- सीट पहले पाने की होड़ में बसों की खिड़की से कूदकर पहुंचे

- सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां,

PRAYAGRAJ: पंचायत चुनाव के लिए जनपद से 60 से अधिक रोडवेज बसों को लगाया गया है। इन बसों के सोमवार से चले जाने से यात्रियों को दिक्कतें हुई। बस स्टैंड पर यात्रियों को बसों के लिए खासा इंतजार करना पड़ा। बसों को प्रयागराज के यमुनापार-गंगापार के साथ ही आगरा, बरेली में चुनावों के लिए वहां पर होमगार्ड एवं पुलिस कíमयों को भेजने के लिए डिपो से 60 से अधिक बसों को भेजा गया। गुरुवार को आलम यह रहा है कि सिविल लाइंस स्टैंड पर घंटों बाद बसों के पहुंचते ही यात्री की भीड़ जुट गई। सीट पहले पाने के चक्कर में दरवाजे की वजह खिड़की से यात्री घुसने लगे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ी।

इन रूटों पर सबसे ज्यादा हुई दिक्कत

सिविल लाइंस बस स्टैंड से रोजाना 66 बसें गोरखपुर, 52 वाराणसी, 21 अंबेडकर नगर, 75 फैजाबादद/सुल्तानपुर, 61 लखनऊ, 91 कानपुर और 13 बसों का संचालन मंझनपुर और कौशाम्बी के लिए होती है। इनमें से 60 से अधिक रोडवेज की बसें चुनाव डयूटी के लिए चली गई है। इन बसों के चले जाने से सबसे ज्यादा प्रभावित गोरखपुर, जौनपुर और आजमगढ़ की रूटों पर हुआ। इन रूटों के लिए बस पकड़ने के लिए यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा। इस भीषण गर्मी ने उनका हाल बेहाल कर दिया। जैसे ही इन रूटों की बस सिविल लाइंस बस स्टैंड पहुंची। वैसे ही यात्रियों की संख्या सीट पाने के लिए टूट पड़ी। ड्राइवर और कंडक्टर चिल्लाते रहे। बस कुछ देर बाद चलेगी। हालाकि यात्री कहा सुनने वाले थे। उनको किसी भी तरह इस कोरोना काल में बस घर पहुंचने की सुझ रही थी। सभी लोग पलभर के लिए कोविड-19 की गाइडलाइन तक भूल गए। एक दूसरे पर चढ़कर बस सीट पाने की जल्दी रही। कुछ यात्री तो खिड़की से घुसकर सीट पर बैठे।

सुबह से कोई बस गोरखपुर, आजमगढ़ के लिए नहीं चली। इस कड़ाके की धूप में इंतजार कर रहे हैं। पूछताछ काउंटर पर पूछने पर बस अभी-अभी आने का हवाला दिया जाता है। ऊपर से ड्राइवर चिल्ला रहे है कि हर सीट पर ही यात्री बैठेंगे। खड़ा कोई नहीं होगा। ऐसे में क्या करें आदमी। बच्ची की तबियत खराब है। जाना जरूरी है।

राम चंद्र यादव, आजमगढ़ निवासी यात्री

चुनाव के चक्कर में आदमी परेशान हो रहा है। पूरे दिन भर में अगर इक्का-दुक्का बसों का ही संचालन होगा तो जाहिर सी बात है। कोविड-19 गाइडलाइन की धज्जियां तो जरूर उड़ेगी। हर व्यक्ति रिक्स में सफर कर रहा है। कश्मीर से जॉब छोड़कर जौनपुर जा रहा हूं।

नीरज श्रीवास्ताव जौनपुर निवासी यात्री

पूछताछ काउंटर पर पूछने पर कोई जानकारी तक नहीं देते हैैं। धूप में बार-बार घूमकर बस को देखना पड़ता है। खिड़की से चढ़ना मजबूरी है। क्योंकि सीट अगर फुल हो जाएगा तो खड़े होकर सफर करना पड़ेगा। मालूम है कि इस वक्त कोरोना बढ़ा तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए घर जा रहे हैं।

-कमलेश गोरखपुर निवासी यात्री

नाइट कफ्र्यू का टाइम जैसे बदला। वैसे ही घर वाले बोले फौरन घर आ जाओ। किसी भी वक्त लॉकडाउन लग सकता है। स्थिति उसी तरह की दिख रही है। इसलिए घर जा रहा हूं, दो घंटा हो गया। एक भी बस नहीं आई। जैसे ही बस आई। सब टूट पड़े। इस भीड़ में सफर करने में हम लोग खुद डर रहे है। क्या कर भी सकते है। घर जाकर एक हफ्ता होम आइसोलेट हो जाएंगे। मगर फंसना नहीं चाहते हैं।

राजेश कुमार आजमगढ़ निवासी यात्री

बस एक दिन की और दिक्कत है। काफी बसें चुनाव डयूटी में लगी है। इस कोविड-19 का भी पालन कराना है। आखिर भीड़ को कैसे समझाया जाएं। कोशिश पूरी की जा रही है कि कोई भी व्यक्ति खड़ा होकर न जाये। नियमों का पालन हो।

सीबी राम वर्मा, एआरएम सिविल लाइंस डिपो