प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए निमोनिया किसी अभिशाप से कम नही है। हर साल दर्जनों बच्चों की इस बीमारी से मौत हो जाती है और इसकी जानकारी तक पैरेंट्स को नही हो पाती है। खुद सरकार इस साइलेंट किलर बीमारी को लेकर गंभीर हो चली है और स्वास्थ्य विभाग खुद अपने कर्मियों को इस बीमारी से निपटने की ट्रेनिंग दे रहा है। जिससे लोगों को जागरुक कर बच्चो में निमोनिया से होने वाली मौतों पर लगाम लगाई जा सके।

आशा व एएनएम की ट्रेनिंग
निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से आशा, एएनएम सहित दूसरे कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इनको निमोनिया के लक्षणों की पहचान के साथ उनसे बचाव के बारे में बताया जा रहा है। ट्रेनिंग के बाद यह टीमें घर घर जाकर माताओं से उनके बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगी। अगर उसमें निमोनिया के लक्षण पनप रहे हैं तो उसकी रोकथाम की जाएगी।

डेथ रेट में कमी लाने की कवायद
बता दें कि प्रदेशभर में पांच साल से कम उम्र के 15 फीसदी बच्चों की मौत निमोनिया की वजह से होती है। यह आंकड़ा चौकाने वाला है। प्रयागराज में हर एक हजार बच्चों में छह की मौत इस बीमारी से होती है। इस डेथ रेट में कमी लाने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। अगर जांच के दौरान बच्चे में निमोनिया के लक्षण पाए जाते हैं तो घर पर ही टीम द्वारा दवा उपलब्ध कराई जाएगी।

इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी
निमोनिया के हल्के लक्षण
सूखी खांसी, हल्का बुखार, सिरदर्द और थकान
निमोनिया के मध्यम लक्षण
गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक में कफ, दस्त, भूख कम लगना या थकान
निमोनिया के गंभीर लक्षण
तेज बुखार, पसीना आना, ठंड लगना, नाखून या होठ का नीला पडऩा, सीने में घरघराहट महसूस होना और सांस लेने में दिक्कत

ऐसे होगा बचाव
हल्के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर की सलाह लें
बच्चे को खुले में नहलाने या तेल लगाने से बचें
आइसक्रीम या ठंडा पानी पीने को मत दें
सांस लेने में आवाज आने या पसली चलने पर सतर्क हो जाएं
बच्चे को सही समय पर निमोनिया से बचाव का टीका जरूर लगवाएं

इस सीजन में निमोनिया होना आम बात है। शुरुआत में दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन लापरवाही बरतने पर बच्चे की जान भी जा सकती है। इसलिए निमोनिया के लक्षणों को पहचानकर उसका इलाज कराना जरूरी है।
डॉ। संजय कुमार त्रिपाठी, बाल रोग विशेषज्ञ प्रयागराज