प्रयागराज (ब्‍यूरो)। संगम की रेत पर माघ मेला को बसाने का का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू है। मेला के लिए पांटून पुल के निर्माण में गंगा के तेज बहाव और पानी का लेवल मुसीबत खड़ा कर रहा है। इस पुल बनाने का काम कर रहे कर्मचारियों के सामने कई तरह की समस्याएं आड़े आ रही हैं। तेज बहाव के कारण गंगा नदी में कटाव भी हो रही है। ऐसी स्थिति में पांटून पुल बनाने के लिए कार्यदायी संस्था और पीडब्लूडी सीडी फोर के एई अब कटान रोकने का प्लान बना रहे हैं। मंगलवार को हुई मेला सलाहकार समिति की बैठक में भी इस समस्या पर गंभीरता से चर्चा की गई।

लगाई गई एक्सपर्ट जेई व एई की टीम
करीब 770 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसाए जाने वाले माघ मेला की तैयारी शुरू हो गई। शुरुआत के वर्क में गंगा नदी में पांटून पुल बनाने का काम चल रहा है। पिछले कुछ दिनों से पांटून पुल के निर्माण में दर्जनों वर्कर लगाए गए हैं। जेसीबी जैसी मशीनों का भी सहारा लिया जाएगा। बताते हैं कि गंगा नदी में जल प्रवाह की धारा काफी तेज है। इससे कटान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कटान के चलते पांटून पुल के निर्माण में दिक्कतें आ रही हैं। समस्या सिर्फ यही नहीं है। बताते हैं कि पानी अधिक होने से जलीय एरिया का पाट भी काफी लंबा हो गया है। ऐसी स्थिति में महावीर पांटूनपुल की लंबाई भी बढ़ानी पड़ेगी। बताते चलें कि माघ मेला के लिए कुल छह पांटून पुल बनाए जाने हैं। निर्माण के शुरुआत में ही पानी व कटाने जैसी समस्याएं मुसीबत बन गई है। चूंकि गंगा का बहाव दारागंज साइड है। इस लिए जब तक पांटून पुल का निर्माण नहीं होगा झूंसाड समतलीकरण व चेकर्ड रोड व विद्युत पोल एवं वाटर पाइप आदि बिछाने का काम भी रुका रहेगा। पंद्रह जनवरी को माघ मेला शुरू हो जाएगा। इसके पहले मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं आने लगेंगे।

गुरुवार को मेला के लिए होगा गंगा पूजन
मेला सलाहकार समिति की बैठक में मंगलवार को कई बिन्दुओं पर गहन चर्चा की गई। इस दौरान निर्णय लिया गया कि सात दिसंबर यानी गुरुवार को गंगा पूजन कार्यक्रम होगा। यह पूजा मंडलायुक्त के जरिए की जाएगी। अपर मेला अधिकारी दयानन्द प्रसाद ने कहा कि मेला में सुविधाओं को बेहतर बनाने पर भी चर्चा की गई। इस दौरान मेला में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए रोड मैप के प्लान पर भी मसौदा बनाया गया। मौजूद साधु संतों से भी मेला की कुशलता एवं भव्यता के लिए सलाह मांगी गई। संतों के जरिए दिए गए सलाह पर शीर्ष अफसरों के द्वारा अमल के निर्देश दिए गए हैं।