1980 में पूरा हुआ था पुल का निर्माण
60 हजार वाहन रोज गुजरते हैं पुल से
2010 में पीडब्लूडी को मिला सुरक्षा का जिम्मा
2200 मीटर है पुल की कुल लम्बाई
28 नंबर पिलर की बैरिंग मंगलवार को हुई स्लिप

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शास्त्री ब्रिज से होकर वाराणसी व जौनपुर एवं आजमगढ़ और गोरखपुर या झूंसी साइड जाना है तो डेढ़ से दो घंटे का एक्स्ट्रा टाइम लेकर निकलिए। ब्रिज के 28 नंबर पिलर की बैरिंग के खिसक जाने से रोड के ज्वाइंट में करीब तीन से चार इंच का गैप आ गया है। मंगलवार को अचानक हुई इस समस्या के चलते सफर करने वालों के लिए खतरा बढ़ गया है। भारी वाहनों ट्रक, बस का प्रेशर या झटका अथवा लोड बढऩे से बड़े हादसे की आशंका बढ़ गई है। खतरे को देखते हुए प्रशासन के निर्देश पर ब्रिज को वन-वे कर दिया गया है। वन-वे किए जाने के कारण अप एण्ड डाउन दोनों वाहन एक ही लेन से चल रहे हैं। ऐसे में ब्रिज के ऊपर यात्रियों को भीषण जाम का सामना करना पड़ रहा है। बुधवार को इस पुल के ऊपर व दोनों तरफ रोड पर गाडिय़ों की लंबी कतार लगी रही। गाडिय़ों को ब्रिज से पार कराने में देर रात तक पुलिस के जवान जूझते रहे।

खिसकी 28 नंबर पिलर की बैरिंग
सोमवार की रात तक गंगा नदी पर बने शास्त्री ब्रिज से होकर गाडिय़ों दोनों लेन पर स्मूदली चल रही थी। मंगलवार को अचानक ब्रिज के 28 नंबर पिलर पर लगाई गई बैरिंग ही खिसक गई। बैरिंग के खिसक जाने के कारण यहां सड़क के ज्वाइंट में करीब तीन से चार इंच का गैप हो गया। बावजूद इसके गाडिय़ों का आवागमन बना हुआ था। शुक्र यह था कि ब्रिज की सड़क के ज्वाइंट में आए इस गैप पर किसी की नजर पड़ गई। वह शख्स इस गैप को देखते हुए संभावित बड़े हादसे हादसे को भांप गया। बात दूसरों को बताया तो लोकल लोगों की भीड़ लग गई और वह खबर पुलिस को दिए। दारागंज व झूंसी इंस्पेक्टर को ब्रिज के पिलर की स्प्रिंग खिसकने की बात सुनते ही जिम्मेदारों को पसीना झूट गया। पुलिस अधिकारी जानकारी डीएम व कमिश्नर को दिए। बताते हैं कि यह खबर पाते ही संभावित खतरे को देखते हुए पूरा प्रशासन अलर्ट मोड़ में आ गया। फौरन पहुंचे अधिकारियों ने ब्रिज पर बैरियर लगाकर वन-वे करा दिया। वन-वे हो जाने से करीब ढाई किलो मीटर लंबे इस ब्रिज के दूसरे लेन पर भीषण जाम लग गया। जाम सुबह और शाम के वक्त इस ढाई किमी ब्रिज को पार करने में लोगों को डेढ़ से दो घंटे लग गए। सुबह से शाम तक पुलिस के जवान ब्रिज पर स्मूथ ट्रैफिक संचालन कराने में जूझते रहे।

सुबह से जूझते रहे इंजीनियर
अचानक शास्त्री ब्रिज में के 28 नंबर पिलर की खिसकी बैरिंग की की जांच पड़ताल में सेतु निगम लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर सुबह से ही जुटे। बैरिंग के खिसकने के कारण आदि की भी इंजीनियरों के द्वारा देर शाम तक जांच की गई। टेक्निकल जांच में जुटे विभागीय अफसरों के द्वारा इसे दुरुस्त करने को लेकर मंथन भी किया गया। कई एंगल पर दिमाग खपाने के बाद जल्द से जल्द इसे कैसे ठीक किया जाय इसका प्लान बनाया गया। इसमें एक सप्ताह का समय लगने की संभावना जतायी गयी है। हाईटेक मशीनें नहीं मिल पाई तो यह समय और बढ़ भी सकता है। मतलब यह कि कम से कम हफ्ते भर हजारों यात्रियों को ब्रिज के वन-वे होने से लगने वाले जाम का सामना करना पड़ेगा। हालांकि विभाग जल्द से जल्द इसे ठीक करने की दिशा में काम कर रहा है।


एक नजर में शास्त्री ब्रिज
ब्रिज के निर्माण की नींव वर्ष 1966-1967 के आसपास रखी गई थी।
बीच में काम कराने वाली कंपनी अधूरा पुल छोड़ कर चली गई। इसके बाद ब्रिज कारपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए इस ब्रिज का निर्माण किया गया।
ब्रिज 1980 में बनकर तैयार होने के बाद आवागमन का कार्य शुरू हुआ।
लगभग 2200 मीटर लंबे इस ब्रिज की सुरक्षा का काम 2010 में लोक निर्माण विभाग को मिला था।
तब से आज तक करीब आधा दर्जन बार इस ब्रिज के मेंटिनेंस का काम हो चुका है। वर्ष 2022 में भी इस ब्रिज की सर्विसिंग की गई थी।
इसे पूर्व वर्ष 2013 लगे महाकुंभ के पहले लगभग पांच करोड़ की लागत रेलिंग, सड़क व लाइटिंग जैसे अन्य कार्य कराए गए थे।

ब्रिज के पिलर की बैरिंग स्लिप हुई है। इसे ठीक करने की दिशा में काम तेजी के साथ किया जा रहा है। फिर भी पूरी तरह से इसे ठीक करने में कम से कम एक हफ्ते का वक्त तो लग ही जाएगा।
नवीन शर्मा, मुख्य परियोजना अधिकारी सेतु निगम सीडी-3