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सुस्त रफ्तार से इस बार नगर निगम का हिस्सा नहीं बनेंगे 425 गांव

नवाबगंज से लेकर करछना तक को शामिल करने का था प्लान

80 वार्डो में ही होगा नगर निगम का चुनाव, सिर्फ परिसीमन बदलेगा

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: सिटी एरिया में अब जमीनें खत्म होने की वजह से नैनी से आगे करछना, झूंसी, फाफामऊ आदि इलाकों में डेवलपमेंट प्लान बढ़ रहा है। अपार्टमेंट पर अपार्टमेंट तैयार हो रहे हैं, बिल्डिंगें बन रही हैं, कई योजनाएं प्लानिंग में हैं। इनका रेट भी सिटी की तरह ही लग रहा है, लेकिन अगले पांच साल यानी 2021 तक करछना, झूंसी, फाफामऊ, घूरपुर का इलाका ग्रामीण इलाके में ही शामिल रहेगा। क्योंकि, सीमा विस्तार इस बार भी नहीं हो पाएगा। नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से सीमा विस्तार का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है, लेकिन नई सरकार बनने के बाद अब इतना समय नहीं बचा है कि शहर की सीमा का विस्तार करते हुए वार्डो की संख्या बढ़ाई जा सके।

जुलाई तक होना है चुनाव

नगर निगम के मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल जुलाई 2017 में पूरा हो रहा है। यानी जुलाई से पहले ही नगर निगम का चुनाव संपन्न होना है। इसके लिए विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब तीन से साढ़े तीन महीने का ही समय बचा है। इतने कम समय में नगर का विस्तार कर परिसीमन के आधार पर चुनाव कराना लगभग असंभव है। क्योंकि, गांवों को नगरीय सीमा में शामिल करने, फिर उनकी आपत्तियों का निस्तारण आदि करने के लिए कई महीने का समय चाहिए। नए सिरे से मतदाताओं की सूची तैयार भी कर ली गई है।

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2012 में बनी थी विस्तार की योजना

इलाहाबाद नगर निगम का दायरा अभी तक संगम किनारे, फाफामऊ में शांतिपुरम चौराहे तक, बम्हरौली एयरपोर्ट तक, रीवां रोड पर एग्रीकल्चर चौराहा और इलाहाबाद-मिर्जापुर रोड पर नैनी स्थित सरगम सिनेमा हाल तक सीमित है। 2012 में नगर निगम की नई टीम बनने के बाद शहर के विस्तार की योजना बनी थी। शासन ने भी पहल की थी, लेकिन पांच सालों में गवर्नमेंट की पहल पूरी नहीं हो सकी। शहर का विस्तार करते हुए झूंसी के 119 गांवों और नैनी के 115 गांवों को शहर की सीमा में शामिल करने की योजना बनी थी।

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मांगा था नक्शा और खतौनी

जुलाई में एक बार फिर सीमा विस्तार की प्लानिंग ने रफ्तार पकड़ी थी। इसके लिए नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन ने राजस्व विभाग से नक्शे और खतौनी मांगा था। शहर की सीमा में सोरांव, करछना, सदर और फूलपुर तहसीलों के 161 गांवों को शामिल करने की तैयारी की थी। जुलाई में सीमा विस्तार के लिए उप नगर आयुक्त सुमित कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने गूगल मैपिंग करवाई। इसमें सोरांव, करछना, सदर और फूलपुर तहसीलों के 161 गांव शामिल किए गए। प्रस्ताव को सदन में पार्षदों के सामने रखा गया। पार्षदों ने सहमति दी तो प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया। विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू होने के बाद सीमा विस्तार का कार्य पेंडिंग हो गया।

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विस्तार हुआ तो होंगे 110 वार्ड

वर्तमान में नगर निगम सीमा क्षेत्र में 80 वार्ड हैं। अगर ग्रामीण इलाकों को शहर में शामिल किया जाता है तो चिह्नित गांवों के आधार पर वार्डो की संख्या 110 के करीब पहुंच सकती है। 2007 में निकाय चुनाव से पहले शहर की बढ़ी आबादी के आधार पर 10 वार्ड बढ़ाए गए थे।

अभी है नगर निगम की सीमा

यमुनापार के नैनी क्षेत्र में मिर्जापुर रोड पर कॉटन मिल चौराहा

रीवां रोड पर डीम्ड यूनिवर्सिटी के आगे व महेवा के पहले तक

फाफामऊ में शांतिपुरम आवास योजना के पहले तक

पूरा झूंसी नगर पंचायत क्षेत्र में शामिल है

प्रस्तावित विस्तार

इलाहाबाद- मिर्जापुर रोड पर करछना तक

रीवां रोड पर मामा भांजा तालाब तक

फाफामऊ में मलाका तक

झूंसी का पूरा एरिया

करछना तक सीमा विस्तार होने से पूरा औद्योगिक क्षेत्र नगर निगम में आ जाएगा

पूरे नैनी व झूंसी एरिया, फाफामऊ व मुंडेरा के आगे के एरिया को भी शहर की सीमा में शामिल करते हुए सीमा विस्तार का प्लान बनाकर गवर्नमेंट को भेजा जा चुका है। इस पर नगर निगम सदन भी अपनी सहमति जता चुका है। अब शासन स्तर से निर्णय होना है। अगर नई सरकार तत्काल कोई निर्णय लेती है तो ठीक नहीं तो मुश्किल है। वैसे नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है।

शेषमणि पांडेय

नगर आयुक्त, नगर निगम

इलाहाबाद

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विस्तार के बाद लगेगा एक साल

मेयर अभिलाषा गुप्ता का कहना है कि 2017 में सीमा विस्तार के आधार पर चुनाव कराना बेहद मुश्किल है। परिसीमन हो सकता है। सीमा विस्तार में लगभग एक साल का समय लगेगा। निकाय के चुनाव की डेट घोषित की जा रही है। 19 जुलाई को इलाहाबाद नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। जिन क्षेत्रों का सीमा विस्तार होता है, उन क्षेत्रों में आबादी की गणना करना, जोड़ना, चुनाव प्रक्रिया में उनको ले आना, लिस्टिंग होना, मतदाताओं का कार्ड बनाने में समय लगता है। सीमा विस्तार में करीब 420 गांव लिए गए हैं। अब इतने कम समय में सब कुछ करा पाना संभव नहीं है। एक विधानसभा क्षेत्र में गणना कराने में लंबा टाईम लग जाता है। ऐसे में कई विधानसभा क्षेत्रों के 420 गांव में गणना कराना आसान नहीं है।