प्रयागराज ब्यूरो ।दिल्ली के शाहदरा जनपद स्थित न्यू बार्न बेबी केयर हॉस्पिटल में हुई घटना से जिला प्रशासन को सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि शहर के कई ऐसे हॉस्पिटल हैं, जहां पर फायर सेफ्टी के इंतजामात नाकाफी हैं। इनमें सरकारी ही नहीं, प्राइवेट हॉस्पिटल भी शामिल हैं। शहर के तीन अस्पतालों में पिछले कुछ वर्षों में आग की घटनाएं हो चुकी हैं। गनीमत ही थी कि दिल्ली की तरह इन घटनाओं में यहां किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। हृदय को द्रवित कर देने वाली दिल्ली की घटना सामने आने 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ के द्वारा सोमवार को सरोजनी नायडू बाल रोग चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल का रियलिटी चेक किया। यहां पर चेकिंग के दौरान जो हालात सामने आए वह जानकर आप भी चौंक जाएंगे।

भर्ती होते हैं कई जिलों के बच्चे
चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में सिर्फ जनपद ही नहीं आसपास के प्रतापगढ़, मीरजापुर, भदोही, कौशाम्बी, फतेहपुर जैसे जनपदों के सीरियस बीमार बच्चे इलाज के लिए लाए जाते हैं। इस हॉस्पिटल में ओपीडी के साथ एडमिट करने की भी सुविधा मौजूदा मौजूद है। यहां एडमिट के लिए नार्मल के साथ पीआईसीयू वार्ड भी मौजूद है। पीआईसीयू वार्ड यहां पर 10 बेड का है। हालांकि यहां फोटो खींचना मना है, ऐसा बोर्ड पूरे हॉस्पिटल में कहीं पर भी नहीं लगाया गया है। इमरजेंसी वार्ड में दाहिनी तरफ जिस कक्ष में बच्चे एडमिट किए जाते हैं उसमें एक इमरजेंसी डोर है। मगर, कर्मचारी बताते हैं कि उसमें ताला जड़ा हुआ है। कक्ष के अंदर इस दरवाजे के सामने भारी सामान भी रखे हुए हैं। ऐसे में जरूरत पडऩे पर इस दरवाजे को इरमजेंसी में आसानी से खोल पाना संभव नहीं होगा। इसी इमरजेंसी वार्ड में दस बेड वाले पीआईसीयू में कहीं पर भी इमरजेंसी डोर जनर नहीं आया। हालांकि हॉस्पिटल प्रशासन का दावा है कि इस वार्ड में इमरजेंसी डोर पीछे की तरफ बना है। हालांकि 2022 में जब यहां आग लगी थी तो यह डोर उस वक्त भी नहीं खुल सका था। यह कंडीशन सिर्फ चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ही नहीं है। तमाम प्राइवेट अस्पतालों में के हालात भी सुरक्षा के लिहाज से यहां ठीक नहीं है। ईश्वर न करें पर इस स्थिति में यहां ऐसे किसी भी हॉस्पिटल में आग की घटना हुई तो हालात दिल्ली से भी बदतर हो सकते हैं। इस चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी में रहे बीमार बच्चों के तीमारदारों ने दबी जुबान कहा कि प्रशासन को समय रहते यहां अलर्ट हो जाना चाहिए।

केस-01
दिल्ली के एक हॉस्पिटल में आग की दहलाने वाली घटना सामने आने के बाद शहर के अस्पतालों में लगी हुईं घटनाएं लोगों के जेहन में ताजा हो गईं। जुलाई 2022 में रविवार का दिन था। सरोजनी नायडू बाल रोग चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के पीकू वार्ड में करीब दस बजे भर्ती थे। इसी दिन रात करीब 12 बजे वार्ड के बेड नंबर एक के पास लगी मशीन के बिजली पैनल में शार्टसर्किट से आग लग गई थी। पूरे वार्ड से निकल रहे धुएं के गुबार को देखकर तीमारदारों की रूह कांप गई थी। वहां मौजूद लोग स्टॉफ की मदद से बच्चों को सुरक्षित निकालने में सफल रहे थे। सूचना पर पहुंचे हॉस्पिटल प्रशासन के जिम्मेदार व फायर ब्रिगेड के जवानों ने आग पर काबू पाया था।

केस-02
यहां आग की दूसरी घटना कचहरी के पास हवाई जहाज चौराहे पर स्थित एक बच्चों के हॉस्पिटल में दिसंबर 2021 में हुई थी। बिल्डिंग के ग्राउंड और फस्ट फ्लोर पर हॉस्पिटल संचालित थी। सेकंड फ्लोर पर डॉक्टर का का परिवार खुद व उसकी पत्नी एवं बेटा और बेटी रहते थे। बताया गया था कि ओटी में रखे फ्रिज में हुई शार्टसर्किट से आग लग गई थी। गनीमत यह रही कि सभी भर्ती मरीज किसी सूरत भागकर बच निकले थे। मगर डॉक्टर का परिवार फंस गया था। खबर पर पहुंचे फायर ब्रिगेड के जवानों ने पूरे परिवार को सुरक्षित बाहर निकाला था। जांच में जवानों ने पाया था कि यहां हॉस्पिटल में इमरजेंसी डोर की सुविधा नहीं थी।


केस-03
वर्ष 2022 के अगस्त महीने में एसआरएन हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग में हुई घटना भी लोग अभी तक भूल नहीं पाए हैं। बुधवार का दिन था और ओटी-1 में अचानक आग लग गई थी। आग की लपटें और धुएं का गुबार देखकर पूरे हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया था। मरीजों, तीमारदारों व स्टॉफ में अफरातफरी मच गई थी। गनीमत यह था कि उस वक्त ऑपरेशन रूम में कोई नहीं था। स्टाफ भी केबिल में बैठे थे। लिहाजा सभी भाग जान बचाने में सफल हो गए थे। सूचना मिलते ही प्रिंसिपल व फायर ब्रिगेड के जवान पहुंचे थे। जवानों के जरिए आग बुझाए जाने के बाद जांच में पता चला था कि फाल सीलिंग वायर में कहीं शार्टसर्किट से यह घटना हुई थी।

हॉस्पिटल की कामर्शियल बिल्डिंग में कम से कम दो इमरजेंसी इक्जिट डोर अनिवार्य रूप से हो।
ओटी और एसएनसीयू, आईसीयू वार्ड सहित जिस भी वार्ड में भर्ती सुविधा है इमरजेंसी दरवाजे बनवाएं जाय।
अग्नि सुरक्षा के इंतजामात की नियमित जांच हॉस्पिटल के लोग कराएं और एनओसी रखें।
हॉस्पिटल में फायर सेफ्टी की प्रॉपर जांच रिपोर्ट और एनओसी का होना भी जानकार अनिवार्य बताते हैं।
हॉस्पिटल में मॉकड्रिल के जरिए फायर ब्रिगेड के जवानों द्वारा कर्मचारियों को सुरक्षा के टिप्स दिए जाय।


गर्मी में बीमार बच्चों की ओपीडी बढ़ी है। भर्ती होने वाले बीमार बच्चों की संख्या में भी ग्रो हुआ है। जहां तक रहा इमरजेंसी वार्डों में इमरजेंसी डोर की तो वह है। जरूरत चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में अग्नि से सुरक्षा की बाबत सारे फायर स्टूमेंट वर्किंग मोशन में हैं।
डॉ। आरके यादव
सह आचार्य चिल्ड्रेन हॉस्पिटल