इलाहाबाद हाई कोर्ट ने

राज्य सरकार व विपक्षियों से कोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लक्ष्मण प्रसाद इंटरमीडिएट कालेज वीरभद्रपुर भदोही के कार्यवाहक प्रधानाचार्य को डिमोट करके मूल पद पर भेजने और इस दौरान लिए गए अधिक वेतन की वसूली करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने अधिक वेतन की वसूली करने के जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश पर रोक लगा दी है।

किस नियम से वरिष्ठ अध्यापकों ने हलफनामा दिया

यह आदेश जस्टिस विवेक अग्रवाल ने रमाशंकर सिंह यादव की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की। याची का कहना है कि कालेज में उससे दो वरिष्ठ अध्यापकों ने उसे प्रधानाचार्य का कार्यभार संभालने पर अनापत्ति देते हुए हलफनामा दिया। उसे कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया। लेकिन, 24 अप्रैल 2020 को संयुक्त निदेशक शिक्षा विंध्याचल मंडल मिर्जापुर ने यह कहते हुए पद से हटाते हुए मूल पद पर वापस भेज दिया है कि नियमानुसार वरिष्ठतम अध्यापक ही कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया जा सकता है। याची वरिष्ठतम अध्यापक नहीं है। कोर्ट ने जानना चाहा कि किस नियम से वरिष्ठ अध्यापकों ने याची के पक्ष में हलफनामा दिया है।

पद छोड़ने पर दावा नहीं

याची अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का कहना था कि यदि किसी वरिष्ठ अध्यापक ने प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति लेने से इन्कार कर दिया है तो वह दोबारा उस पद का दावा करने का अधिकार खो देता है। कोर्ट ने कहा कि याची के पक्ष में अनापत्ति से यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति लेने का दावा छोड़ दिया है। कोर्ट ने नोटिस जारी करके याचिका पर जवाब मांगा है। कहा कि केवल अधिक वेतन वसूली पर ही रोक लगायी गयी है।