प्रयागराज ब्यूरो । प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस पर बड़ा भरोसा करना रिक्रूटमेंट एजेंसियों को बेहद भारी पड़ रहा है। सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर अहमदबाद से लीक होने का खुलासा होने के बाद यह तथ्य और मजबूत हो गया है। खास बात यह भी है कि रिक्रूटमेंट एजेंसीज लगातार धोखा मिलने के बाद भी प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस पर भरोसा छोड़ नहीं पा रही हैं। यह ज्यादा पुरानी बात भी नहीं है। करब डेढ़ दशक के दौरान पेपर लीक की घटनाएं बढ़ी हैं, यह वही दौर है जब रिक्रूटमेंट एजेंसियों ने गवर्नमेंट प्रिंटिंग प्रेस पर भरोसा छोड़ा है। कुछ वर्ष पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) का प्रिंटिंग प्रेस कोलकाता से पेपर लीक हुआ था। तब इसका प्रयागराज कनेक्शन भी खुला था। अब बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या रिक्रूटमेंट एजेंसियों से सबक लेते हुए कोई बड़ा फैसला लेंगी? फिर से गवर्नमेंट प्रिंटिंग प्रेस पर भरोसा जताएंगी।
प्रयागराज में भी है गवर्नमेंट प्रिंटिंग प्रेस
प्रयागराज, लखनऊ, रामपुर और वाराणसी में गवर्नमेंट प्रेस है। सबसे अपडेट प्रेस प्रयागराज में है और यहीं पर राजकीय मुद्रणालय का मुख्यालय भी है। करीब दो दशक पहले तक सभी तरह की भर्ती और बोर्ड परीक्षा के प्रश्न पत्र यहीं छपते थे। उस दौर में पेपर लीक का कोई दाग इस संस्थान के ऊपर नहीं लगा क्योंकि तब शायद प्रश्न पत्र छपाई को लेकर पूरी गोपनीयता बरती जाती थी। गवर्नमेंट प्रेस में अब यूपी बोर्ड की कापियां और कुछ सरकारी दस्तावेज ही छप रहे हैं। निजी प्रेस में प्रश्न पत्र छपने से भर्ती माफिया का वहां तक पहुंच आसान हो गई है। भर्ती आते ही वह सक्रिय हो जाते हैं और देश के किसी भी कोने में मौजूद प्रिंटिंस प्रेस से मिलीभगत करके पेपर आउट करवाते हैं।
कोरोना के चलते लग गया प्रस्ताव पर ब्रेक
जब यूपीपीएससी का कोलकाता से छपा पेपर लीक हुआ था, तब तत्कालीन मंत्री सतीश महाना ने सभी प्रश्न पत्र गवर्नमेंट प्रेस से छपवाने का प्रस्ताव रखा था। प्रदेश कैबिनेट ने उनके प्रस्ताव को मानते हुए प्रयागराज और लखनऊ में इसके लिए सिक्योरिटी प्रेस स्थापित करने का बजट भी स्वीकृत कर दिया था। उसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण इसकी प्रक्रिया ठप हो गई। गनर्नमेंट प्रेस के निदेशक अभिषेक प्रकाश ने सिक्योरिटी प्रेस के संबंध में कई बार शासन में वार्ता की, लेकिन मामला लंबित है। प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के महामंत्री ध्रुव नारायण ने बताया कि सरकारी प्रेस में छपे पेपर कभी लीक नहीं हुए थे। जब से निजी क्षेत्र का दखल हुआ, परीक्षाएं विवादित हो गई।
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पेपर लीक मामले में व्यापम घोटाले का आरोपित भी वांटेड
वाराणसी व लखनऊ से जेल जा चुका है डा। शरद, कई और निशाने पर
प्रतापगढ़ के दो आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद राजीव नयन व अजय की भी तलाश
समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) परीक्षा पेपर लीक मामले में मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले के आरोपित डा। शरद को भी वांटेड कर दिया गया है। वह वर्ष 2018 में लखनऊ और उससे पहले वाराणसी से भी ऐसे ही मामले में जेल जा चुका है। इसके साथ ही गिरोह में शामिल अजय शर्मा को भी मुकदमे में वांछित किया गया है। इस तरह अब स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने शरद, अजय और राजीव नयन की तलाश तेज कर दी है। कहा गया है कि इनकी गिरफ्तारी होने पर पेपर लीक व गिरोह से जुड़े कई अन्य लोगों के राज सामने आएंगे। एसटीएफ लखनऊ के डिप्टी एसपी लाल प्रताप सिंह ने टीम के साथ पेपर लीक मामले में प्रतापगढ़ के अंतू निवासी अरुण कुमार और सौरभ शुक्ला को कौशांबी से गिरफ्तार किया था। अधिकारियों का कहना है कि अभियुक्तों से पूछताछ, उनके पास से बरामद सामग्री के जरिए कई अहम सुराग मिले हैं। सौरभ के लखनऊ में कंप्यूटर सेंटर संचालित करता था।
मोटी रकम का झांसा
बीते साल जेईसी यूपी (पालिटेक्निक प्रवेश परीक्षा) के दौरान अजय शर्मा उसकी लैब में आया था। उसने कहा कि अगर आनलाइन परीक्षा में सेटिंग करवा दे तो अच्छा खासा पैसा मिलेगा। अजय ने नया मोबाइल नंबर दिया और उससे अपोलो अस्पताल के पास ही मिलता था। इसी बीच एक शादी समारोह में बर्खास्त सिपाही अरुण से मुलाकात हुई, जिसके बाद उसने आरओ/एआरओ परीक्षा का आउट पेपर उपलब्ध कराने के लिए कहा। तब सौरभ ने अजय शर्मा से बात की और परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले वाट्सएप पर पेपर मिला। पुलिस का कहना है कि सौरभ वर्ष 2019 में हजरतगंज थाने से जेल गया था, जहां उसकी मुलाकात डा। शरद से हुई थी, तब उसने बताया कि मेजा निवासी राजीव नयन मिश्रा पेपर आउट करके पैसे कमाता है। बाहर निकलने पर उसके साथ मिलकर काम करेंगे। इसी योजना के तहत सभी ने मिलकर आरओ/एआरओ का पेपर लीक किया था। शरद लखनऊ और अजय बिहार का निवासी बताया जा रहा है।

डायरी के पन्ने में मिला 68 लाख रुपये का हिसाब
अरुण के पास से एक डायरी के कुछ पन्ने एसटीएफ को मिले थे, जिसमें 68 लाख रुपये का हिसाब मिला है। कहा गया है कि एक लाख रुपये से लेकर आठ से 10 लाख रुपये तक की डील करके अलग-अलग अभ्यर्थियों से पैसा लिया गया था। आरओ/एआरओ का पेपर आउट कराने से पहले सौरभ के स्कूल के पीछे एक स्थान पर अरुण ठहरा था। जहां उनकी मुलाकात हुई थी।

गर्लफ्र ंड से लेकर कोचिंग संचालक तक को भेजे पेपर
एसटीएफ का कहना है कि गिरफ्त में आए अभियुक्तों ने आरओ/एआरओ का आउट पेपर अपनी गर्लफ्र ंड, दोस्त से लेकर कोचिंग संचालकों तक को भेजे थे। एक ने परीक्षा में शामिल हुए अपने रिश्तेदार को भी पेपर भेजा था। सौरभ ने यह भी बताया कि अरुण का नाम अखबार में आने के बाद वह परेशान हो गया और अपना मोबाइल तोड़कर नदी में फेंक दिया था। हालांकि बाद में वह भी पकड़ गया।