प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पूरे मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं व संतों को स्नान के लिए 16 घाट बनाए जाने हैं। इनमें पांच घाट दारागंज साइड शेष सारे घाट झूंसी की तरफ बनने हैं। सोमवार तक इनमें से एक भी घाट पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो सका था। छह जनवरी को पौष पूर्णिमा का पहला स्नान होगा। पर्व के एक दिन पहले से ही मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ का आना शुरू हो जाता है। आने वाले इन श्रद्धालुओं को रहने के लिए के भी अब तक प्रशासन की ओर से कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं किया जा सका है। परेड एरिया में लगाए गए कुछ टेंट में पुआल आदि तक नहीं डाले जा सके हैं। सेक्टर पांच के विस्तारित क्षेत्र में काफी क्षेत्रफल अविकसित हैं। हालांकि पुलिस विभाग मेला क्षेत्र में थानों पर जवानों की पोस्टिंग कर चुका है। सुरक्षा के मद्देनजर जवानों की पिकेट व गश्ती ड्यूटियां भी मेला क्षेत्र में शुरू करा दी गई हैं। जल पुलिस प्रभारी द्वारा जवानों को जल सुरक्षा के उपायों व मौजूद संसाधनों के बारे में जानकारी दी गई। मेला क्षेत्र के अंदर इस हाड़ कंपाने वाली ठंड के बीच सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं। पुलिस के जवान व कुछ संतों व संस्थाएं भी मेला क्षेत्र में आ चुकी हैं। बावजूद इसके इसके मेला क्षेत्र में अलाव के प्रबंध भी अब तक नहीं किए गए।

हालात पर एक दिन में हुई तीन बैठक
मेला की तैयारियों में सुस्ती व सन्निकट स्नान पर्व को देखते हुए सोमवार को मेलाधिकारी द्वारा तीन बैठकें की गईं। पहली बैठक सभी पीसीएस अफसरों, प्रबंधक, सहायक प्रबंधकों, सुपरवाइजरों, मेला प्रशासन के स्टाफ के साथ हुई।
इसमें सभी को तेजी से तैयारी में जुटने के निर्देश दिए गए। इसके बाद विभिन्न विभागों के अधिकारियों और वेंडर व विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई।
तैयारियों की समीक्षा के दौरान सिर्फ विद्युत विभाग के कार्य ही पूरे पाए गए। अन्य विभागों के काम अब भी शेष हैैं, जबकि तीन डेडलाइन बीत चुकी है।
किसी भी हाल में चार जनवरी की शाम तक स्नान घाटों के निर्माण के निर्देश दिए गए। गाटा मार्गों के निर्माण कार्य को पूरा करने के साथ चकर्ड प्लेटों को दुरुस्त करने को कहा गया।
शौचालय और नल की भी सुविधा शीघ्र देने के निर्देश दिए गए। सुविधा पर्ची जल्दी जारी करने तथा वेंडर को टेंट कनात के काम जल्द पूरा करने को कहा गया।

गंगा के जल की मांगी गई रिपोर्ट
गंगा के जल का रंग बदलने के मामले में मेलाधिकारी ने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट तलब की है। बोर्ड की ओर से दी गई प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सिल्ट के चलते गंगा का जल मटमैला दिखाई दे रहा है, जो पानी बढऩे से ठीक हो जाएगा। नरोरा से निरंतर आठ हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।