एक बार फिर बाजार में छाई हैं चाइनीज राखियां

लोगों ने देशी राखी के साथ त्योहार मनाने का संकल्प लिया

ALLAHABAD: संकल्प लें कि इस बार रक्षाबंधन का त्योहार देशी राखी के साथ मनाएंगे। किसी भी हाल में चाइनीज राखियों की खरीदारी नहीं करेंगे। क्योंकि, यदि आपने ऐसा नहीं किया तो एक बार चीन की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और अपने देश में राखी का निर्माण करने वाले लघु उद्योगकर्मी घाटा उठाकर भूखा मरने की कगार पर आ जाएंगे।

करोड़ों की बिकती हैं राखियां

इलाहाबाद में पांच से दस करोड़ रुपए की राखी के धागों का कारोबार करीब दस करोड़ रुपए का है। फैंसी राखियों का बिजनेस इसमें शामिल नहीं है। इस टर्नओवर में 60 फीसदी हिस्सा चाइनीज राखियों का होता है। वहां की फैंसी के साथ सस्ती राखियों की ज्यादा डिमांड है। थोक व्यापारी राजेश चौरसिया बताते हैं कि देश में सबसे ज्यादा राखियां कोलकाता में बनती हैं। वहां से कच्चा माल लाकर यहां भी राखी बनाई जाती है।

हमारे साथ हैं शहर के लोग

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के इस अभियान में शहर के तमाम वर्ग लगातार जुड़ते जा रहे हैं। चाइना बायकॉट फ्रंट के अलावा अब श्रीमती माधुरी देवी महिला उत्थान समिति दारागंज ने भी राखी बनाने की प्रशिक्षण कार्यशाला चलाने का निर्णय लिया है। सचिव पूनम मिश्रा ने बताया कि सेना के सम्मान और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए चाइना के सामान का बहिष्कार किया जाएगा। इसके तहत स जुलाई से सात दिवसीय राखी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। बेहतर राखी बनाने वाली बच्चियों को सम्मानित भी करेंगे।

मैं संकल्प लेता हूं कि इस रक्षाबंधन पर चाइनीज राखी से त्योहार नहीं मनाएंगे। मैं अपने देश के लिए समर्पित हूं। दूसरों को भी इसके लिए जागरुक करुंगा।

राजन दुबे

चाइना के हर एक प्रोडक्ट को भारत में पूरी तरह से बैन कर देना चाहिए। देश में बनी राखियों से रक्षाबंधन मनाएंगे। सभी संकल्प लें, तभी हम चाइना को जवाब दे पाएंगे।

मीतू

सरकार चाइना के प्रोडक्ट को बैन क्यों नही कर देती है। जब आएगा नही तो बिकेगा कैसे? इसके लिए सरकार को मजबूत इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

इमरान सिद्दीकी

चाइना की राखी ही नहीं बल्कि वहां से आने वाले प्रत्येक सामान का बहिष्कार किया जाना चाहिए। न तो हम खरीदेंगे और न ही दूसरे को खरीदने देंगे। मार्केट में बिकने वाले ऐसे सामानों को जला देना चाहिए।

नीरा त्रिपाठी