस कदर बनाया कि उस चक्रव्यूह को तोड़ पाने में एसटीएफ को सात महीना लग गए। दिन रात प्रयास के बाद एसटीएफ राजीव नयन के गैंग के थर्ड लेयर तक पहुंच सकी। थर्ड लेयर के दो मेंबर को पकड़ कर एसटीएफ जेल भेज चुकी है। एसटीएफ को अभी थर्ड लेयर के एक दर्जन से ज्यादा मेंबरों की तलाश है। इन मेंबरों के पकड़े जाने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि आखिर कितने करोड़ का गेम राजीव नयन ने खेला। फिलहाल अभी तक का आंकड़ा पंद्रह करोड़ रुपये के ऊपर का है।

तीन लेयर में बनाया गैंग
मेजा के रहने वाले राजीव नयन मिश्रा ने तीन लेयर में अपना गैंग बनाया। फस्र्ट लेयर में राजीव नयन ने अपने ऐसे करीबियों को चुना जिनसे वह सलाह मश्विरा करता था। इस ग्रुप में सुभाष प्रकाश, राजीव नयन की प्रेमिका सुष्मिता शामिल थे। जबकि सेकेंड लेयर में पेपर लीक कराने में सहयोग करने वाले मेंबर थे। वहीं, थर्ड लेयर में राजीव नयन ने अपने उन करीबियों को चुना, जोकि अभ्यर्थियों की सेटिंग करते थे।
सेटर के सहारे खड़ा कर लिया साम्राज्य
पेपर लीक माफिया राजीव नयन मिश्रा की खासियत रही कि वह पूरा गेम खुद सजाता था। अपने गेम में वह किसी की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करता था। जिसका नतीजा रहा कि राजीव नयन काफी हद तक कामयाब रहा। ये तो सोशल मीडिया में पेपर लीक होने की चर्चा हो गई, जिसकी वजह से मामला फंस गया, वरना राजीव नयन अपने मंसूबे में कामयाब होने के किनारे पहुंच गया था। खैर, राजीव नयन थर्ड लेयर में शामिल करीबियों के सहारे शिकार तलाशता था। राजीव नयन ने इसके लिए थर्ड लेयर में काम करने वालों को तीस परसेंट देने का भरोसा दिया था। बाहर लाख रुपये में एक कंडिडेट से सौदा तय किया जाता था और आधी रकम एडवांस में ली जाती थी। एडवांस में ली गई आधी रकम का तीस परसेंट राजीव नयन थर्ड लेयर में काम करने वालों को देता था। फिलहाल, राजीव नयन के गैंग के थर्ड लेयर को पकडऩे में एसटीएफ को सात महीने लग गए। एसटीएफ ने थर्ड लेयर के अभी दो मेंबरों संजय कुशवाहा और कामेश्वर मौर्य को पकड़ा है।
खुद हैंडल करता था थर्ड लेयर
एसटीएफ के हत्थे चढ़े थर्ड लेयर के मेंबरों संजय कुशवाह और कामेश्वर मौर्य के जरिए जानकारी सामने आई है कि राजीव नयन खुद थर्ड लेयर को हैंडल करता था। इसमें गैंग के किसी अन्य मेंबर का कोई रोल नहीं होता था। जिसका नतीजा है कि थर्ड लेयर के मेंबर राजीव के अलावा अन्य किसी को नहीं पहचानते हैं। शायद इसी शातिर अंदाज का नतीजा है कि एसटीएफ को संजय और कामेश्वर तक पहुंचने में सात महीने का समय लग गया। जबकि दोनों पेपर लीक मामले में राजीव नयन समेत एक दर्जन से ज्यादा गिरफ्तारी होने के बाद भी शहर छोड़कर नहीं गए। ये बात दीगर है कि तीन अप्रैल को राजीव नयन की गिरफ्तारी के बाद दोनों ने ज्यादा समय अंडर ग्राउंड होकर ही गुजारा।

अभी एक दर्जन की तलाश
राजीव नयन ने थर्ड लेयर के मेंबरों को कंडीडेट तलाशने का काम सौंपा था। यूपी को राजीव नयन ने दो हिस्सों में बांटा। पूर्वांचल में प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, बांदा समेत कई जिलों में उसने थर्ड लेयर के मेंबरों के जरिए कंडीडेट फांसे। इन कंडीडेट्स को राजीव ने मध्यप्रदेश रीवा के रिसोर्ट में पेपर रटवाया। जबकि पश्चिमी यूपी के कंडीडेट को हरियाणा के एक गेस्ट हाउस में ले जाया गया था। पुलिस भर्ती मामले में अब तक ये जानकारी सामने आई है कि राजीव नयन ने थर्ड लेयर में करीब पंद्रह मेंबरों को शामिल किया था। जिसमें से दो की गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि एक दर्जन से ज्यादा की तलाश की जा रही है।

व्हाट्स एप कॉल से बात
राजीव नयन ने अपने गैंग को बचाने के लिए पूरी सतर्कता बरती। वह थर्ड लेयर के मेंबरों से गिने चुने शब्दों में व्हाट्स एप कॉल से बात करता था। इसके बाद वह खुद आकर एडवांस में मिली रकम का हिसाब करके उसे ले जाता था।

शिवानी के पास है रकम की जानकारी
भोपाल में रहने वाली राजीव नयन की लवर शिवानी के पास पेपर लीक प्रकरण की रकम की जानकारी है। राजीव नयन की गिरफ्तारी होने के बाद उसके बैंक एकाउंट को खंगाला गया, मगर उसमें ज्यादा रकम नहीं मिली। इस बीच एसटीएफ को पता चला कि राजीव नयन सबसे ज्यादा मोबाइल पर बात अपनी लवर से बात करता था। लवर की तलाश शुरू हुई तो उसका नाम शिवानी पता चला। मगर तीन अप्रैल के बाद से शिवानी भी गायब है। एसटीएफ अभी तक उसे तलाश नहीं पाई है।