राष्ट्रीय शिक्षा आन्दोलन के इतिहास पर वक्ताओं ने रखे विचार

- स्कूलों में शैक्षिक माहौल को सुधारने पर वक्ताओं के बीच हुई चर्चा

ALLAHABAD: प्रो। राजेन्द्र सिंह शिक्षा प्रसार समिति की ओर से संचालित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज सिविल लाइंस में चल रहे प्रधानाचार्य पुनश्चर्या वर्ग का गुरुवार को समापन हो गया। समापन समारोह की शुरुआत वंदना सत्र के साथ हुई। प्रथम सत्र में डॉ। रघुराज प्रताप सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा आन्दोलन के इतिहास विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद वर्तमान समय तक कई प्रकार की शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है। जिसमें समय-समय पर बदलाव भी किए गए। मौजूदा समय में पूरे देश में अनेक प्रकार की शिक्षा प्रणाली लागू है। स्थिति यह है कि एक ही परिवार के बच्चे अलग-अलग संस्थानों से विभिन्न प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इससे समाज राष्ट्रीय मूल्यों व भारतीय संस्कारों से दूर होता जा रहा है। इस आधुनिकता के दौर में भारतीय संस्कार युक्त शिक्षा को वैज्ञानिकता से जोड़कर शिक्षा देने का कार्य केवल विद्या भारती के स्कूलों में किया जा रहा है।

वर्कशाप के अनुभव साझा

समापन सत्र में मुख्य अतिथि एलडीसी के चेयरमैन संजय कुमार गुप्ता, विजय उपाध्याय, अव्यक्त राम, आदि लोग मौजूद रहे। इस मौके पर वर्कशाप में प्रतिभाग कर रहे 109 प्रिंसिपलों ने वर्कशाप के अनुभव, कथन, जिज्ञासा एवं समाधान प्रस्तुत किया। इसमें विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने कहा कि वर्ग से अपने दायित्व का पुन:स्मरण, बदलते परिवेश में शिक्षा तकनीकि का ज्ञान प्राप्त हुआ। अन्य प्रिंसिपलों ने भी अपने अनुभव को सभी के साथ सांझा किया। कार्यक्रम में कंचन सिंह, सुरेश श्रीवास्तव, राजेश्वर सिंह, युगल किशोर मिश्रा, प्रदीप त्रिपाठी, सुमंत पाण्डेय, दयाराम यादव समेत अन्य लोग मौजूद रहे।