प्रयागराज ब्यूरो । अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मचारियों की अंशदायी पेंशन योजना (एपीएस) की धनराशि बिना संबंधित से अनुमति लिए निजी बीमा कंपनियों में लगाने का मामला तूल पकड़ गया है। प्रदेश के 25 जिलों के कुल 4257 शिक्षकों/शिक्षणेतर कर्मचारियों की पेंशन राशि को निर्धारित तीन बीमा कंपनियों से हटाकर दूसरी निजी बीमा कंपनियों में लगाने के मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा। महेंद्र देव के निर्देश पर एफआइआर दर्ज कराने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। प्रयागराज सहित कुछ जिलों में पहले ही एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने भेजा पत्र

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों, मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों, जिला विद्यालय निरीक्षकों, वित्त एवं लेखाधिकारी को भेजे पत्र में बताया है कुल 4257 प्रान नंबरों की पेंशन की राशि निजी बीमा कंपनी में लगाए जाने का प्रकरण सामने आया है। इसको ध्यान में रखकर प्रदेश के सभी आहरण वितरण अधिकारियों को स्वयं अपने कार्यालयों में परीक्षण कराकर ऐसे प्रकरण सामने आने पर दोषियों के विरुद्ध एफआइआर कराने के निर्देश निदेशक ने दिए हैं।

एसआइटी और एसटीएफ से जांच की मांग

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रांतीय संरक्षक डा। हरिप्रकाश यादव ने कहा है कि मिली भगत से बड़ा घोटाला किया गया है। इसमें प्रभावितों की संख्या और ज्यादा है। यह घोटाला अन्य विभागों में भी हो सकता है। इस कारण एसआइटी गठित कर मामले की जांच कराई जानी चाहिए। इनके अलावा माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डा। आरपी मिश्र ने कहा है कि प्रकरण की जांच एसटीएफ से कराई जानी चाहिए, ताकि लीपापोती की गुंजाइश न रहे।

्रराजकीय शिक्षकों ने निवेश की मांगी जानकारी

एडेड माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा के विद्यालयों के शिक्षकों/कर्मचारियों के एपीएस की धनराशि में घोटाले से डरे राजकीय माध्यमिक शिक्षकों ने अपने एनपीएस की धनराशि की सुरक्षा/निवेश के संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक से जानकारी मांगी है। पत्र लिखकर जानना चाहा है कि अप्रैल 2005 से अब तक नियुक्त राजकीय सहायक अध्यापक/ प्रवक्ता/प्रधानाचार्यों (पुरुष/महिला) के वेतन से न्यू पेंशन स्कीम के तहत धनराशि की जो कटौती की जा रही है, उसका निवेश कहां किया जा रहा है। पत्र में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर पाण्डेय ने भेजे पत्र में यह भी जानकारी लिखित रूप से मांगी है कि एनपीएस धनराशि की सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। निवेश से पूर्व, कटौती धारकों से सहमति ली गई है या नहीं। धनराशि का निवेश जनपद स्तर पर किया जा रहा है या मंडल स्तर पर या प्रदेश स्तर पर। क्या धनराशि जिला विद्यालय निरीक्षक की देख रेख में या संयुक्त शिक्षा निदेशक की देख-रेख में या शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) की देख-रेख में है। कहा है कि एडेड विद्यालयों के शिक्षकों की एनपीएस धनराशि का घोटाला प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ सहित कुछ अन्य जिलों में उजागर होने के बाद से राजकीय शिक्षकों में बेचैनी बढ़ गई है। एडेड विद्यालयों के मामले में सिर्फ पटल सहायक ही नहीं, जिला विद्यालय निरीक्षक भी संलिप्त हैं, इसलिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। मांग की है कि एनपीएस की धनराशि का निवेश उचित संस्था में ही किया जाय।

किस जिले में कितने मामले

1195 कुशीनगर

786 वाराणसी

513 प्रयागराज

494 गौतमबुद्धनगर

482 इटावा

287 लखनऊ

215 बुलंदशहर

75 मुरादाबाद

67 मुजफ्फरनगर

45 बलरामपुर

38 कासगंज

21 बिजनौर

20 झांसी

04 रामपुर

(देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़ में दो-दो तथा आंबेडकरनगर, चित्रकूट, फतेहपुर, मेरठ, आगरा, बाराबंकी और सोनभद्र में एक-एक प्रकरण प्रकाश में आए हैं.)